यूपी19फरवरी*लखनऊ सहित पांच शहरों में लगेंगे डॉप्लर रडार, जो देंगे मौसम की सटीक जानकारी*
उत्तर प्रदेश में मौसम की सटीक भविष्यवाणी के लिए लखनऊ समेत प्रदेश के पांच शहरों में ‘डॉप्लर रडार, तहसील स्तर पर ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन (AWS) व ब्लॉक स्तर पर दो-दो आटोमेटिक रेन गेज (ARG) की स्थापना होगी। इसके लिए शासन का राजस्व विभाग, मौसम विभाग नई दिल्ली के साथ करार करेगा।
मौसम की सटीक जानकारी व आपदाओं में जनहानि व धनहानि रोकने के लिए यूपी सरकार ने लखनऊ, झांसी, अलीगढ़ व आजमगढ़ में एक्स बैंड व वाराणसी में एस-बैंड डॉप्लर रडार लगाने का फैसला किया है। रडार की खरीद व उसे स्थापित करने का काम मौसम विभाग करेगा। शासन के एक अधिकारी ने बताया, प्रदेश के मौसम संबंधी पूर्वानुमान के लिए मौसम केंद्र लखनऊ में एस-बैंड आधारित डॉप्लर रडार है। पश्चिमी भाग का पूर्वानुमान दिल्ली के और पूर्वी हिस्से का पटना (बिहार) में स्थित डॉप्लर रडार से लगाया जाता है। प्रदेश में कुछ चुनिंदा स्थानों पर वर्षा मापी यंत्र व ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन हैं। वर्तमान में वज्रपात की चेतावनी जिला स्तर पर ही मिल पा रही है, जबकि पूर्वानुमान अधिकतम दो-तीन किलोमीटर दायरे में समय से मिल जाना चाहिए। इसी तरह प्रदेश के किनारे के हिस्से वाले रडार के अंतिम परिधि क्षेत्र छाया क्षेत्र (शैडो एरिया) श्रेणी में हैं। यहां सटीक पूर्वानुमान कठिन होता है। आपदाओं में जनहानि व धनहानि रोकने के लिए सरकार ने लखनऊ, झांसी, अलीगढ़ व आजमगढ़ में एक्स बैंड व वाराणसी में एस-बैंड डॉप्लर रडार लगाने का फैसला किया है। रडार की खरीद व उसे स्थापित करने का काम मौसम विभाग करेगा। इस पर होने वाला खर्च राज्य सरकार उठाएगी।
*पूरे प्रदेश के लिए 450 ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन व 2000 ऑटोमेटिक रेनगे*
इस पर होने वाला खर्च राज्य सरकार उठाएगी। पूरे प्रदेश के लिए 450 ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन व 2000 ऑटोमेटिक रेनगेज लगाने पर सहमति बन गई है। ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन शहरी क्षेत्रों में भी स्थापित होंगे। मौसम विभाग इस काम के लिए यूपी सरकार को तकनीकी सहयोग देगा, जबकि खरीद राज्य सरकार करेगी। मौसम के सटीक पूर्वानुमान का लाभ शहरी क्षेत्रों में बाढ़ व यातायात प्रबंधन में भी होगा।
*हर 10-15 मिनट के अंतर पर स्थिति पता कर सकेंगे*
ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन व ऑटोमेटिक रेनगेज की खरीद के लिए विशेष विवरण तैयार किया जा रहा है। ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन की स्थापना से तापमान, आर्द्रता, हवा के प्रवाह, दबाव, दिशा, गति व वर्षा आदि के बारे में जानकारी हो सकेगी। मैनुअल व्यवस्था में 3-3 घंटे पर ये सूचनाएं जुटाई जाती हैं। इससे हर 10-15 मिनट के अंतर पर स्थिति पता कर सकेंगे। वहीं ऑटोमेटिक रेनगेज वर्षा की स्थिति, तापमान व आर्द्रता उपलब्ध कराएगी।
*क्या है डॉपलर रेडार जिसके बाद सटीक हो जाएगी मौसम की भविष्यवाणी, दो साल के अंदर बिछेगा पूरा नेटवर्क*
