May 17, 2024

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चित्रकूट08अगस्त*छात्रों को स्कूल ले जाने में लगे कंडम वाहन, पर कार्रवाई नहीं*

चित्रकूट08अगस्त*छात्रों को स्कूल ले जाने में लगे कंडम वाहन, पर कार्रवाई नहीं*

चित्रकूट08अगस्त*छात्रों को स्कूल ले जाने में लगे कंडम वाहन, पर कार्रवाई नहीं*

चित्रकूट । जिले के कई निजी स्कूल सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को नहीं मान रहे हैं। सेफ स्कूल वाहन पालिसी का स्कूलों की ओर से पालन नहीं किया जा रहा है और न ही प्रशासन ही इसके लिए जागरूक है। कई स्कूल कंडम हो चुके वाहन को रंग करा कर इसका इस्तेमाल कर रहे हैं तो कई स्कूलों में 15 वर्ष की उम्र पार कर चुके वाहनों को चलाया जा रहा है। वहीं कुछ स्कूल संचालकों ने निजी वाहनों को स्कूलों के बच्चों को ढोने के लिए रखा है। यह ऐसे निजी वाहन है जिनमें किसी भी नियम का पालन नहीं किया जाता है। न तो इन वाहनों पर स्कूल का नाम लिखा होता है और न ही इसका रंग ही गोल्डन पीला होता है। कानून के मुताबिक वो ऐसा नहीं कर सकते हैं। अगर कोई दुर्घटना होती है तो इसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की बनती है।
*बाहरी राज्यों से लाई गई बसों का हो रहा प्रयोग*

कई स्कूलों में अन्य राज्यों से कंडम बसें लाकर यहां इस्तेमाल की जा रही हैं। इन बसों का दुर्घटना होने की सूरत में कोई क्लेम नहीं मिलता। विभाग भी सिर्फ UP नंबर वाली गाड़ियों को ही इस पॉलिसी के तहत पास करता है और वह भी स्कूल से लिखित लेने के बाद। जिले में सैकड़ो के करीब स्कूल वैन चल रही हैं।

*अब देखे नियम क्या हैं और क्या नियम तहत स्कूल प्रबंधन काम कर रहा है?*

1. बस गोल्डन पीले रंग की होनी चाहिए।
2. टैंपर प्रूफ स्पीड गवर्नर लगे हों, अधिकतम स्पीड 50 किमी. प्रति घंटा।
3. बस का फिटनेस और इंश्योरेंस सर्टिफिकेट हो।
4. बसों की विडो में ग्रिल लगी होनी चाहिए, भीतर कोई पर्दा नहीं हो।
5. बस में स्कूल का नाम लिखा पीछे हेल्पलाइन नंबर व स्कूल का नंबर हो। स्कूल आटो के लिए

1. *आरटीए से मान्यता प्राप्त ऑटो में 5 से अधिक बच्चे न बैठे हों। दोनों ओर ग्रिल्स लगी होनी चाहिए।*

2. *एक महिला वार्डन छोटे बच्चों की निगरानी के लिए हो।*

3. *सीसीटीवी कैमरा लगा होना चाहिए।*

4. *समय-समय पर ड्राइवर की मेडिकल जांच होनी चाहिए।*

इस नियम के अनुसार क्या स्कूल प्रबंधन की गाड़ियां चल रही है,अगर नही हैं तो अभिभावकों का दायित्व है स्कूल प्रबंधन से अपने बच्चों के सुरक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए।
वहीँ आपको बता दे ट्रॉफिक पुलिस के द्वारा समय-समय पर शहर के ट्रॉफिक चौराहे पर यातायात नियमो के तहत जांच भी की जाती है। लेकिन परिवहन विभाग इन सब बातों पर ध्यान कभी नही देता जिससे कंडम गाड़ियों को हटाया जाए।

*रिपोर्ट-सुरेन्द्र सिंह कछवाह ब्यूरो चित्रकूट*

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