April 24, 2024

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राजगढ़17सितम्बर*आरटीआई की जानकारी समय पर उपलब्ध नहीं कराए जाना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के समान है*

राजगढ़17सितम्बर*आरटीआई की जानकारी समय पर उपलब्ध नहीं कराए जाना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के समान है*

राजगढ़17सितम्बर*आरटीआई की जानकारी समय पर उपलब्ध नहीं कराए जाना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के समान है*

*मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग भी भ्रष्टाचारियों के सामने बोना साबित हुआ*

*भारत के लगभग सभी राज्यों द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम,2005 को एक* *मजाक बनाकर रख दिया गया है*
*किसी भी राज्य सरकार के* *कार्यलय में आरटीआई के तहत जानकारी मांगने पर 30 दिनों की समयावधि पर या तो कोई जवाब* *ही नहीं दिया जाता है या जानबूझकर अधुरी एवं भ्रामक जानकारी दी जाती है जिससे कि आवेदक को मजबुरन प्रथम अपील पर जाना पडता है* *प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा आवेदक को या तो जानकारी उपलब्ध करा दी जाती है नहीं तो आवेदक को मजबूरन द्वितीय* *अपील पर जाना पडता है वहां कम से कम साल भर बाद कोई सुनवाई होती है और फिर भी निश्चित तौर पर आवेदक के द्वारा चाहीगई सभी* *जानकारियां नही मिल पाती है इस तरह राज्य शासन को आरटीआई शुल्क के रूप में* *प्रतिवर्ष हजारों,लाखों रूपये का राजस्व प्राप्त होता है जो कि अप्रत्यक्ष रूप से एक बहुत बड़ी सोची समझी इनकम उगाही* *(भ्रष्टाचार) का माध्यम बन चुका है लगभग सभी राज्यों के द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम,2005 को एक* *मजाक बनाकर रख दिया गया है*
*किसी भी राज्य सरकार के* *कार्यलय में आरटीआई के तहत* *चाहीगई जानकारी मांगने पर 30 दिनों की समयावधि में या तो कोई जवाब ही नहीं दिया जाता है* *या जानबूझकर अधुरी एवं भ्रामक जानकारी दी जाती है जिससे कि आवेदक को मजबुरन प्रथम अपील पर जाना पडता है और प्रथम* *अपीलीय अधिकारी द्वारा आवेदक को या तो जानकारी उपलब्ध करा दी* *जाती है नहीं तो फिर आवेदक को मजबूरन द्वितीय अपील पर जाना पडता है वह कम से कम साल भर के बाद* *कोई सुनवाई होती है और फिर भी निश्चित तौर पर आवेदक को सही जानकारी नही मिल पाती है और इस तरह राज्य* *शासन को आरटीआई शुल्क के रूप में प्रतिवर्ष हजारों,लाखों रूपये का राजस्व प्राप्त होता है जो कि* *अप्रत्यक्ष रूप से एक बहुत बड़ी सोची समझी इनकम उगाही (भ्रष्टाचार) का माध्यम बन चुका है और दूसरी तरफ आवेदक* *केवल आर्थिक और मानसिक प्रताड़ना को झेलता रहता है*.

*राज्य सूचना आयोग में एकमात्र शिकायत का विकल्प भी कोई कारगर हथियार साबित नहीं हो पारहा है*.

*इस समस्या पर आप सभी अपना मार्गदर्शन जरूर साझा करें*.

*मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना को झेलता रहता है*.
*तथा राज्य सूचना आयोग में एकमात्र शिकायत का विकल्प भी कोई कारगर हथियार नहीं बन पा रहा है*

*ऐसी परिस्थिति में जागरूक समाजसेवी जनहितेषी पत्रकार और जिम्मेदार नागरिकों का यह कर्तव्य बनता है सोशल मीडिया के माध्यम से इस समस्या का निश्चित तौर पर कोई सार्थक एवं सटीक विकल्प निकालना ही होगा*

*इस समस्या पर आप सभी अपना मार्गदर्शन जरूर साझा करें कोशिश करें कि आरटीआई कार्यकर्ताओं की बात सरकार और राज्य सूचना आयोग के कान तक पहुंचे*

*मध्यप्रदेश संयोजक*
*सूचना का अधिकार आजाद मिशन एसोसिएशन भारत*

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