रोहतास24जून25*क्या केवल जन्मदिवस मनाने के लिए है स्वंत्रता सेनानी अब्दुल क्यूम अंसारी ?
वीरान और खण्डहर हो गई है,हवेली सफिया मिस्कीन
डिहरी (रोहतास)
संवाददाता इमरान अली यूपीआजतक ✍️
भारत -पाकिस्तान बटवारा के प्रबल विरोधी रहे अब्दुल क्यूम अंसारी का सफिया मिस्कीन (अंसारी भवन )आज खंडहर में तब्दील हो गया है। एक जुलाई 1905 में इसी हवेली में अब्दुल क्यूम अंसारी जन्म हुआ था। आज यह अंसारी भवन जर्जर होकर अपनी बुनियाद खो रहा है। अवैध कब्जे की भेट चढ़ रहा है,इस भवन की परती जमीन पर ! लेकिन प्रशासन चुप रहे। अवैध कब्जा होता रहा।
क्या है इस भवन की गाथा —आजाद भारत का जज्बा लिए क्यूम अंसारी ने 15 वर्ष की उम्र में ही डेहरी खिलाफत कमिटी और कॉग्रेस कमिटी का गठन की थी । सन 1922 में इसी हवेली से असहयोग आन्दोलन का संचालन किया गया था। सन 1927 में साईमन कमीशन का विरोध का केंद्र बिंदु यही हवेली रही। सन 1946 में हुए इलेक्शन में मुस्लिम लीग को हराया और पहली बार इस क्षेत्र से मंत्री बने। जब मंत्री बने तो डेहरी को छोड़ पटना शिफ्ट हो गए। सन 1925 में अब्दुल क्यूम अंसारी ने पहला छापाखाना लगवाया। इसी हवेली से अल -मोमिन और मुसावत अखबार भी छपता था। यह हवेली सन 1947 के से ही रह गया। राजनैतिक अव्यस्तथा के कारण हवेली गृह रक्षा वाहिनी के अधीन चला गया। हवेली का दरवाजा,खिड़की सब गायब है। हवेली के सामने की परती जमीन अवैध कब्जे में चली गई है।
अब्दुल कयूम अंसारी के वंशज कौन है?– 18 जनवरी 1973 को मृत्यु के बाद अब्दुल कयूम अंसारी के दो पुत्र खालिद अनवर अंसारी और हसन निशात अंसारी रहे है। खालिद अनवर अंसारी डिहरी विधानसभा क्षेत्र से सन 1985 में जीते और सरकार में मंत्री भी बने। राजनीति में केवल खालिद अनवर अंसारी ही रहे। लेकिन अपने पैतृक कर्मभूमि पर ध्यान नहीं दिया।अब उनका पौत्र तारिक अनवर अंसारी बचे है। उसे भी अपने दादा स्वतंत्रता सेनानी का जन्मदिन और पुण्यतिथि याद रहता है। लेकिन उनके जन्म स्थान को बचाने की फ़िक्र नहीं है।
कुछ तो किया इसने –सन 1980 से लगातार इस क्षेत्र के विधायक और मंत्री रहे मो0 इलियास हुसैन ने स्वतन्त्रता सेनानी अब्दुल क्यूम अंसारी की राष्ट्रीय योगदान को जीवित रखने की योजना बनाई। 2002 में करीब दो करोड़ की लागत से डिहरी शहर में नगर भवन बनवाने की योजना बनाई। 23 अक्टूबर 2003 में इसका उद्घाटन निवर्तमान मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने किया। इस उद्घाटन में खालिद अनवर अंसारी भी मौजूद थे। इस भवन में 2000 लोगो की बैठने की क्षमता है। 2004 में डिहरी शहर के कैनाल रोड का नाम अब्दुल क्यूम अंसारी के नाम किया गया।
नाम का फायदा जिसने भी उठाया वो लौट के नहीं आये -अब्दुल क्यूम अंसारी के नाम जन्मशताब्दी मनाकर अली अनवर राज्यसभा पहुंचे। फिर लौट के डेहरी इनको देखने वापस नहीं आये। बार-बार कई मुस्लिम नेता अब्दुल क्यूम अंसारी के जन्मदिन और वफ़ात मनाने की होड़ लगाए रहते है और क्षेत्र से गायब भी हो जाते है। यह सिलसिला जारी है। लोगो का कहना है कि लेकिन इनके नाम का धरोहर के रूप डिहरी विधायक ने कुछ दिया है।
इन दिनों स्वतंत्रता सेनानी स्व ० अब्दुल क्यूम अंसारी की चर्चा डिहरी में जोरों पर है। इनकी वोमे वफ़ात (पुण्यतिथि )18 जनवरी को है। इनके समर्थक रोहतास ,नौहट्टा ,तिलौथू डिहरी ,नासरीगंज, नोखा ,बिक्रमगंज से लेकर पुराना शाहाबाद तक फैला है। लोग आज भी इनकी सादगी,ईमानदारी और सच्ची सेवा की चर्चा करते नहीं थकते। इसी वजह से अब्दुल क्यूम अंसारी के नाम पर आज भी लोग जाति,धर्म,ऊंच -नीच के भेद मिटाकर एकजुट हो जाते है। इसी का फायदा बिहार के कुछ लोगो ने अपनी स्वार्थ की राजनीति को भुनाया। इनमे अली अनवर ,खालिद अनवर अंसारी ,रियासत अंसारी क्रमश सरीखे चर्चित नेतागण शामिल है।आज भी यह दौर जारी है। लेकिन इनका मकान और जायदाद का रखवाला कोई नहीं हुआ। अंसारी साहब के खानदान के वारिसों ने तो इनकी कई बीघा जमीन बेच डाला , आज इनकी हवेली जीर्णशीर्ण हालत में खंडहर के साथ-साथ अवैध कब्जे के गिरफ्त में है। इसका खोज खबर लेनेवाला भी आज कोई नहीं है।
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