June 28, 2025

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कानपुर नगर28सितम्बर23*सीएसजेएमयू में गुरुवार को 38वां दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय के रानी लक्ष्मी बाई प्रेक्षागृह में आयोजित किया गया

कानपुर नगर28सितम्बर23*सीएसजेएमयू में गुरुवार को 38वां दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय के रानी लक्ष्मी बाई प्रेक्षागृह में आयोजित किया गया

कानपुर नगर28सितम्बर23*सीएसजेएमयू में गुरुवार को 38वां दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय के रानी लक्ष्मी बाई प्रेक्षागृह में आयोजित किया गया
कानपुर: छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) में गुरुवार को 38वां दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय के रानी लक्ष्मी बाई प्रेक्षागृह में आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने की,कार्यक्रम में मुख्य अथिति हनी बी नेटवर्क के संस्थापक और आईआईएम अहमदाबाद के विजिटिंग फैकल्टी पद्मश्री प्रोफेसर अनिल कुमार गुप्ता मौजूद रहे । विशिष्ट अतिथि के रूप में उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेन्द्र उपाध्याय तथा उच्च शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती रजनी तिवारी , आईआईटी कानपुर से जाने माने वैज्ञानिक प्रो. मणींद्र अग्रवाल मौजूद रहे ।
गुरुवार को हुए इस आयोजन में कार्यक्रम का शुभारंभ 11 बजे, कुलाधिपति श्रीमती आंनदीबेन पटेल ने जल भरो कार्यक्रम से की। इससे पहले पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की ओर से प्रदर्शित की गयी डॉक्यूमेंट्री में विश्वविद्यालय की उपलब्धियों के बारे में बताया गया। कार्यक्रम में प्रो. मणींद्र अग्रवाल (आईआईटी कानपुर) को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा गया। समारोह में चंद्रयान-3 में सीएसजेएमयू के 4 पूर्व छात्रों श्री अतुल निगोतिया, श्रीमती प्रियंका मिश्रा, श्री प्रवेश माथुर, श्रीमती प्रियंका यादव को भी विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। कुलाधिपति श्रीमती आंनदीबेन पटेल ने मंच पर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों से बात की और उन्हें उनके अथक परिश्रम के लिए सम्मानित भी किया। कार्यक्रम में कुलाधिपति के सम्मुख नेपाल संस्कृति विश्वविद्यालय, बेलझुंडी, दाड, नेपाल एवम आईआईटी कानपुर के मध्य एमओयू भी साइन किया गया। साथ ही उच्च प्राथमिक विद्यालय मंधना प्रथम, उच्च प्राथमिक विद्यालय रामनगर के छात्र छात्रों को स्कूल बैग एवम किताबों का वितरण किया गया । कार्यक्रम में राष्ट्रीय एवम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एथलेटिक्स , बॉक्सिंग एवं कराटे में मेडल प्राप्त करने वाले जय प्रकाश सिंह, तनिशा लांबा, मानसी मौर्या, छात्र-छात्रों को राशि एवं पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इसके बाद विश्वविद्यालय द्वारा 100 क्षय रोग पीड़ित मरीजों को गोद लिया गया। विश्वविद्यालय द्वारा उनके पोषण की व्यवस्था की गयी है। कुलाधिपति ने मंच से पोषण पोटली भी स्वास्थय विभाग के अधिकारियों को प्रदान की। समारोह में चंद्रयान- 3 की सफलता में प्रदेश के वैज्ञानिको की प्रतिभा को दर्शाती पुस्तिका चाँद के पार-यूपी के होनहार का विमोचन भी किया। कार्यक्रम में कुलाधिपति श्रीमती आंनदीबेन पटेल विश्वविद्यालय के 10 नवीनीकृत भवनों का भी ऑडिटोरियम में लोकार्पण भी किया। साथ ही डिजिलॉकर में एक