औरैया07अगस्त*जनपद में वर्षा के पानी से त्राहिमाम- त्राहिमाम*
*औरैया।* जिले में पानी से जलभराव की समस्या अधिकांश जगहों पर हो गई है। किसानों की फसलें डूब चुकी हैं। धान , बाजरा , लौकी , तुरई , भिंडी व खीरा की सब्जियां भी बर्बाद हो चुकी हैं। किसान भुखमरी के कगार पर है। सरकार द्वारा कोई सरकारी सुविधा नही मिलने पर सरकार को कोस रहा हैं। 2 हजार रुपए और 5 किलो गेहूं से गरीबों का गुजारा होने वाला नहीं है। किसान विवश होकर ईश्वर की तरफ आस लगाए है। नदियों में नहरों में चारों तरफ पानी ही पानी दिखाई पड़ रहा है। दूसरी तरफ किसानों ने जो क्रेडिट कार्ड के माध्यम से कर्जा ले रखा है। बैंकों वाले उन पर कड़ाई से वसूली कर रहे हैं। किसानों ने मांग की वसूली बंद कर किसानों का कर्जा माफ किया जाए। तमाम कृषक अभी भी सरकारी 1 लाख रुपए माफी की योजना से लाभान्वित नहीं हो पाये हैं। किसान जीतू सिंह व अजय कुमार बताया कि उनका सरकारी कर्जा था। क्रेडिट कार्ड से लिया था। वह आज तक माफ नही हुआ। जबकि पहले इस कैटेगरी में आ रहे थे। जब ऋण मोचन की व्यवस्था चल रही। तमाम कंपनियों में किसानों ने आर डी एफ डी करने वाली कंपनियों में पैसों को जमा किया था, लेकिन इस सरकार में यह सभी कंपनियां बंद कर दी गई। सरकार की अनुमति से चलाई गई इसमें किसान और निवेशकों का क्या कसूर है। किसानों की मांग है कि कम से कम जो कंपनियां बंद कर की गई उस पैसे को सरकार वापस दिलाए। अगर मय ब्याज की नहीं दे पा रही तो कम से कम मूलधन ही वापस कर दिया जाए , जो इस परेशानी में जमा किया गया पैसा मुसीबत में काम आ सके। देश में तमाम छोटे-बड़े दल है किसी भी दल के नेता ने इस बात को नहीं उठाया कि जो कंपनियां बंद की गई जैसे सहारा , पीएसीएल , पल्स , कल्पतरू , साईं प्रसाद , साईं राम , यूनिमिक्स , कर्मभूमि आदि दर्जनों कंपनियों ने पैसा हजम कर लिया है। उन्हें सरकार ने बंद कर दी हैं। इन निवेशकों की और किसानों की मांग है कि मेहनत की कमाई को वापस कराया जाए। जिससे भारतवर्ष का भरण पोषण करने वाला अन्नदाता खुशहाल हो सके। जिले की सबसे बड़ मौजा क्योटरा ,भरसेन,सेहुद गोहानी नोरी , अस्ता मढ़ापुर,जलमग्न हो चुके हैं। अब केवल ईश्वरीय आस पर निर्भर हैं। किसानों ने संकल्प लिया है यही हाल रहा तो 2022 के चुनाव में इसके परिणाम सामने आएंगे। पीडतों ने जिलाधिकारी से मांग की है , कि शीघ्र सहायता दिला कर उनकी समस्या को हल कराया जाए। उपरोक्त मांग उठाने वालों में प्रमुख रूप से किसान स्वदेश सिंह , प्रधान सर्वेश सिंह , मंगल सिंह , गंगा सिंह , शिव रतन, राम रतन , अरविंद , अशोक नृपाल सिंह व गोपाल सिंह आदि प्रमुख हैं।
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