अब्दुल जब्बार
अयोध्या17दिसम्बर24*मख्दूम अब्दुल हक़ रुदौलवी का 608वाँ उर्स का बड़ा खिरखा की जियारत स्कुशल संपन्न
बड़ा खिरखा की जियारत के लिए उमड़ी भीड़, जायरीन की आंखे नम, मन्नतो मुरादो का सिलसिला देर रात तक चलता रहा
मानवता को समर्पित हैं दरगाह की परंपराएं, सदभाव, इंसानियत, अमन व प्रेम का संदेश दे रही मख्दूम साहब की दरगाह
भेलसर(अयोध्या)साबरी सिलसिले के महान सूफी बुज़ुर्ग हज़रत मखदूम अहमद अब्दुल हक़ के 608 वाॅ उर्स में बड़ा खिरका पवित्र वस्त्र की जियारत शाह मोहम्मद अली आरिफ उर्फ़ सुब्बु मियां सज्जादा नशीन दरगाह मख़दूम अब्दुल हक रुदौलवी ने कराई ।
चिश्ती साबरी को मानने वालों का प्रमुख केंद्र रुदौली दरगाह शरीफ शेख मख्दूम अहमद अब्दुल हक की दरगाह विश्व में साबरी सिलसले का दूसरा प्रमुख केंद्र है। इस्लाम धर्म की साबरी मत के प्रसार का दूसरा स्थान रूदौली शरीफ की दरगाह को माना है कि यह सबसे पहले “कलियर से होता हुआ “पानीपत शरीफ पहुंचा फिर वहाँ से रूदौली शरीफ आया। मखदूम साहब के गुरु हज़रत जलालुदीन कबीरुल औलिया थे।
मखदूम साहब ने सरयु नदी अयोध्या में 9 महीने एक पैर पर खड़े होकर ईश्वर की तपस्या की । और हक हक हक की सदाये बुलंद करते रहते थे । आपको दुआ हैदरी भी अता हुई ।
सदभाव, इंसानियत, अमन व प्रेम का संदेश दे रही मख्दूम साहब की दरगाह ।आपके पोते शेख मोहम्मद के मुरीद व दामाद हजरत अब्दुल कुदुस गंगोही है जिनकी मजार गंगोह सहारनपुर में है।शैखुल आलम अवार्ड से निम्न लोगो को सम्मानित किया गया, शिक्षण कार्यों के लिए सय्यद ज़फ़र इकबाल , तबीब और सामाजिक कार्यों के लिए डॉक्टर मोहम्मद शरीफ कुरैशी , सय्यद शाद मियां, इंजीनियर सईद साहब को अवार्ड से देकर सम्मानित किया गया।
जोहर की नमाज़ के बाद कदीम खानकाह में महफ़िल समा कव्वाली होती रही देश के नामवर कव्वालों ने उर्दू, हिंदी वा फारसी में कलाम सुनाया।शाम 4:15 बजे शाह मुहम्मद अली आरिफ “सूब्बू मियां” ने मख़दूम साहब का खिरका शरीफ (पवित्र वस्त्र) को धारण किया उसके बाद अस्ताना दरगाह मख्दूम अब्दुल हक पर हजारों लोगों की उपस्थिति में हजारी दी जिसमे आए हुऐ सभी जायरीनो के लिए मखसूस दुआ की गई और जो लोग नही आ सके उनके लिऐ भी दुआ की गई खिरखा शरीफ की जियारत शाह मोहम्मद अली आरिफ उर्फ़ सुब्बु मियां और शाह आमिर तबरेज ने अपने रवायती अंदाज में कराई।
मदरसा जामियातुल हक़ कदीम खानकाह हज़रत शेखुल आलम से दो छात्र को हिफ्जे कुरान मुकम्मल होने पर हाफिज मोहम्मद तौसीफ, हाफिज मोहम्मद अमजद की दस्तारबंदी की गई और 9 बच्चे मदरसा
शैखुल आलम अबरार नगर लखनऊ के बच्चो की दस्तारबंदी की गई। सय्यद मोहम्मद कलीम अशरफ कलीमी साबरी मियां, दरगाह अजमेर शरीफ से सय्यद बदर अशरफ़, सय्यद अबु बकर शिब्ली मियां किछौछवी, मौलाना फैजान चिश्ती हजरत सलीम फरीदी मिया, खानकाहे बाबा फरीद, अमरोहा, शाह अब्दुर्रहमान चिश्ती बबलू मियां, खानकाहे राशिदिया, हजरत सय्यद बदर मियां खानकाहे साबरी, सय्यद हसीन मियां, सय्यद फैजान मिस्बाही चिश्ती साबरी, महबूब आलम साबरी, मौलाना इश्तियाक कादिरी,सैयद मुर्तजा अली अल्वी बराव शरीफ, डा. निहाल रज़ा, यासिर कलीम, ताहिर किरमानी, डाक्टर अनवर खा,सय्यद रिज़वान उल्लाह, सरफराज नसरूल्लाह, मोहम्मद आरिफ, सय्यद सलमान बिन अहमद तारिक, मोहम्मद इरफान खान, रघुकुल अग्रवाल, सय्यद शादाब काजमी, अतीक खान, मोहम्मद शहीम, विनोद लोधी, सय्यद अली मियां, हाजी अमानत अली, मनोज कुमार श्रीवास्तव एडवोकेट, शाहिद सिद्दीकी, मास्टर मतीन, काजी इबाद शकेब, हक़ फाउंडेशन के सदर शाह आमिर तबरेज, शाह फारूक अहमद, शाह उस्मान अहमद,शाह अनवार अहमद, शाह यक़ीन अहमद, ऐनान मसूद अंसारी, ताज उद्दीन पप्पू,महबूब आलम, मोहम्मद शाहबाज, शाह नासिर, शाह गौस अहमद, शाह नूर अहमद,शाह राज़ अहमद, शाह फरीद अहमद, शाह इक़बाल अहमद, शुएब अहमद शाह सरफराज अहमद, शाह रेहान अहमद, खालिद अजीज सिद्दीकी ,शाह तालिब अहमद, शाह साबित अहमद , शाह मोहम्मद अहमद, शाह यूसुफ, शाह शबीह अहमद, मंसूर अहमद समेत तमामी खानवादे मौजूद रहे।शासन और पुलिस प्रशासन का पूरा सहयोग प्राप्त था ।
बड़ा खिरका संपन्न होते ही श्रद्धालुओं की वापसी होने लगी लोग अपने-अपने घरों को वापस जाने लगे हैं कार्यक्रम का समापन सुब्बु मियां की दुआ से हुवा।
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