मुम्बई29सितम्बर*मानवाधिकारों का उल्लंघन विचार और आंदोलन की स्वतंत्रता की अस्वीकृति है जिस पर सभी मनुष्यों का कानूनी रूप से अधिकार
मानवाधिकारों का उल्लंघन विचार और आंदोलन की स्वतंत्रता की अस्वीकृति है जिस पर सभी मनुष्यों का कानूनी रूप से अधिकार है। जबकि व्यक्ति इन अधिकारों का उल्लंघन कर सकते हैं, नेतृत्वकर्त्ता या सरकार अक्सर हाशिये पर रहने वाले व्यक्तियों को कम आँकती है। इंसान लालचवश, स्वार्थवश अथवा अज्ञानतावश कमजोर तथा बेबस लोगों का शोषण करके उनके बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन करता है जिससे मानव समाज को शर्मसार होना पड़ता है। औरतों पर हो रहे जुल्म, बलात्कार, बच्चों का शोषण, पुलिस की ओर से विशेषकर नाबालिगों की वहशियाना तरीके से पिटाई की वारदातें इंसान के सभ्य होने पर प्रश्नचिन्ह लगाती है।
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