इलाहाबाद03दिसम्बर23*ऑक्सफोर्ड ऑफ द ईस्ट – स्थापना दिवस की शुभकामनाएं
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की गौरव गाथा 23 सितंबर 1887 के ऐक्ट के द्वारा इलाहाबाद विश्वविद्यालय की शुरुआत हुई। यूनाईटेड प्राविन्स के तत्कालीन गवर्नर लार्ड म्योर के मनः संकल्प से वर्ष 1867 में अंकुरित पाश्चात्य एवं प्राच्य संस्कृति, सभ्यता, गौरव, वैभव, विद्या-विवेक के संगम के रूप में संगम तट पर रोपित बीज, 23 सितम्बर 1887 के अधिनियम xvii द्वारा इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना के रूप में मूर्त रूप ले प्रकट हुआ।
तब से लेकर अब तक इस विश्वविद्यालय की महान परंपरा निरंतर अग्रगामी ही है। विश्वविद्यालय से जुड़ने वाली एवं इस में चार चांद लगाने वाली अनेक विभूतियां रही हैं। जिन्होंने विश्वविद्यालय के ज्ञान-सूर्य को सदैव दैदीप्यमान रखा। विश्वविद्यालय में अध्यापन करने वाले विशिष्ट गुरुजन एवं अध्ययनरत छात्रों की नामावली ही इतनी विशिष्ट है कि चांदनी रात में चमकते सितारों की कांति भी उनके आगे कांति हीन एवं संख्या अगणित लगती है। पंडित मोतीलाल नेहरू, पंडित गोविंद बल्लभ पंत, पंडित शंकर दयाल शर्मा, विश्वनाथ प्रताप सिंह, चंद्रशेखर, सूर्य बहादुर थापा नेपाल के प्रधानमंत्री, नारायण दत्त तिवारी, मुरली मनोहर जोशी, अर्जुन सिंह, रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी, हरिश्चंद्र (गणितज्ञ), दौलत सिंह कोठारी, महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन, धर्मवीर भारती, कमलेश्वर, मृणाल पांडे, दुष्यंत कुमार, भगवती चरण वर्मा, विभूति नारायण राय, आचार्य नरेंद्र देव, चंद्रधर शर्मा गुलेरी, महर्षि महेश योगी, मोहम्मद हिदायतुल्लाह, प्रोफेसर मेघनाद साहा, डॉक्टर गोरख प्रसाद, प्रोफेसर बीएन प्रसाद, प्रोफेसर टी पत्ती, अमरनाथ झा केके मेहता, के सी चट्टोपाध्याय, ईश्वरी प्रसाद, सर गंगा नाथ झा, प्रोफेसर नील रतन धर आदि इलाहाबाद विश्वविद्यालय से निरंतर प्रवाहित होने वाली आकाशगंगा के कुछ अत्यंत शोभायमान और प्रकाश मान नक्षत्र रहे हैं, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में शिखर प्राप्त कर अपनी क्षमता योग्यता से न केवल शिखर अपितु शिखर पर स्थिरता भी प्राप्त की। इसके अतिरिक्त भी हजारों लाखों लोगों ने इस विश्वविद्यालय से प्राप्त शिक्षा-दीक्षा और वैचारिक सामर्थ्य से देश की राजनीति, अर्थनीत, धर्मनीति, वैज्ञानिक, सामाजिक चिंतन एवं समाज की दशा और दिशा निर्धारित की।
विश्वविद्यालय के अत्यंत उर्वर वातावरण में पल्लवित पुष्पित एवं संरक्षित उपरोक्त मेधाओं ने विश्वविद्यालय को दुनिया के सर्वाधिक प्रकाशवान एवं ऊर्जावान शैक्षणिक प्रतिष्ठानों में वह प्रतिष्ठा दिलाई कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय की डिग्री को अपने विश्वविद्यालय के समकक्ष की मान्यता प्रदान की। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की इस स्वीकारोक्ति ने इस विश्वविद्यालय को वास्तविक रूप में “ऑक्सफोर्ड आफ ईस्ट” के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय का अतीत निश्चय ही अत्यंत शानदार और भारत के शैक्षणिक इतिहास का स्वर्ण काल प्रदर्शित करने वाला है।
विश्वविद्यालय के उदघोष वाक्य “QUOT RAMI TOT ARBORES” “जितनी शाखायें उतने वृक्ष” की लौ को जलाये और अलख को जगाए रखना हर शिक्षक एवं छात्र की अनिवार्य नैतिक जिम्मेदारी है, जिसकी सामर्थ्य विश्वविद्यालय अपनी छाया में आने वाले प्रत्येक छात्र को प्राकृतिक रूप से सहज ही प्रदान कर देता है।
साभार
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