बिजनौर19मई25*आदमखोर गुलदारों के कब्जे में बिजनौर,एक साल में इतनी हुईं मौतें,आंकड़े दे रहे गवाही*
बिजनौर।उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में गुलदारों का ग्रामीणों पर कहर जारी है।बीते तीन साल में 70 ग्रामीण और मजदूर और पिछले एक साल में 30 से ज्यादा लोगों की गुलदार मार चुके हैं।बीते पांच दिनों में सात लोगों पर गुलदारों ने हमला किया,गुलदारों के हमले में तीन लोगों की जान चली गई और चार लोग घायल हो गए।अब जिले के चांदपुर तहसील में गुलदार ने महिला पर हमला कर उसकी जान ले ली।
इससे पहले बुद्धवार को ध्यान सिंह,शुक्रवार को कमलजीत सिंह को गुलदारों ने अपना निवाला बना लिया था।बाताया जा रहा है कि रविवार को चांदपुर तहसील के सब्दलपुर तेली गांव में शमीना अपनी भतीजी के साथ अपने जानवरों के लिये चारा काटने गई थीं।चारा लाते समय अचानक दोनों पर गुलदार ने हमला कर दिया।भतीजी ने दौड़कर गांव में जाकर लोगों को गुलदार के हमले की बात बताई।हालांकि जब तक ग्रामीण खेत तक पहुंचे, तब तक गुलदार शमीना के गर्दन और कंधे को खा चुका था,इसके बाद गुलदार भीड़ देखकर भाग गया।
शमीना के चार बच्चे थे।ग्रामीणों में दहशत और आक्रोश है। घटना की सूचना मिलते ही चांदपुर उपजाऊ नितिन तेवतिया और रेंजर दुष्यंत कुमार सब्दलपुर तेली गांव पहुंचे, दोनों को देखते ही ग्रामीण भड़क उठे और गांव में गुलदारों के लगातार हमलों के बावजूद कोई ठोस कारवाई नहीं करने का आरोप लगाकर खरी खोटी सुनाई।एसडीएम ने गुलदारों को पकड़वाने के लिए गांव में दस पिंजरे लगवाने का आश्वासन दिया।
बता दें कि बिजनौर जिला गन्ना बाहुल्य क्षेत्र है।गुलदार गन्ने के खेतो में अपना बसेरा बनाए हुए हैं,गुलदारों से मजदूर भी खेतों पर काम करने से डर रहे हैं,जिससे समय पर फसलों की खुदाई, खाद,पानी और देखभाल नहीं हो पा रही है।बिजनौर एक कृषि आधारित जिला है।यहां की 80 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर खेती किसानी पर निर्भर है,लेकिन जिले के लिए तीन सालों से गुलदार एक बहुत बड़ी समस्या बन चुके हैं।हालांकि वन विभाग की टीमें 110 से ज्यादा गुलदार पकड़ भी चुकी हैं, लेकिन गुलदारों की संख्या कहीं ज्यादा है, इसीलिए जागरूकता ही बचाव है।वन विभाग ने गांवों में गश्त के लिए टास्क फोर्स भी तैनात कर रखी है।साथ ही गुलदारों से बचने के लिए वन विभाग ने एडवाइजरी भी जारी कर रखी है। एडवाइजरी में कहा गया कि खेतों में काम करने जाते समय पांच-सात लोगों को इकट्ठा जाएं, बच्चे और बुजुर्ग खेतों में न जाएं,रात को खेतों में न जाएं,मोबाइल, रेडियो पर तेज अवाज में गाने और भजन बजाते हुए खेतों काम करें,जिससे गुलदार अवाज सुनकर भाग जाए,खेत में काम करते समय एक-दो लोग डंडे भाले बरछी के साथ पहरा भी दें।
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