कौशाम्बी15अप्रैल24*नाला के ऊपर बना भवन जल निकासी में हो रही दिक्कत*
*सरकारी नाला पर कब्जा करने वाले दबंग के भवन पर नगर पालिका कब चलाएगा बुलडोजर*
*कौशाम्बी।**एक तरफ सरकारी नाला बनाया जाता है दूसरे तरफ दबंग उस पर कब्जा कर लेते हैं जिससे नाला बनाने का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। नाला बनाने के बाद सड़क की पटरी पर भी कब्जा कर लिया गया है जिससे आवागमन में दिक्कत होती है और आए दिन दुर्घटनाएं होती है। दुर्घटनाओं में लोग लहूलुहान होते हैं लेकिन उसके बाद भी नाला पर और सड़क की पटरी पर कब्जा करने वाले दबंग के अवैध भवन को हटाया नहीं गया है।
अंधेर गर्दी की हद तब हो गई है जब दबंग ने पुराने नाला पर कब्जा कर लिया है। उसके बाद सड़क के डामर से जोड़कर नगर पालिका मंझनपुर द्वारा नया नाला बनाकर सड़क बाधित की जा रही है। बीते 15 दिन से डामर सड़क के बगल में गड्ढे खोद दिए गए हैं। गड्ढे की मिट्टी चौराहे की सड़क पर फैली है जिससे दुर्घटना बढ़ रही है। सड़क के बगल से नाला बनाए जाने का क्या औचित्य है। यदि नाला बनाए जाने की जरूरत है तो दबंग के भवन को तोड़कर के पुराने नाले को बहाल किया जाए लेकिन नगर पालिका ने इस तरह से नहीं किया है। दबंग के आगे नगर पालिका नतमस्तक है और पुराने नाले को बहाल नहीं किया जा रहा है बल्कि सड़क और उसकी पटरी को बाधित किया जा रहा है जिससे दुर्घटनाएं बढ़ रही है।
पुराने नाले को बहाल न करने से नगर पालिका के लचर व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है। मंझनपुर मुख्यालय के मुख्य चौराहे पर पशुपतिनाथ श्रीवास्तव उर्फ पस्सू लाला का भवन पुराने नाला के ऊपर बना है उसके बाद इन्होंने सड़क की पटरी पर भी कब्जा कर लिया है। आखिर पशुपतिनाथ श्रीवास्तव उर्फ पस्सू लाला कितने बड़े दबंग हो गए है कि मंझनपुर मुख्यालय में मुख्य चौराहे पर पुराने नाला को बन्द कर नाला पर बिल्डिंग बनाने के बाद कब्जा कर लिया है। उनके भवन के नीचे आज भी पुराना नाला बना हुआ है। भवन बन जाने के बाद नाला के पानी का बहाव ठीक से न होने पर तत्कालीन नगर पंचायत ने फिर से नाली का निर्माण कर दिया।
भवन बन जाने के बाद पुराना नाला की सफाई नहीं हो पा रही है। जब नया नाला बना तो उस पर भी पशुपतिनाथ श्रीवास्तव उर्फ़ पस्सू लाला ने कब्जा कर लिया। उनकी दबंगई की हद हो गई है जिससे फिर पानी का निकासी बंद हो गया। अब उसके बाद फिर नया नाला बनाने की तैयारी हो रही है। आखिर पशुपतिनाथ उर्फ पस्सू लाला की दबंगई के आगे नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी से लेकर तहसील के अधिकारी इतने नतमस्तक क्यों हैं। यह व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो रहा है। आखिर नाला और पटरी के ऊपर भवन बनाने वाले दबंग के भवन पर कब बुलडोजर लगाकर भवन को धराशाई किया जाएगा जबकि मंझनपुर में चौड़ीकरण करने के नाम पर इसके पहले कई लोगों के भवन को तोड़ा जा चुका है। आखिर पशुपतिनाथ श्रीवास्तव के भवन पर अधिकारियों द्वारा क्यों बुलडोजर नहीं चलाया जा रहा है।
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