गुजरात19जून25*समुद्र की गोद में बैठा एक प्राचीन शिव मंदिर
रावण की एक गलती और भगवान विष्णु का बालक रूप… जानें कच्छ के कोटेश्वर मंदिर की क्यों है इतनी मान्यता, विराजमान हैं यहाँ स्वयं ‘संपत्ति के ईश्वर’
गुजरात के कच्छ जिले में रेगिस्तान के रास्ते जब थकने लगते हैं तब समुद्र की गोद में बैठा एक प्राचीन शिव मंदिर दिखता है। जिसका नाम है कोटेश्वर महादेव मंदिर। यहाँ भगवान शिव स्वयं कोटेश्वर रूप में विराजमान हैं, जिन्हें ‘संपत्ति के ईश्वर’ भी कहा जाता है। कोटेश्वर मंदिर भारत की आखिरी सीमा पर स्थित है। इसके आगे सिर्फ पानी है और पाकिस्तान की सरहद।
मान्यताओं के अनुसार, कोटेश्वर मंदिर का संबंध रावण से भी है। कहा जाता है कि रावण ने भगवान शिव से खुश होकर शिवलिंग माँगा था, जिसे वह लंका ले जाना चाहता था। शिव जी ने उसे एक शर्त के साथ शिवलिंग दिया कि रास्ते में उसे कहीं भी ज़मीन पर नहीं रखना है, लेकिन रावण रास्ते में थक गया और उसने एक चरवाहे बालक (जो स्वयं भगवान विष्णु थे) से मदद माँगी। उस बालक ने शिवलिंग को ज़मीन पर रख दिया। फिर वो बालक भी वहीं बैठ गया। आज उसी स्थान को कोटेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है।
मंदिर का इतिहास
कोटेश्वर मंदिर का जिक्र सबसे पहले ‘स्कंद पुराण’ में मिलता है। मंदिर का विस्तार मौर्यकाल (लगभग तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व) में हुआ। इतिहासकारों के अनुसार, ये स्थान पहले बौद्ध धर्म का केंद्र भी रहा है, लेकिन धीरे-धीरे यह शिव उपासना का बड़ा स्थल बन गया। 10वीं शताब्दी में सोलंकी वंश के शासकों ने मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया और इसे गुजरात के प्रमुख तीर्थस्थलों में शामिल किया। वहीं, 1819 में आए भूकंप से इस क्षेत्र को काफी नुकसान हुआ था लेकिन इसके बाद ब्रिटिश शासन में मंदिर का आंशिक पुनर्निर्माण किया गया।
मंदिर की संरचना
मंदिर की संरचना बहुत ही साधारण लेकिन प्रभावशाली है। यह पूरी तरह से पत्थरों से बना हुआ है और इसकी बनावट पारंपरिक नागर शैली में है। जो गुजरात के मंदिरों की खास पहचान होती है। मंदिर का गर्भगृह छोटा है लेकिन बेहद पवित्र माना जाता है। इसके ऊपर ऊँचा शिखर है जो दूर से ही दिखाई देता है।
मंदिर की दीवारों पर नजर आने वाली सादगी ही इस मंदिर की सबसे बड़ी खूबसूरती है। समुद्र के किनारे स्थित होने के कारण यहाँ हमेशा ठंडी हवा बहती रहती है जो मंदिर के वातावरण को और भी पवित्र बना देती है।
मंदिर तक कैसे पहुँचे ?
कोटेश्वर मंदिर तक पहुँचने के लिए पहले भुज आना होगा। भुज से यहाँ की दूरी करीब 150 किलोमीटर है, जिसे सड़क के रास्ते से आराम से तय किया जा सकता है। भुज रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट से यहाँ के लिए टैक्सी और बसें उपलब्ध हैं। मंदिर तक जाने वाली सड़कें अब काफी बेहतर हो चुकी हैं। रास्ते में नारायण सरोवर और लखपत जैसे अन्य धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल भी पड़ते हैं, जिनका दर्शन करते हुए कोटेश्वर पहुँचा जा सकते है।
More Stories
मथुरा 19 जून 2025 नगर निगम की लापरवाही के चलते लोगों को करना पड़ रहा है परेशानी का सामना
मथुरा19जून25* थाना माँट पुलिस ने 08 बोरा अवैध भांग और एक टैक्टर ट्रोला बरामद किया।
जालौन19जून25*बच्चों के बीच शुरू हुए झगड़े में बड़े कूदे, आधा दर्जन हुए घायल पहुंचाया गया अस्पताल