May 25, 2024

UPAAJTAK

TEZ KHABAR, AAP KI KHABAR

जोधपुर14जनवरी24*सैनिक क्षत्रिय समाज के इतिहास पुरुष वीर शिरोमणी राव हेमा गहलोत

जोधपुर14जनवरी24*सैनिक क्षत्रिय समाज के इतिहास पुरुष वीर शिरोमणी राव हेमा गहलोत

जोधपुर14जनवरी24*सैनिक क्षत्रिय समाज के इतिहास पुरुष वीर शिरोमणी राव हेमा गहलोत

“हेमा घोड़ो जोत गुडबेल दान दीनो तुरकवी तोड़ हिन्दवाणी ने तिलक दी ने गढ़ पलट द्धफतहऋ किना गढ़ मण्डोर के खेड़े राव चूड़ा के वार”

इतिहास बहुत सारी वीर-गाथाओं और उदाहरणों से भरा पड़ा है, जहाँ वीरों ने अपने पुरूषार्थ, निष्ठा, स्वतंत्रता, सच्चाई, वीरता, कर्तव्यपरायणता, गौरव और संकल्प को बरकरार रखते हुए पराक्रम दिखाया है। वीर राव हेमा गहलोत राजस्थान के इतिहास में इन प्रसिद्ध लोगों में से एक थे।

इतिहास पुरूष वीर शिरोमणी हेमा गहलोत का जन्म सैनिक क्षत्रिय समाज में नागौर जिले के कुचेरा कस्बे में पिता पदमराव गहलोत व माता श्रीमती गंवरीदेवी (पुत्री प्रेमजी सोलंकी) के घर हुआ। राव हेमा के कुछ परिवारजन बहुत पहले से हो जोधपुर के मण्डोर में बस चुके थे। बाद में राव हेमा के परिवार के लोग भी मण्डोर आकर बस गये। वीर हेमा गहलोत की शादी पार्वती देवड़ा (पुत्री रामीजी देवड़ा) के साथ हुआ। राव हेमा के जन्म एवं मृत्यु की तिथि का उल्लेख न तो राव-भाटों की बही में मिलता है, और न ही कहीं ऐतिहासिक जानकारी। इतिहास में दर्ज जानकारी के अनुसार वीर शिरोमणी राव हेमा की मृत्यु मण्डोर के प्रथम शासक राव चुड़ा के समय हुई बताते हैं।

वीर शिरोमणी राव हेमा गहलोत बालेसर इंदा परिहार मण्डोर के प्रधान थे। इनके सहयोग से सन् 1395 ई. में तुर्को पर विजय पायी थी। चीर हेमा के मण्डोर आगमन से पहले दिल्ली में सल्तनत कमजोर होने से गुजरात के सुबेदार जफर खां मण्डोर और नागौर का मुखिया बन बैठा और मण्डोर में अपने हाकिम के रूप में ऐबक खां को नियुक्त किया। ऐबक खां ने हाकिम बनने के साथ ही प्रजा को परेशान करना प्रारम्भ कर दिया। उसने किसानों को ज्यादा लगान देने के लिए मजबूर किया। जिससे किसान बर्बाद होने लगे। इधर ऐबक खां के हाकिम रहते गायों की चोरियां बढ़ने से किसानों को चिंता सताने लगी। इंदा परिहारों व मण्डोर क्षेत्र के किसानों एवं जमींदारों में इतनी शक्ति नहीं थी कि वे ऐबक खां का मुकाबला कर सके। इसी दौरान ऐबक खां ने मण्डोर के किसानों, जमींदारों से साधारण लगान के अलावा अपने घोड़ों के लिए सौ बेल गाड़ियां घास की अनुचित मांग रख दी। इससे सारे किसान परेशान व हताश हो गये। ऐबक खां की बढती नाजायज मांग को देखते हुए वीर राव हेमा गहलोत के नेतृत्व में जमींदारों, किसानों ने एक योजना को रूप दिया गया।

जमींदारों, किसानों ने गुप्त रूप से तैयार योजना को अंजाम देने के लिए वीर शिरोमणी हेमा गहलोत के नेतृत्व में यह तय किया कि हमेशा-हमेशा की परेशानी से निजात पाने के लिए योजनाबद्ध ढंग से आक्रमण कर तुकों को यहां से भगाकर पुनः मण्डोर पर कब्जा कर लिया जाये। इस योजना के अन्तर्गत यह तय हुआ कि ऐबक खां के सौ बेलगाड़ी घास की मांग को योजना का रूप देते हुए प्रत्येक बैलगाड़ी में चार-चार हथियारों से युक्त जंगी जवानों को घास के बोरों में छुपा दिया, वहीं बैलगाड़ी हांकने वाले जवानों को भी घास-फूस से ढके हथियारों के जखिर के साथ भेजा गया। कुल पांच साँ जवानों को इस योजना में शामिल कर मण्डोर किले पर आक्रमण के लिये भेजा गया।

About The Author

Taza Khabar

Copyright © All rights reserved. | Newsever by AF themes.