October 14, 2025

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बिजनौर1अक्टूबर25*एनए पोएट्री इवेंट के तत्वावधान में शानदार मुशायरा, शायरों ने कलाम से बाँधा समां

बिजनौर1अक्टूबर25*एनए पोएट्री इवेंट के तत्वावधान में शानदार मुशायरा, शायरों ने कलाम से बाँधा समां

बिजनौर1अक्टूबर25*एनए पोएट्री इवेंट के तत्वावधान में शानदार मुशायरा, शायरों ने कलाम से बाँधा समां

बिजनौर से फहीम अख्तर की खास रिपोर्ट यूपीआजतक

बिजनौर। एनए पोएट्री इवेंट के तत्वावधान में मंगलवार रात मोहल्ला चाहशीरी स्थित शायर ज़ीशान कमर के आवास पर एक शानदार मुशायरे का आयोजन किया गया। आयोजन की जिम्मेदारी कन्वेनर ज़ीशान कमर ने संभाली। मुशायरे की सदारत वरिष्ठ पत्रकार फहीम अख़्तर उर्फ़ राजा ने की जबकि कार्यक्रम की निज़ामत ज़ीशान कमर बिजनौरी ने बख़ूबी अंदाज़ के साथ की।
कार्यक्रम की शुरुआत नदीम असीम बिजनौरी की नात-ए-रसूल पाक से हुई, जिसके बाद माहौल में रूहानी ताजगी भर गई। इसके पश्चात शायरों ने एक से बढ़कर एक अशआर सुनाकर श्रोताओं की खूब वाहवाही लूटी।
पुणे से आए शायर कलीम जावेद किरतपुरी ने अपने अशआर से महफ़िल को गर्मा कर दिया। उन्होंने कहा—
“तमाम उम्र वही मेरी जेब कटता है,
मेरे लिए जो मोहब्बत से सेब काटता है।”
पर श्रोताओं ने ज़ोरदार दाद दी। वहीं शायर उबैद नजीबाबादी ने अपने दर्द भरे कलाम से दिलों को छू लिया। उन्होंने कहा—
“फूल जैसे थे मगर अब हम भी पत्थर जैसे हो गए,
पत्थरों में रहते रहते अब हम भी पत्थर हो गए।”
शायर आसिफ मिर्ज़ा नजीबाबादी ने कहा – जो पिलाने की दवा थी वो खिला दी मुझको
तुमने ज़ख्मो के मेरे ध्यान कहाँ रख्खा है

शायर ज़ीशान क़मर बिजनौरी ने कहा –
में जब भी हंसता हूं तो मेरा भाई खुश होकर
बड़े सलीके से तस्वीर खींचता है मेरी
शायर अशरफ बिजनौरी ने कहा ….शुक्र है रब का आज भी इस दमन पर कोई दाग नहीं
यूं तो बुरा कहने को किसी को भी कह देती दुनिया है
शायर काजी ज़हीर बिजनौरी ने कहा-
कुछ रिश्ते इस बहाने भी बरकरार हैं
कभी शादियों में आ गए कभी इन्तेकाल पर
शायर अब्दुल समद आजाद बिजनौरी ने कहा-
देखिए कैसा सियासत का नया अंदाज है
घर जलाए जा रहे हैं रोशनी के नाम पर
शायर साजिद सागर बिजनौरी ने कहा-
रिशवतों के रियाल रहने दो
मेरी रोज़ी हलाल रहने दो
शायर आसिफ अंदाज किरतपुरी ने कहा-
दुनिया के दस्तूर निभाने पड़ते हैं
कुछ धोखे दानिस्ता खाने पड़ते है
शायर नदीम असीम बिजनौरी ने कहा-
पलके बिछाए बैठी है माँ इंतेज़ार में
जब से खबर सुनी है के बेटा सफ़र में है,
मुशायरे में शामिल सभी शायरों ने अपनी ग़ज़लों और नज़्मों से महफ़िल को यादगार बना दिया। देर रात तक श्रोता शायरी के रंग में डूबे रहे और बार-बार “वाह-वाह” और “माशाअल्लाह” की आवाज़ें गूँजती रहीं।
इस मौके पर अशरफ बिजनौरी, खुर्शीद बुखारवी, क़ाज़ी ज़हीर बिजनौरी, अब्दुल समद आज़ाद बिजनौरी, साजिद सागर बिजनौरी, आसिफ अंदाज़ किरतपुरी, ज़ीशान कमर बिजनौरी और नदीम असीम बिजनौरी सहित कई शायरों ने अपने कलाम पेश कर समां बाँध दिया।
देर रात तक चली इस महफ़िल में “वाह-वाह” और “माशाअल्लाह” की गूंज होती रही और मुशायरा श्रोताओं के लिए यादगार बन गया।

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