नई दिल्ली29जून*बड़ी कंपनियों और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से वेंडरों को किया जा रहा है परेशान
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नई दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां एक तरफ ‘सबका साथ सबका विकास’ का नारा देकर देश की गरीबी दूर करने के प्रयास में जुटे हैं, वहीं दूसरी तरफ रेलवे के कुछ अधिकारियों के तुगलकी फरमानों के कारण रेलवे के सहारे जीवन-यापन कर रहे देश के लाखों गरीब परिवारों पर रोजी-रोटी का संकट आ गया है।
रेलवे खान-पान वेंडरों की समस्याओं को लेकर लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे अखिल भारतीय रेलवे खानपान लाइसेंसीज वेलफेयर एसोसियेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष
रवीन्द्र गुप्ता ने कहा कि देश भर के रेलवे प्लेटफार्मों पर खाने-पीने का सामान बेचकर अपने
परिवार का पालन-पोषण करने वाले लाखों वेंडर आज भुखमरी के कगार आ चुके हैं। पहले कोरोना के कारण रोजगार चौपट हुआ और अब रेलवे की नीतियों के कारण वे बदहाली का जीवन जीने को मजबूर हो रहे हैं।
रवींद्र गुप्ता ने बताया कि वेंडरों के पुराने लाइसेंसों के नवीनीकरण में
बाधा पैदा की जा रही है। भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से नये नियम-कानूनों और फरमानों की आड़ में वेंडरों के रोजगार को छीनकर बड़ी फर्मों और कंपनियों को सौंपा जा रहा है। अगर किसी वेंडर के पास चार यूनिट है, तो उनसे तीन यूनिट सरेंडर करने को कह जा रहा है। रेलवे प्लेटफॉर्म पर वेंडर जो सामान बेचते हैं, उसपर 18 प्रतिशत जीएसटी भरते हैं, इसके बावजूद रेलवे भी 18 प्रतिशत जीएसटी लेता है। इस प्रकार वेंडर 36 प्रतिशत जीएसटी
भरने को मजबूर हैं, जो कि पूरी तरह गलत और अमानवीय है।
उन्होंने बताया कि वेंडरों को बेरोजगार करने के लिये रेलवे के भ्रष्ट अधिकारी हर तरफ से फंदा कस रहे हैं। हर साल लाइसेंस नवीनीकरण शुल्क में 10 फीसदी की बढ़ोत्तरी कर दी जाती है, इसे बंद किया जाना चाहिये। लाइसेंस
फीस पहले 12 प्रतिशत थी, अब इसमें 10 बिन्दुयों पर आधारित फार्मूला जोड़कर लाइसेंस फीस को बढ़ा दिया गया है, इसे समाप्त किया जाना चाहये। उन्होंने कहा कि कोविड के कारण इन वेंडरों का रोजगार पूरी तरह बंद रहा। सरकार से हम लगातार मांग कर रहे है कि वेंडरों को कम से कम 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाये।
रवींद्र गुप्ता ने कहा कि लाइसेंस वेंडरों द्वारा उत्तराधिकारी नामित
करने की पुरानी व्यवस्था बहाल की जानी चाहिये, क्योंकि नयी व्यवस्था के तहत उत्तराधिकारी को लाइसेंस देने में चार-पांच महीनों का समय लगता है। उन्होंने कहा कि प्लेटफॉर्मों पर कॉमर्शियल गैस सिलिंडरों के इस्तेमाल की अनुमति मिलनी चाहिये और पैक्ड एवं रेडीमेड खाद्य पदार्थों की दर बढ़ायी
जानी चाहिये। वेंडरों को बाजार दर बिजली का बिल चार्ज किया जाये और पीओएस तथा स्वाइप की अनिवार्यता को समाप्त किया जाना चाहिये।
दिल्ली मंडल के लाइसेंसियों की लाइसेंस फीस में वास्तविकता को जाने बिना मनमाने तरीके से बृद्धि कर दी गई जिससे दुखी होकर कई लोगों ने यूनिट सरेंडर करने की अनुमति मांगी है।
रेलवे मंत्रालय के आदेशानुसार बेंडरों को सामान बेचने की अनुमति नहीं दी जा रही है। सीनियर सिटीजन महिला लाइसेंसी, उम्र लगभग 85वर्ष मण्डल कार्यालय में बरिष्ठ अधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर अपना आधारकार्ड प्रस्तुत करती है फिर भी उसे जीवित होने का प्रमाण पत्र जमा करने को कहा जाता है वह महिला प्रमाणपत्र भी जमा करवा देती है परन्तु उसे सामान बेचने की परमिशन अभी तक नहीं दी गई है lवरिषजनों को अनावश्यक रूप से परेशान करने के लिए हर पंद्रह दिन पर जीवित होने का प्रमाण माँगा जा रहा है।
उन्होंने बताया कि हमने अपनी समस्याओं को लेकर माननीय रेल मंत्री जी को एक ज्ञापन भी
सौंपा है अगर हमारी समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान नहीं हुआ तो जल्द ही आगे की रणनीति तय की जायेगी।
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