साथ सभी डिग्री अपलोड कर देश भर में अव्वल रहने पर विश्वविद्यालय की प्रशंसा भी की। उन्होने विश्वविद्यालय में किए जा रहे अकादमिक कार्यों, उपलब्धियों पर प्रशंसा जताते हुए कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक की प्रशंसा भी की। समारोह में महिला एवं बाल विकास पुष्टाहार मंत्री श्रीमती प्रतिभा शुक्ला, महापौर श्रीमती प्रमिला पांडेय, प्रति कुलपति प्रो सुधीर कुमार अवस्थी, कुलसचिव डॉ अनिल कुमार यादव, कार्य परिषद, अकादमिक परिषय के सदस्य गण, संकायाध्यक्ष, सभी विभागाध्यक्ष आदि मौजूद रहे।
मेडल पाकर खिले चेहरे
दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने 55 छात्र छात्रों को कुल 98 मेडल से सम्मानित किया गया । सर्वाधिक श्वेता साहू ने पांच मेडल हासिल किए। समारोह मे 41 छात्राओं और 14 छात्रों को पदक से सम्मानित किया गया। साथ ही 23 छात्रों को पीएचडी की डिग्री भी प्रदान की गयी।
जिद होगी तो सफलता निश्चित
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रो अनिल कुमार गुप्ता ने कहा की शिक्षा और संवेदना के बीच गहरा संबंध है। आप यह समझ लीजिए कि उत्कृष्टता एक सीमित दायरे में नहीं है । छात्र छात्राओं में ताकत है जिससे वह दक्ष बन सके ।विचार और वस्तु में भी संबंध है। वस्तुओ की संख्या कम करे जिससे विचार ज्यादा आ सके। वस्तुए जितनी कम होंगी विचार के लिए उतना ही अनुकूल अवसर रहेगा। यहां पर सभी बहनें बैठी हैं, मै उनके साथ सभी से यह कहना चाहूंगा कि किसी भी कार्य के लिए ज़िद होनी जरूरी है ।जिद को जुनून में पैदा करिए वही सफलता का आधार बन जाएगी। प्रो गुप्ता ने कहा कि बुजुर्गो का ज्ञान सहेजने की आवश्यकता है। भारतीय ज्ञान परंपरा के साथ आगे बढ़िए ।
ऐतिहासिक दिन, भविष्य में आगे बढ़ते रहिए
समारोह में कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि यह छात्र-छात्राओं के लिए ऐतिहासिक दिन है ।ऐसे कई विद्यार्थी है जो छोटे संस्थानों के पढ़े होने के बावजूद भी अपनी मेहनत के दम पर इस मुकाम पर पहुंच पाए है । इसके बाद उन्होंने रतन टाटा का उदाहरण देते हुए कहा कि जब तक आप जरूरतमंद की उंगली पकड़ कर इनको आगे नहीं ले सकते तब तक आप संतोष जनक नही हो पाएंगे ।साथ ही उन्होंने कहा कि 21 जून के दिन 15 लाख विद्यार्थियो ने प्रदेश भर से योग दिवस के कार्यक्रम में हिस्सा लिया और विश्व रिकॉर्ड बनाया । छात्र-छात्राओं को श्रीमती पटेल ने कहा कि अच्छे कार्य करते रहिए और भविष्य में आगे बढ़ते रहिए । इससे जीवन में आनंद और संतोष मिलेगा ।
संस्कार युक्त शिक्षा हमारी पहचान
समारोह में उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेंद्र उपाध्याय ने स्वामी विवेकानंद से जुड़ा शिक्षा और संस्कार का उदाहरण देते हुए कहा कि संस्कारयुक्त् शिक्षा ही हमारी पहचान है। उन्होने कहा कि शिक्षा तो हर कोई प्राप्त कर सकता है पर संस्कार नहीं। शिक्षा का मूल ही संस्कार है ।इसका उद्देश्य समाज के प्रति, देश के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।
कभी ममता भरी नसीहत,कभी प्रशासक की तरह निर्देश
