April 19, 2024

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औरैया21जनवरी*पक्षद्रोही होने पर न्यायालय ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा*

औरैया21जनवरी*पक्षद्रोही होने पर न्यायालय ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा*

औरैया21जनवरी*पक्षद्रोही होने पर न्यायालय ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा*

*पीड़ित परिवार से समझौते के बावजूद उम्रकैद से नहीं बच सका दुष्कर्मी*

*औरैया।* थाना दिबियापुर क्षेत्र के एक मामले में तेरह वर्षीय नाबालिग के साथ बलात्कार करने का आरोपी पीड़ित परिवार से समझौता कर अपने पक्ष में गवाही दिलवाने के बावजूद आजीवन कारावास व एक लाख रूपये अर्थदण्ड की सजा से बच नहीं सका।
अभियोजन की ओर से पैरवी कर रहे जिला शासकीय अधिवक्ता अभिषेक मिश्रा, विशेष लोक अभियोजक (पाॅक्सो) जितेन्द्र सिंह तोमर व मृदुल मिश्रा ने बताया कि पीड़ित ने थाना दिबियापुर में रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया था कि उसकी तेरह वर्षीय पुत्री बीती 11 जून 2020 की दोपहर करीब 3 बजे घर पर अकेली थी। तभी 42 वर्षीय हरिश्चन्द्र पुत्र रामसनेही निवासी गलुआपुर दहगांव थाना दिबियापुर घर में घुस आया तथा उसकी पुत्री के साथ दुष्कर्म किया और उसके भाई को जान से मार डालने की धमकी देते हुए मुंह बंद रखने को कहा। वादी जब बाहर से घर लौटा तो उसे मामले की जानकारी हुई, जिस पर उसने अभियुक्त के विरूद्ध नाबालिग से बलात्कार का मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस ने कोर्ट में पीड़िता के 164 के बयान भी दर्ज कराये। जिसमंे उसने लिखायी गई रिपोर्ट को सत्य बताया। चार्जशीट दाखिल होने के बाद यह मुकदमा विशेष न्यायाधीश पाक्सो अधिनियम मनराज सिंह की अदालत में चला। कोर्ट में गवाह पीड़िता व वादी से जिरह की नौबत आयी तो मुल्जिम के परिवार व पीड़िता के परिवार में समझौता हो गया। पीड़िता ने जिरह में कहा कि यह बात सही है कि समझौता हो जाने की वजह से वह हरिश्चन्द्र को बचाना चाहती है लेकिन यह बात भी सही है कि उसके साथ दुष्कर्म की घटना घटित हुई थी। इसी तरह उसके पिता ने भी जिरह के दौरान यह कहा था कि घर व परिवार वालों के कहने पर उसने समझौता कर लिया और यह बात सही है कि उसकी पुत्री के साथ घटना घटी है। अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजन जितेन्द्र सिंह तोमर ने गवाहों के पक्षद्रोही होने के बावजूद अति गंभीर प्रवृत्ति के इस अपराध के दोषी को कठोर दंड देने की बहस की तो वहीं बचाव पक्ष ने गवाहों की जिरह के अनुसार उसे निर्दोष बताया। इस मामले में एक अहम पहलू यह भी रहा कि डीएनए रिपोर्ट में बलात्कार होने की पुष्टि हुई। दोनों पक्षों को सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश पाक्सो मनराज सिंह ने अभियुक्त हरिश्चन्द्र को नाबालिग के साथ दुष्कर्म का दोषी माना और उसे आजीवन कारावास व एक लाख रूपये अर्थदण्ड की सजा सुनायी। वहीं अदालत ने यह भी कहा कि अर्थदण्ड अदा न करने पर एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। डीबीए प्रवक्ता शिवम शर्मा के अनुसार कोर्ट ने अर्थदण्ड की आधी धनराशि पीड़िता को चिकित्सकीय व्ययों व पुनर्वास की पूर्ति के लिए देने का भी आदेश दिया। समझौते के आधार पर सजा से बचने की आस जगाये अभियुक्त हरिश्चन्द्र को उम्र कैद की सजा मिलने के बाद इटावा जेल भेज दिया गया।

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