मौसम पूर्वानुमान प्रणाली को मजबूत करने और अपने मौसम संबंधी सेवाओं को और बढ़ाने के उद्देश्य से इस साल भारतीय मौसम विभाग ने खास तैयारी की है। साल 2025 तक पूरा देश डॉप्लर रेडार की जद में होगा।खराब मौसम को लेकर जो भविष्यवाणी IMD ने की है उसमें पिछले 9 साल में लगभग 40 फीसदी सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिन में मौसम विभाग की भविष्यवाणी और सटीक होगी। लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि आखिर यह डॉप्लर रेडार क्या है जिसके बाद मौसम विभाग की कोई भी भविष्यवाणी फेल साबित नहीं होगी। आइए सरल शब्दों में हम आपको समझाते हैं और आपके ज्ञान के सागर को और बढ़ते हैं।
*समझिए क्या है डॉप्लर रेडार जिसपर टिकी है सबकी निगाहें*
डॉप्लर रडार की मदद से मौसम विभाग को 400 किलोमीटर तक के क्षेत्र में होने वाले मौसम बदलाव के बारे में सटीक जानकारीमिल पाएगी। लेकिन कैसे? यह सवाल भी आपके मन में होगा। चलिए बताते हैं। असल में रेडार डॉप्लर प्रभाव का इस्तेमाल कर साइज में सबसे छोटी दिखने वालीं जिसे हम अतिसूक्ष्म तरंगे कह सकते हैं को भी कैच कर लेता है। जब यही तंरगे किसी भी वस्तु से टकराकर लौटती हैं तब यह रडार उनकी दिशा को आसानी से पहचान लेता है। इसके साथ यह हवा में तैर रहे माइक्रोस्कोपिक पानी की बूंदों को पहचानने के साथ यह उनकी दिशा का भी पता लगाने में सक्षम है। डॉप्लर रडार बूंदों के आकार, उनके रफ्तार से संबंधित जानकारी को हर मिनट अपडेट भी करता है। इस डेटा के अधार पर यह पता कर पाना मुश्किल नहीं होता है कि किस क्षेत्र में कितनी वर्षा होगी या तूफान आएगा। इससे IMD की भविष्यवाणी की सटीकता में काफी अंतर आएगा।
*डॉपलर सिद्धांत पर करता है काम*
यह डॉपलर सिद्धांत पर काम करता है। इस सिद्धांत के आधार पर रडार को एक पैराबोलिक डिश एंटीना और एक फोम सैंडविच स्फेरिकल रेडोम का उपयोग किया गया है। इसका उपयोग कर मौसम पूर्वानुमान एवं निगरानी की सटीकता में सुधार के लिए डिजाइन किया गया है। डॉपलर वेदर रडार में बारिश की तीव्रता, एयर ग्रेडिएंट और वेग को मापने के लिए उपकरण लगे होते हैं। यह धूल के बवंडर की दिशा के बारे में सूचित करते हैं। आईएमडी के अधिकारियों ने बताया कि यह हमारे लिए एक महत्वपूर्ण टूल के रूप में साबित होगा। इसकी मदद से राज्यों में आने वाली आपदाओं को टालने में भी मदद मिलेगी। खासकर उन राज्यों में जहां गरज, आंधी के साथ तूफान और भारी बरसात की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं। साल 2022 के डेटा के अनुसार, गरज के साथ बिजली की घटनाओं के चलते सबसे ज्यादा 1285 जिंदगियां गई हैं। वहीं बाढ़ और भारी बरसात के चलते 835 लोगों ने अपनी जान गंवाई है।
देश में डॉपलर रडार की संख्या 2013 में जहां माज्ञ 15 थी तो वहीं 2023 में यह बढ़कर 37 पर पहुंच गया है आने वाले 2 से 3 साल में देश में 25 और रेडार लगाए जाएंगे। जिसके बाद संख्या बढ़कर 62 हो जाएगी 2025 तक पूरे देश में डॉपलर रेडार नेटवर्क के अंदर आ जाएगा।
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