May 19, 2024

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औरैया 30 मई *ईश्वर के प्रति लगन व सच्ची निष्ठा से 5 वर्षीय ध्रुव का ईश्वर से साक्षात्कार हुआ- भागवताचार्य*

औरैया 30 मई *ईश्वर के प्रति लगन व सच्ची निष्ठा से 5 वर्षीय ध्रुव का ईश्वर से साक्षात्कार हुआ- भागवताचार्य*

औरैया 30 मई *ईश्वर के प्रति लगन व सच्ची निष्ठा से 5 वर्षीय ध्रुव का ईश्वर से साक्षात्कार हुआ- भागवताचार्य*

*मानव के सत्कर्म ही ईश्वर की सच्ची पूजा है भगवान सिर्फ भाव के भूखे हैं*

*बिधूना,औरैया।* पुर्वापट्टी के श्री राम जानकी मंदिर पर 25 मई से 2 जून तक आयोजित नौ दिवसीय विष्णु महायज्ञ एवं श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन सोमवार को ग्वालियर के भागवताचार्य पंडित कमलेश पाठक ने ध्रुव प्रसंग व सती प्रसंग का मार्मिक वर्णन करते हुए कहा कि ईश्वर भक्त ध्रुव ने 5 वर्ष की उम्र में ही ईश्वर के प्रति लगन और सच्ची निष्ठा के बलबूते कठिन तपस्या कर ईश्वर का साक्षात्कार करने में कामयाबी हासिल की थी।
उन्होंने कहा कि भक्त ध्रुव को पिता उत्तानपाद द्वारा अपनी गोद में बैठा लेने पर अहंकारी सौतेली मां सुरुचि ने उसे पिता की गोद से नीचे उतार कर कहा था कि तुम इस गोद में बैठने लायक नहीं हो इसका हकदार मेरा पुत्र उत्तम है तुम्हें इस गोद में बैठने के लिए ईश्वर की कृपा पाकर अगला जन्म लेना होगा। सौतेली मां की इस कृत्य से दुखी 5 वर्षीय ध्रुव ने ईश्वर की तपस्या की बात ठानकर अपनी मां सुनीति से आशीर्वाद लेकर घने जंगलों में ईश्वर की तपस्या के लिए चल दिए तभी रास्ते में प्रकट हुए नारद मुनि ने ध्रुव से कहा कि बिना गुरु ज्ञान के तपस्या पूर्ण नहीं हो सकती जिस पर ध्रुव ने नारद मुनि को ही अपना गुरु बना लिया नारद मुनि द्वारा उन्हें ऊं नमो भगवते वासुदेवाय का मंत्र दिया गया। भक्त ध्रुव ने कठिन तपस्या कर और ईश्वर के दर्शन कर परमपद को प्राप्त करने में कामयाबी हासिल की। भागवताचार्य ने कहा कि मानव के सत्कर्म ही ईश्वर की सच्ची पूजा है। भगवान को कुछ भी नहीं चाहिए वह सिर्फ भाव के भूखे हैं। भागवताचार्य कमलेश पाठक ने सती प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि शादी के बाद महिलाओं को बिना बुलाए अपने मायके नहीं जाना चाहिए और अपने पति के आदेश मानना चाहिए। अपने दामाद भगवान शंकर से नाराज राजा दक्ष प्रजापति ने यज्ञ में भगवान शंकर को आमंत्रित नहीं किया किंतु पार्वती माता बिना बुलाए यज्ञ में पहुंची लेकिन अपने पति का यज्ञ में स्थान ना पाकर और अपमान महसूस कर क्रोधित होकर में अपने शरीर का परित्याग कर दिया। कथा के विश्राम पर आरती के बाद प्रसाद वितरित किया गया। बाद में वृंदावन धाम मथुरा के कलाकारों द्वारा रासलीला का भी भव्य मंचन किया गया। इस मौके पर यज्ञपति सुरजन सिंह, पुजारी सियाराम दास, प्रधान अजीत राजपूत, बाबा रामचंद्र , लाल दास , भजन लाल , चंद्र मोहन राजपूत , राम अवतार , अशोक कुमार , राम नरेश , चंद्र शेखर , वीरेंद्र कुमार , राजपाल सिंह , आनंद स्वरूप , रोहताश, अवधेश , मानिक चन्द्र , अमरेंद्र राजपूत , पिंटू राजपूत , अमित राजपूत , कैलाश बाबू , अविनाश बाबू , हर विलास , नवाब सिंह , अहिवरन सिंह , अन्नू , संजेश , ललित , सुधीर , सुभाष , अभिषेक , रवि , अवनीश , सुधाकर , राहुल , विनोद , राम प्रकाश , श्यामू व अमित आदि के अलावा श्रीमद् भागवत कथा आयोजन समिति के पदाधिकारी भी प्रमुख रूप से शामिल थे।

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