June 25, 2025

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औरैया21अक्टूबर*गौशालाओं में नहीं सुधर रही मवेशियों की सेहत,तड़प- तड़प कर प्राण गवा रहे मवेशी*

औरैया21अक्टूबर*गौशालाओं में नहीं सुधर रही मवेशियों की सेहत,तड़प- तड़प कर प्राण गवा रहे मवेशी*

औरैया21अक्टूबर*गौशालाओं में नहीं सुधर रही मवेशियों की सेहत,तड़प- तड़प कर प्राण गवा रहे मवेशी*

*हाईवे रोड, शहर की सड़कों, बाजारों व गलियों में आवारागोवंशशों का रहता जमावड़ा*

*छुट्टा गौबंशो के संरक्षण को लग रहा पलीता, संरक्षित मवेशियों की हालत बद से बदतर*

*औरैया।* जिले में गोवंशों के संरक्षण के लिए शासन के आदेश पर प्रशासन द्वारा विभिन्न गौशालाओं को खोला गया है , जिन्हें अन्ना गोवंश संरक्षण केंद्र बनाया गया है। इन संरक्षण केंद्रों पर गोवंशों की समुचित देखभाल नहीं हो पाने के चलते गौशालाओं में सुधार नहीं हो पा रहा है। वही मवेशियों की सेहत बिगड़ रही है, जिसके चलते गोवंश तड़प-तड़प कर अपने प्राण गवा रहे हैं। छुट्टा गोवंशों की देखरेख में पलीता लग रहा है, वही संरक्षित गोवंशों की हालत बद से बदतर है। गोवंश आश्रय संरक्षण केंद्र खोले जाने के बावजूद आवारा मवेशी हाईवे रोड शहर की सड़कों बाजारों वह बस्ती में की गलियों में जमावड़ा लगाए देखे जा सकते हैं। इसके अलावा आवारा स्वच्छंद घूम कर रहे गोवंशों के कारण मार्ग दुर्घटनाओं में इजाफा हुआ है। गौ संरक्षण केंद्र चलाने के लिए शासन व प्रशासन द्वारा व्यापक तौर से धनराशि उपलब्ध कराई जाती है। इसके बावजूद गौशालाओं में गोवंशो की हालत नहीं सुधर रही है। प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर गौशाला संचालक खानापूर्ति कर इतिश्री कर लेते हैं। आखिर गौवंश संरक्षण केंद्रों की स्थिति कब और कैसे सुधरेगी यह एक यक्ष प्रश्न है?
भले ही शासन व प्रशासन गौ संरक्षण केंद्रों को खोलकर अपनी पीठ थपथपा रहा हो, लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ अलग ही है। देखने में आ रहा है कि जनपद में खुली गौशालाओं में गौवंशों की स्थिति बहुत ही खराब है , जिसमें सुधार नहीं हो पा रहा है। इसी के चलते विभिन्न गौशालाओं में गौवंश तड़प-तड़प कर मर रहे हैं। जनपद की विभिन्न गौशालाओं में गौवंश मरने की खबरें आम हो चुकी हैं। जिले में करीब 44 गौशाला खुली हुई है। इसके साथ ही औरैया विकासखंड में भी कई गौशालाऐ संचालित है। जिनमें भी गौवंशों को समुचित भूसा व दाना उपलब्ध नहीं हो पाता है। जिसके कारण गोवंश भूखे रह जाते हैं। इसके अलावा बीमार पड़ने के कारण तड़प-तड़प कर दम तोड़ देते हैं। गौ संरक्षण केंद्र खोले जाने के बावजूद औरैया के हाईवे रोड एवं शहर की विभिन्न सड़कों के साथ ही विभिन्न मोहल्लों की बस्ती की गलतियों में आवारा गौवंश घूमते रहते हैं। कहीं कहीं पर तो गौवशों का जमावड़ा एकत्र हो जाता है। जिसके चलते आए दिन मार्ग दुर्घटनाएं घटित होती रहती हैं। गौशालाओं में मर रहे गौवंशों को लेकर प्रशासनिक अधिकारी कोई ठोस कदम नहीं उठा कर खानापूर्ति कर मूकदर्शक व तमाशाई बन जाते हैं। गौवंशों की देखभाल के लिए शासन द्वारा व्यापक तौर पर धनराशि उपलब्ध कराई जाती है। इसके बावजूद गौ संरक्षण केंद्रों पर कोई सुधार नहीं हो पाता है। गौशालाओं के खोले जाने के बावजूद अनगिनत आवारा मवेशी जिले में किसानों की फसलों को चरकर नष्ट कर देते हैं। इसी के चलते किसान बुरी तरह से हतोत्साहित है।
इस संबंध में जब सीडीओ अनिल कुमार सिंह से वार्ता करते हुए जानकारी चाही , जिस पर उन्होंने बताया कि जनपद में कुल 44 गौशाला संचालित हैं। जिनमें कुल गौवंशो की संख्या 5 हजार 897 है। जिनमें से 10 गौशालाए विकासखंड शहर में है। जबकि 34 गौशालाऐं देहात क्षेत्र में संचालित हैं। इनमें से दस गौशाला में नगर पालिका क्षेत्र में है , तथा तीन वृहद गौशाला संरक्षण केंद्र है। जोकि विकासखंड औरैया की ग्राम पंचायत जैतापुर के मजरा मिर्जापुर बेरमशाह में है। वहीं दूसरी गौशाला विकासखंड भाग्यनगर थाना दिबियापुर क्षेत्र के ग्राम उमरी में संचालित है। इसके अलावा विकासखंड अछल्दा क्षेत्र के ग्राम रजुआमऊ में गौशाला निर्माणाधीन है। उन्होंने बताया कि सहार में कुल 659 गौवंश संरक्षित केंद्र पर हैं। शेष ग्रामीण क्षेत्रों की गौशालाओं में में है। अंत में उन्होंने बताया कि प्रत्येक गौवंश के लिए दैनिक रूप से 30 रुपए व माह में 900 रुपए शासन के निर्देशानुसार उपलब्ध कराए जाते हैं।

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