गाजियाबाद07जनवरी2023*देश का सबसे लंबा एबीसी सेक्शन बना गाजियाबाद-पंडित दीन दयाल उपाध्याय रेल सेक्शन, अब तक 3706 RKM को मिली सुविधा*
भारतीय रेल ने (Indian Railway) यात्रियों को बेहतर, सुविधाजनक, सुरक्षित और आरामदायक यात्रा अनुभव प्रदान करने के लिए दिन-रात एक कर रखा है. इसी सिलसिले में देश के अलग-अलग हिस्सों में तमाम विकास और सुधार कार्य किए जा रहे हैं. भारतीय रेल यात्रियों को बेहतर सेवाएं देने के साथ-साथ अपनी आय में बढ़ोतरी करने के लिए भी कई तरह के कदम उठा रहा है. इसी कड़ी में रेलवे के मौजूदा हाई डेन्सिटी वाले रूटों पर और ज्यादा ट्रेनें चलाने के लिए लाइन क्षमता बढ़ाने के लिए ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग (ABS- Automatic Block Signalling) एक किफायती उपाय है.
*दिसंबर 2022 तक रेलवे के 3706 आरकेएम पर दी गई एबीएस की सुविधा*
भारतीय रेल मिशन मोड पर ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग की शुरुआत कर रहा है. साल 2022-23 के दौरान 268 आरकेएम (रूट किलोमीटर) पर ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग को अधिकृत किया गया है. रेल मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक 31 दिसंबर 2022 तक भारतीय रेल के 3706 रूट किलोमीटर पर एबीएस की सुविधा प्रदान की गई है. ऑटोमेटिक सिग्नलिंग के शुरू होने से क्षमता में बढ़ोतरी होगी जिसके परिणामस्वरूप ज्यादा रेल सेवाएं संभव होंगी.
*347 रेलवे स्टेशनों को मिली इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम की सुविधा*
ट्रेनों के ऑपरेशन में डिजिटल तकनीकों का लाभ उठाने और सुरक्षा बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग को अपनाया जा रहा है. साल 2022-23 के दौरान 347 रेलवे स्टेशनों पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम की सुविधा प्रदान की गई है. अब तक भारतीय रेल के 45.5 प्रतिशत हिस्से को कवर करते हुए 2888 स्टेशनों को 31 दिसंबर 2022 तक इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग की सुविधा दी गई है.
*गाजियाबाद-पं. दीन दयाल उपाध्याय सेक्शन के नाम दर्ज हुआ ये कीर्तिमान*
बताते चलें कि अभी हाल ही में प्रयागराज मंडल के साथ सतनरैनी, रुंधी, फैजुल्लापुर स्टेशन खंड में ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम की शुरुआत के साथ 762 किलोमीटर लंबा गाजियाबाद-पंडित दीन दयाल उपाध्याय सेक्शन पूरी तरह से ऑटोमेटिक हो गया है और ये भारतीय रेल का सबसे लंबा ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सेक्शन भी बन गया है.
*क्या है ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम*
ऑटोमेटिक ब्लॉक सिगनलिंग सिस्टम यानी स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली। इसमें दो स्टेशनों के बीच प्रत्येक एक किलोमीटर की दूरी पर सिग्नल लगाए गए हैं। इस नई व्यवस्था में स्टेशन यार्ड के एडवांस स्टार्टर सिग्नल से आगे प्रत्येक एक किलोमीटर पर सिग्नल लगाए गए हैं। इन सिग्नलों के सहारे ट्रेनें एक-दूसरे के पीछे चलती रहती हैं। यदि किसी कारण से आगे वाले सिग्नल में तकनीकी समस्या आ गई तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाएगी। इससे ट्रैक पर मौजूद पीछे की ट्रेनें जहां के तहां रुक जाएंगी। इस सिस्टम के लागू होने के बाद से एक ही रूट पर एक किलोमीटर के अंतर पर एक के पीछे एक ट्रेनें चल सकती हैं।
*ये है फायदा*
जहां तक इस नए सिस्टम के फायदे की बात करें तो इससे रेल लाइनों पर ट्रेनों की स्पीड के साथ ही संख्या भी बढ़ाई जा सकती है। कहीं पर भी खड़ी ट्रेन को निकलने के लिए आगे चल रही ट्रेन के अगले स्टेशन तक पहुंचने का भी इंतजार नहीं करना पड़ता। स्टेशन यार्ड से ट्रेन के आगे बढ़ते ही ग्रीन सिग्नल मिलता जाएगा। इस तरह एक ब्लॉक सेक्शन में एक के पीछे दूसरी ट्रेन आसानी से चल सकती है। साथ ही ट्रेनों के लोकेशन की जानकारी भी मिलती रहेगी।
More Stories
लखनऊ29जून25*यूपीआजतक न्यूज चैनल पर रात 10 बजे की बड़ी खबरें……………….*
अयोध्या29जून25*वृद्ध व्यक्ति की आग में दम घुटने से हुई मौत, सीओ आशीष निगम,रूदौली कोतवाल सहित भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद
मंडी29जून25*हिमाचल के मंडी में भूस्खलन-बारिश से तबाही, दो घर गिरे; कई लोगों ने खाली किए मकान*