भागलपुर09जून2023*मानव सेवा वृद्धा आश्रम मे,फल ,गाउन , बिस्किट,गुड़ आदि का वितरण किया गया।
आज मानव सेवा वृद्धा आश्रम मे, नीरा जी गुप्ता, कृष्णा जी रुंगटा, adv Sangeeta kedia ji, द्वारा नियोजित दादा दादी क्लब व अगर नारी प्रांतीय असोसियन द्वारा नीयोजित नासिक के विरीसठ सदस्य रामचंद्र तुलस्यान व मोहनी देवी तुलसियान, Sangeetagi kadia , मधु अग्रवाल सुधा रुंगटा आदि की उपस्तिथि मैं फल ,गाउन , बिस्किट,गुड़ आदि का वितरण किया गया, नीरा जी, कृष्णा जी और तुलस्यान दादा दादी जी ने बहुत सारे फल और बिस्किट लाए, जिला की बहनों ने गाउन का और वृद्धा आश्रम कमिटी के सदस्यो ने समय पर उपस्तिथि दे कर आज के प्रोग्राम को सफल किया।
तुलस्यान दादाजी ने अपने संबोधन में कहा बुढापा अपने आप आ जाता है, कोई बुलाता नहीं है, बुढ़ापे को हम उसे दखेलते जरूर है ।60 वर्ष के हैं तो 50 वर्ष के दिखने की कोशिश करते हैं।
उससे बचना चाहते हैं लेकिन क्या हम बच पाते हैं, बुढ़ापा आ ही जाता है आप चाहे ना चाहे। इसलिए मेरा तो यही मानना है, जिसका आगमन अनिवार्य है उससे मुंह फेरना उचित नहीं है।
आपके द्वार पर कोई अतिथि आता है तो आप अपने अतिथि देवो भव की परंपरा के अनुसार उसका स्वागत करते हैं।
बुढापा भी आपका अतिथि है इससे घबराइए नहीं। अब सवाल यह उठता है इस का भव्य स्वागत हम कैसे करें, यदि हम ढंग से जीना सीख जाए तब बुढ़ापा अमृत बन सकता है। क्योंकि बुढ़ापा जीवन का शिखर है ,जीवन के सर्वोच्च अवस्था है।
बुजुर्गों ने अपनी संपूर्ण जिंदगी अपने बच्चों की जिंदगी व देश की समृद्धि बचाने में गुजारी है। हम सबका दायित्व बनता है कि इनकी तन मन धन से सेवा करें, जिससे इनके जीवन में आखिरी क्षण सुख में बीते । मेरी तो सोच यह है की हर घर के हर सदस्य को रोज अपना कुछ समय अपने बुजुर्गों के साथ बैठकर गुजारना चाहिए और उनसे शिक्षा लेनी चाहिए ।आज के भटकते युवाओं को सही रास्ता बुर्जग ही दिखा सकते हैं।
सीनियर सिटीजन पारावारीक धरोवर है ,उन्हें सुरक्षित रखनै की जरूरत है बल्कि उन्हें परिवार में रखकर उनके आत्मसम्मान बनाए रखते हुए उनकी सेवा की जरूरत है। आज बुजुर्गों के लिए वृद्ध आश्रम बनाने की जरूरत नहीं है ।बुजुर्गों की सेवा करो उनसे आशीर्वाद लो।
पुराने जमाने में 10-10 संताने होती थी जिसका लालन-पालन मां-बाप किया करते थे, आज 2 संतान होकर एक बुड्ढे मां-बाप का ध्यान नहीं रखती है।बड़े अफसोस की बात है।
पिता परिवार की कड़ी का मुख्य स्तंभ होता है जिसको निकाल दिया जाता है तो परिवार अधुरा हो जाता है,एक पिता 100-स्कूल शिक्षकों के बराबर होता है।
जीवनदाता पिता के लिए घर के अंदर कोई स्थान ना होना बेहद दुख की बात है ।वृद्धाश्रम की आवश्यकता हमारे समाज में क्रेशर के समान है। बुजुर्गों को घर के कोने में नहीं अपने दिल में जगह दो, ताकि खुशियां खुद आपके पास आए।
आप घर में कुत्ते के रहने के लिए स्वतंत्र, भोजन व निवास की व्यवस्था करते हो लेकिन जन्म देने वाले मां बाप को वर्धआश्रम में भेजा जाता है यह अच्छी बात नहीं है।
दोस्तों एक बात हमेशा ध्यान में रखें मां बाप अपने बच्चों पर बोझ हो सकते हैं परंतु मां-बाप ने अपने बच्चों को कभी बोझ नहीं समझा ।
इसलिए मेरा कहना है युवा पीढ़ी को चाहिए उनका आदर करें।
विशिष्ट जन ओल्ड इज गोल्ड गोल्ड इज नेवर ओल्ड।
युवाओं को अपने जीवन में सफल रहे लोगों की जिंदगी में सीखना चाहिए ,क्योंकि उनसे अनुभव और सफलता का सूत्र हमेशा उपलब्ध हो सकते हैं जबकि यही चीजें हासिल करने के लिए हमें बहुत ठोकरे खानी पड़ती है ,कई कसौटी ओं से गुजरना पड़ता है ।
इसलिए महान लोगों द्वारा अर्जित अनुभव और सिद्धांतों से सीख कर हम सफलता बिना असफलता से जल्दी हासिल कर सकते हैं ।समाज उस इंसान को याद करता है जो समाज के लिए समय-समय पर सेवा करें ।आज महिला मंडल दादा-दादी ग्रुप के सदस्यों की सेवा करने का जो बीड़ा उठाया है वह काबिले तारीफ है। धन्यवाद
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