June 1, 2025

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मध्यप्रदेश23मई25*38 बार सांप ने काटा, सरकार से मिला 1 करोड़ 52 लाख रुपये का मुआवजा

मध्यप्रदेश23मई25*38 बार सांप ने काटा, सरकार से मिला 1 करोड़ 52 लाख रुपये का मुआवजा

*मध्यप्रदेश23मई25*38 बार सांप ने काटा, सरकार से मिला 1 करोड़ 52 लाख रुपये का मुआवजा

…युवक के साथ हैरान कर देने वाला मामला*

क्या आपने कभी सोचा है कि सांप काटने पर मिलने वाले मुआवजे को लेकर भी घोटाला हो सकता है? चौंकिए मत, क्योंकि मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में बिल्कुल ऐसा ही हुआ है। यहां सामने आया है एक अनोखा और शर्मनाक मामला—जिसे लोग अब ‘सांप घोटाले’ के नाम से जान रहे हैं।

इस घोटाले में ऐसा दावा किया गया है कि दर्जनों बार एक ही व्यक्ति को सांप ने काटा, और हर बार शासन से 4 लाख रुपए का मुआवजा लिया गया। मामला केवल गलती का नहीं, बल्कि योजनाबद्ध फर्जीवाड़े का है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस स्कैम को उजागर करते हुए सरकार पर तीखा हमला बोला है और पूछा है — “अगर एक जिले में ही 11 करोड़ का गबन हुआ, तो बाकी 54 जिलों में क्या हो रहा होगा?”

कैसे हुआ ये अनोखा घोटाला?

– मुआवजे का लालच बना भ्रष्टाचार का जरिया:
मध्यप्रदेश सरकार सांप काटने से मौत पर 4 लाख रुपये का मुआवजा देती है। इसी नियम का फायदा उठाते हुए भ्रष्ट अधिकारियों ने मृत व्यक्तियों के नाम पर बार-बार कागजी दावा किया और करोड़ों की रकम निकाल ली।

– किसी को 30 बार मरा बताया, किसी को 19 बार:
जांच में सामने आया कि रमेश नामक शख्स को 30 बार मृत दिखाया गया, जबकि रामकुमार को 19 बार सांप काटने से मरा बताया गया। इनमें से अधिकतर मामलों में कोई मृत्यु प्रमाणपत्र, पुलिस रिपोर्ट या पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं थी।

– 1.20 करोड़ का सीधा गबन:
सिर्फ एक व्यक्ति के नाम पर फर्जी मुआवजा लेकर 1.20 करोड़ रुपये की सरकारी राशि हड़पी गई।

प्रशासनिक मिलीभगत का आरोप

इस मामले में तत्कालीन एसडीएम अमित सिंह और 5 तहसीलदारों की भूमिका संदिग्ध मानी गई है। आरोप है कि अधिकारियों की लॉगिन आईडी का दुरुपयोग कर फर्जी आदेश तैयार किए गए, और कोषालय स्तर से पैसे पास किए गए। अब तक सिर्फ एक सहायक सचिव की गिरफ्तारी हुई है, बाकी अधिकारी अब तक जांच की पकड़ से बाहर हैं।

कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने एक वीडियो जारी कर कहा, “मध्यप्रदेश में सांपों की गिनती कराई जा रही है और कागजों में एक आदमी को 38 बार मरा बताया गया। देश में ऐसा घोटाला पहले कभी नहीं सुना गया। यह जनता के खून-पसीने की कमाई का अपमान है।”

कब से कब तक चला घोटाला?

यह फर्जीवाड़ा 2019 से 2022 तक चला। यानी कमलनाथ सरकार से लेकर शिवराज सरकार तक ये खेल बेरोकटोक जारी रहा।

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