कानपुर नगर 27 मार्च24*सीएसआर प्रावधानों से संबंधित प्रावधानों और दायित्वों पर एक सत्र आयोजित किया गया।
*आज दिनाँक 27 मार्च, 2024 को अपरान्ह 03:00 बजे, मर्चेंट्स चेम्बर ऑफ उत्तर प्रदेश की फिस्कल कमिटी द्वारा एमएसएमई से संबंधित आयकर की धारा 43 बी(एच) के तहत प्रावधानों, तथा कंपनी अधिनियम के तहत सीएसआर प्रावधानों से संबंधित प्रावधानों और दायित्वों पर एक सत्र आयोजित किया गया।
खरीदार 31.3.2024 से पहले अत्यंत लघु (सूक्ष्म) एवं लघु वस्तु एवं सेवा प्रदाता को समय सीमा के अंतर्गत भुगतान करना सुनिश्चित करना अन्यथा आयकर अधिनियम 1961 के तहत तत्सम्बन्धित खर्चों की अस्वीकृति का सामना करेंगे।
आयकर अधिनियम, 1961 में नई जोड़ी गई धारा 43बी (एच) के प्रावधानों के प्रभाव और कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी से संबंधित कुछ मुद्दों और अनुपालनों पर चर्चा करने के लिए आज समिति कक्ष में मर्चेंट चैंबर की राजकोषीय समिति की एक बैठक आयोजित की गई।
समिति के सलाहकार श्री सुधींद्र जैन ने सभी सदस्यों का स्वागत किया और समिति के अध्यक्ष सीए राजीव मेहरोत्रा चर्चा के तहत विषयों के महत्व से अवगत कराया क्योंकि सभी व्यवसायों द्वारा तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
धारा 43बी(एच) के प्रावधानों पर चर्चा करते हुए वक्ता सीए अंजनी खेतरपाल ने एमएसएमई अधिनियम, 2006 के प्रावधानों के साथ पढ़ी जाने वाली आयकर अधिनियम की धारा 43बी(एच) के प्रावधानों पर विस्तार से बताया। निर्धारण वर्ष 2024-15 यानी चालू वित्तीय वर्ष से। सूक्ष्म और लघु उद्यमों को 31.03.2024 को बकाया धनराशि का भुगतान को आयकर अधिनियम के तहत अस्वीकृति का सामना करना पड़ेगा। शेष धनराशि की गणना एमएसएमई अधिनियम, 2006 के तहत निर्दिष्ट भुगतान देय तिथियों के आधार पर की जानी है। प्रावधान में कुछ राहत है कि भुगतान के वर्ष में अस्वीकृति को आयकर अधिनियम के तहत कटौती के रूप में अनुमन्य होगा। वह वर्ष जब सूक्ष्म/लघु उद्यम को वास्तव में ऐसी शेष देय राशि का भुगतान किया जाता है।
ये प्रावधान एमएसएमई अधिनियम के तहत सूक्ष्म या लघु उद्यमों के रूप में पंजीकृत संस्थाओं से की गई सभी खरीद या किए गए खर्च या प्राप्त सेवाओं के संबंध में लागू हैं। यह भी स्पष्ट किया गया कि भले ही अनुबंध की शर्तों में अन्यथा कहा गया हो, 45 दिनों से अधिक किया गया कोई भी भुगतान ब्याज के साथ-साथ अस्वीकृति के लिए उत्तरदायी है।
सभी व्यवसाय एमएसएमई अधिनियम के तहत सूक्ष्म या लघु उद्यमों के रूप में अपने पंजीकरण के संबंध में अपने आपूर्तिकर्ताओं से जानकारी प्राप्त करने के लिए बाध्य हैं, जिससे अनुपालन बोझ बढ़ जाएगा। सभी आयकर दाता जो टैक्स ऑडिट की परिधि में आते है उनको अनुपालन, पारदर्शिता और जानकारी सुनिश्चित करने के लिए टैक्स ऑडिट रिपोर्ट में भी उपयुक्त बदलाव किए गए हैं।
इस प्रकार 31 मार्च 2024, इस संबंध में एक बहुत ही महत्वपूर्ण तारीख होने के नाते, प्रत्येक व्यवसायी को एमएसएमई के प्रति अपनी देनदारी पर विचार करना चाहिए। यह उल्लेख किया गया था कि ऐसी कठिनाइयों के कारण इस धारा के प्रावधानों को स्थगित करने के लिए वित्त मंत्रालय को कई अभ्यावेदन भेजे गए थे, लेकिन इन्हें स्थगित नहीं किया गया है क्योंकि इन्हें एमएसएमई क्षेत्र के हित में बनाया गया बताया गया है।
जहां तक सीएसआर की चर्चा का संबंध है, यह कुछ उभरते मुद्दों पर केंद्रित थी और यह ध्यान में लाया गया कि आरओसी नियामक फाइलिंग के लिए कंपनियों को नोटिस जारी कर रही है। इसके अलावा, गणना/प्रयोज्यता, तरीके और प्रभाव रिपोर्टिंग पर चर्चा की गई। यह भी कहा गया कि अब कंपनियों और लेखा परीक्षकों, जिनमें सीएसआर लागू है, को कंपनी द्वारा अपनी वार्षिक रिपोर्ट में और लेखा परीक्षकों द्वारा अपनी लेखा परीक्षा रिपोर्ट में व्यापक रिपोर्टिंग करनी होगी, और कंपनी अधिनियम में कई नियामक अनुपालन प्रदान किए जाते हैं, ऐसा न करने पर चूक करने वाली कंपनियाँ और अधिकारी पर्याप्त दंड के लिए उत्तरदायी हैं।
चर्चा में व्यापार और उद्योग जगत के कई सदस्यों ने भाग लिया जिनमें सुशील शर्मा, मनु अग्रवाल, अतुल अग्रवाल, संतोष गुप्ता, चैम्बर के सचिव महेंद्र नाथ मोदी तथा चैम्बर के अन्य सदस्य उपस्थित थे।
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