छत्रपति शाहू जी महाराज के दीक्षान्त समारोह के समापन सत्र में कुलाधिपति श्रीमती आनंदी बेन पटेल ने अपने सम्बोधन में छात्रों को शिक्षा के साथ परिजनों की सेवा करने के भाव पर भी जोर दिया। कुलाधिपति ने अपने उद्बोधन के दौरान कभी एक कुशल प्रशासक की तरह निर्देश दिए तो ममता भरे लहजे में छात्र-छात्राओं से सीधी बात भी की। पूरे भाषण में राज्यपाल ने समाज के उत्थान में अपनी भूमिका तय करने की सीख दी। उन्होने पीएचडी के छात्रों के लिए स्नातक व परास्नातक के छात्रों की तरह ही लेक्चर की क्लास शुरू करने के निर्देश भी दिए। विवि के दीक्षान्त समारोह सभागार में अपने सम्बोधन में कुलाधिपति ने कहा कि जब एक बच्चा पढ़ लिखकर बड़ा होता है तो वह माँ बाप और समाज को भूलने लगता है.जिससे उसकी प्रगति मे रूकावट आने लगती है। उन्होने कहा कि कितने भी सफल हो जाए पर माँ बाप को मत भूलिए। उनके त्याग, अथक मेहनत और तपस्या का परिणाम आपकी सफलता है। एशियन गेम्स चीन मे आयोजित घुड़सवारी की प्रतिस्पर्धा मे गोल्ड लाने वाले चारों खिलाड़ियों का जिक्र करते हुए उन्होने बताया कि मां-बाप का आशीर्वाद हो तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं रहता है। चंद्रयान- 3 की सफलता को लेकर उन्होंने कहा कि बचपन मे सुना चंदा मामा दूर के लेकिन आज इन होनहार वैज्ञानिको के कारण भारत चाँद पर सफलतापूर्वक पहुंच सका है। ऐसे कॉलेज और यूनिवर्सिटी मे पढ़ने वाले ही छात्र- छात्राएं ऐसा काम करते है। विवि के पढ़े हमारे विद्यार्थी अलग अलग क्षेत्रों मे अपनी सेवाएं दे रहें है।
मदद करने से ही मिलेगा संतोष
कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने उद्योगपति रतन टाटा का उदाहरण देते हुए कहा कि टाटा कम्पनी आज भी देश-समाज के लिए दान करने वाली कंपनियों मे सबसे ऊपर है। उन्होने एक बार का वाकया बताते हुए कहा कि रतन टाटा को जब दक्षिण अफ्रीका का ऑयल प्रोजेक्ट मिला तब उन्हें गौरव का अहसास तो हुआ लेकिन संतोष नहीं हुआ। एक बार दिव्यांगों के लिए कार्य कर रही एनजीओ ने उनसे 500 व्हीलचेयर्स का उनके हाथो से दान करने के लिए आग्रह किया. टाटा जब 500 बच्चों को व्हीलचेयर प्रदान करने पहुंचे तो छोटे बच्चों के चेहरे की ख़ुशी और आनंद देख संतोष हुआ.जिसके बाद उन्होने यह समझा कि किसी असहाय की उंगली पकडकर सहायता करने से ही संतोष मिलेगा।
टॉपर्स ने क्या कहा—
कम्युनिकेशन में बढ़ाना है कानपुर का नाम
जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग में स्वर्ण पदक हासिल करने वाली कानपुर की कीर्ति कुमारी ने बताया कि वह हेल्थ एवं स्ट्रेटजिक कम्युनिकेशन में अपना भविष्य देखती है। हायर एजुकेशन के लिए पीएचडी के साथ- साथ फील्ड में अच्छा काम कर कानपुर का नाम रौशन करना उसका सपना है।
श्वेता साहू, त्रियुगी नारायण महाविद्यालय कानपुर देहात की छात्रा श्वेता साहू ने 5 पदक हासिल किए। जिसमे कुलाधिपति स्वर्ण पदक और कुलाधिपति रजत पदक शामिल है. स्वेता की माँ अध्यापक और पिताजी व्यवसायी हैं। परिवार में एक छोटी बहन भी है। श्वेता का सपना है कि वह उच्च शिक्षा में बेहतर काम करे। वह यूजीसी नेट पास कर यूनिवर्सिटी में अध्यापन कार्य करना चाहती है।
जीत शर्मा, डीबीएस कॉलेज गोविंद नगर कानपुर के जीत शर्मा ने तीन पदक प्राप्त किए हैं ।जिसमें कुलाधिपति स्वर्ण पदक और कुलाधिपति कांस्य पदक शामिल हैं। जीत के लिए पढ़ाना इनका पैशन है. माता गृहणी और पिताजी प्राइवेट जॉब करते थे जो रिटायर्ड हो चुके है. बीएड करके एमएड जॉइन किया. जिसमें प्रथम रैंक हासिल की है. भविष्य में प्रोफेसर बनना चाहते हैं.
शुभ्रा अग्रवाल, शुभ्रा अग्रवाल को 3 तीन पदक प्राप्त हुए हैं इसमें कुलाधिपति रजत पदक व कुलाधिपति कांस्य पदक शामिल है। हमेशा से पीएचडी करने का सपना रहा है. माता जी गृहणी है और पिताजी व्यवसायी हैं.माता पिता ने पढ़ाई में सपोर्ट किया।

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