कानपुर16फरवरी24*◆ कानपुर के इस परिदृश्य को देखकर निश्चित रूप से हम यह कह सकते है कि नमामि गंगे मिशन सफल हुआ-*
*◆ 30 हजार करोड से ज्यादा लागत के नमांमि गंगे के तहत कार्य कराये गये-*
*◆ जाजमऊ का सी0ई0टी0पी0/एस0टी0पी0 सवा छः सौ करोड की लागत का एशिया का सबसे बडा ट्रेनरी सेक्टर ट्रीटमेन्ट प्लान्ट है-गजेन्द्र सिंह शेखावत*
*कानपुर नगर, दिनांक 16 फरवरी, 2024 (सू0वि0)*
मा0 मंत्री जल शक्ति विभाग भारत सरकार गजेन्द्र सिंह शेखावत व मा0 मंत्री जल शक्ति विभाग उत्तर प्रदेश सरकार स्वतंत्र देव सिंह द्वारा आज जाजमऊ सी0ई0टी0पी0/एस0टी0पी0 का स्थलीय निरीक्षण किया गया, निरीक्षण के समय जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह सहित सम्बन्धित अधिकारीगण उपस्थित रहे।
निरीक्षण के पश्चात मा0 मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि 2014 में वाराणसी से चुनाव लड़ने के बाद मा0 प्रधानमंत्री जी ने माँ गंगा के सामने यह संकल्प व्यक्त किया था की माँ गंगा की अविरलता व निर्मलता सुनिश्चित कराई जाएगी। माँ गंगा को अविरल व निर्मल बनाने के लिए पिछले 10 दशकों से जो आधी-अधूरी तैयारी से प्रयास किए गए थे उनका सार्थक परिणाम नहीं आया। मा0 प्रधानमंत्री जी ने कहा कि माँ गंगा ने मुझे अपनी सेवा का अवसर प्रदान किया। मा0 प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में माँ गंगा की अविरलता व निर्मलता सुनिश्चित कराने के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया और पिछले लगभग 09 साल एलाउसमेन्ट से लेकर अब तक व निरन्तर किए गए कार्य लगभग 30 हजार करोड़ से ज्यादा लागत के पानी के शोधन व इन्फ्रास्ट्रक्चर गंगा नदी की सहायक नदियों पर इस तरह से इन्फ्रास्ट्रक्चर वेटलेन्ट का कन्जरवेशन, गंगा नदी के पूरे ईको सिस्टम को सुधारने के लिए समन्वित प्रयास नमामि गंगे मिशन के तहत हुये।
कानपुर के इस परिदृश्य को देखकर निश्चित रूप से नमामि गंगे मिशन सफल हुआ है, इस पर मोहर लगाई जा सकती है। कार्य के प्रारम्भ में जब माँ गंगा की अविरलता व निर्मलता के सम्बन्ध में प्रश्न चिन्ह खड़े किए जाते तब कानपुर का सीसामऊ नाला इसका पिक्चर, व्यूजवल दिखाया जाता था, लेकिन आज वो सीसामऊ का नाला जो 14 करोड़ लीटर पानी रोज गंदा सीवरेज का गंगा में छोड़ता था, आज वो एक पिकनिक स्पाट जैसा बन गया है। कानपुर लेदर इण्ड्रस्टी विश्व विख्यात है लेकिन प्रापर ट्रीटमेन्ट प्लान्ट न होने के कारण जो पुराना ट्रीटमेन्ट प्लान्ट था वह 09 MLD का था, उसकी शिथिलता के चलते यहाँ उद्योगों को सरकारों ने मा0 न्यायालयों ने आधे-अधूरी क्षमता से चलाने के निर्देश दिये थे या बन्द कर दी गयी थी। ये पुराना ट्रीटमेन्ट प्लान्ट भी प्रापर तरीके से ट्रीट नही कर पा रहा था। लगभग सवा छः सौ करोड की लागत का एशिया का सबसे बडा ट्रेनरी सेक्टर का ट्रीटमेन्ट प्लान्ट मा0 प्रधानमंत्री जी के आर्शीवाद से कानपुर में बना, जिसमें 20 MLD पानी को ट्रीटकर और उसको विश्व स्तरीय जो मानक है उस मानक में पानी को लाकर के और बाद में इससे निकलने वाले पानी को खेतो में सिचाई के लिये भेजा जा रहा है। जहां पहले ट्रीटमेन्ट प्लान्ट न होने से जो जहरीला पानी टेनरी से जाता था वो जहरीला पानी गंगा जी में जाने से जलीय जीवन बिलकुल समाप्त हो गया था। कानपुर में ऐसा कहा जाता था कि यदि गंगा में हाथ की अंगुलियों को डालकर निकालो तो उसका रंग बदल जाता है। नदी में रहने वाले जीव का यहां रहना सम्भव नही था।
मा0 प्रधानमंत्री जी के प्रयासों से माँ गंगा की अविरलता व निर्मलता जिस प्रकार स्थापित हुयी है मैं गर्व से कह सकता हूँ कि 2025 तक गंगा नदी में एक बूंद अशुद्ध जल नही गिरेगा, कुम्भ आने तक यह परिस्थति कर देंगे, कुम्भ आने वाले श्रद्धालु माँ गंगा के अविरल व निर्मल जल से स्नान कर सकेंगे।
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