June 29, 2025

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वाराणसी17मई24*कोवैक्सीन के दुष्प्रभाव*

वाराणसी17मई24*कोवैक्सीन के दुष्प्रभाव*

वाराणसी17मई24*कोवैक्सीन के दुष्प्रभाव*

वाराणसी से प्राची राय यूपीआजतक

वाराणसी। कोरोना की वैक्सीन कोविशील्ड के बाद अब कोवैक्सीन के दुष्प्रभावों (Covaxin Side Effects) की बात सामने आई है। बीएचयू में हुए एक शोध में दावा किया गया है कि कोवैक्सीन लगवाने वाले लगभग 30 प्रतिशत लोगों में एडवर्स इवेंट्स आफ स्पेशल इंट्रेस्ट (एईएसआइ) देखा गया। इनमें ज्यादातर लोग सांस संबंधी संक्रमण, ब्लड क्लाटिंग और त्वचा से जुड़ी बीमारियां से प्रभावित हुए। शोधकर्ताओं ने पाया कि विशेष रूप से किशोरियों और किसी एलर्जी से पीड़ित लोगों को कोवैक्सीन के साइड इफेक्ट का सामना ज्यादा करना पड़ा।

कोवैक्सीन लगवाने वालों को हो रही ये समस्याएं

*कोवैक्सीन के साइड इफेक्ट*

कुछ दिनों पहले ही कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने कहा था कि उनकी बनाई वैक्सीन पूरी तरह सेफ है। जनवरी 2022 से अगस्त 2023 के दौरान हुए रिसर्च में 1,024 ऐसे लोगों को शामिल किया गया था, जिन्हें वैक्सीन लगाए कम से कम एक साल हो चुका था। इनमें 635 किशोर और 291 वयस्क थे। रिसर्चर्स के अनुसार 304 (47.9 परसेंट) किशोरों और 124 (42.6 परसेंट) वयस्कों में सांस संबंधी संक्रमण (अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन) पाया गया। इसमें सर्दी, खांसी जैसी समस्याएं होती हैं।

इसके अलावा त्वचा संबंधी बीमारियां (10.5 परसेंट), नर्वस सिस्टम से जुड़ी परेशानी (4.7 परसेंट) और सामान्य बीमारियां (10.2 परसेंट) मिले। वयस्कों में सामान्य बीमारियां (8.9 परसेंट), मांसपेशियों और हड्डियों से जुड़ी परेशानी (5.8 परसेंट) और नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारियां (5.5 परसेंट) देखे गए। कोवैक्सीन लगाने वाली 4.6 परसेंट किशोरियों में मासिक धर्म संबंधी असामान्यताएं पाई गईं।

आंखों से जुड़ी असामान्यताएं (2.7 परसेंट) और हाइपोथायरायडिज्म (0.6 परसेंट) मिला है। 3 परसेंट प्रतिभागियों में स्ट्रोक और 1 परसेंट प्रतिभागियों में गुलियन बेरी सिंड्रोम की पहचान भी हुई। यह शोध प्रतिष्ठित जर्नल स्प्रिंगर लिंक में पब्लिश्ड हो चुका है।

किशोरों में बाल झड़ने की समस्या
किशोरों और वयस्कों पर कोवैक्सीन के असर के अध्ययन में यह भी पाया गया कि किशोरों में बाल झड़ने की समस्या शुरू हो गई। त्वचा और इसके नीचे की परतों में रैश और एलर्जी की दिक्कतें पाई गई। पहले से किसी शारीरिक समस्या से जूझ रहे महिलाओं और किशोरों में पोस्ट कोविड टायफाइड की आशंका सामान्य लोगों से ज्यादा मिली।

2 डोज लेने वाले सबसे कम खतरे में
अध्ययन में एक और दिलचस्प तथ्य मिला। शोधकर्ताओं ने पाया कि कोवैक्सीन की दो डोज लेने वाले सबसे कम खतरे में हैं। उनके मुकाबले तीन डोज लेने वालों को खतरा

*को वैक्सीन कै दुष्प्रभाव*

चार गुना ज्यादा है। वहीं एक डोज लेने वाले पर यह खतरा दो डोज लेने वालों से दोगुना है। रिसर्च करने वालों में आईएमएस बीएचयू के जीरियाट्रिक विभागाध्यक्ष डॉ. शंख शुभ्र चक्रवर्ती, फार्मोकोलॉजी विभाग की डॉउपिंदर कौर, डॉ. वैभव जायसवाल, डॉ संगीता कंसल, डॉ किशोर पटवर्धन, आकांक्षा व आयुषी जायसवाल, कुणाल सिंह, अदिति पांडेय, मयंक चौहान, महक राय।

बता दें, कि ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन के कोर्ट में माना है कि कोविशील्ड दुर्लभ मामलों में थ्रोंबोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोंबोसिस (टीटीएस) का कारण बन सकता है। इससे खून के थक्के बन सकते हैं और प्लेटलेट काउंट घट जाता है। कुछ गंभीर मामलों में यह स्ट्रोक और हार्ट अटैक का कारण बन सकता है।

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