October 14, 2024

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लखनऊ23सितम्बर24*उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग समाप्त पर वेबसाइट आबाद*

लखनऊ23सितम्बर24*उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग समाप्त पर वेबसाइट आबाद*

लखनऊ23सितम्बर24*उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग समाप्त पर वेबसाइट आबाद*

*भ्रमित हो रहे शिक्षक भर्ती शुरू होने का इंतजार कर रहे अभ्यर्थी*

*वेबसाइट पर प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा को बता रहे अध्यक्ष*

लखनऊ, विशेष संवाददाता।उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का अस्तित्व अब भले ही समाप्त हो चुका है लेकिन उसकी वेबसाइट अभी भी आबाद है। यह हाल तब है कि इस आयोग के स्थान पर ‘उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के नाम से नया आयोग अस्तित्व में आ चुका और उसके अध्यक्ष समेत सभी सदस्यों की नियुक्ति भी हो चुकी है।भर्तियों के बारे में केवल पुरानी सूचनाएं दे रही इस वेबसाइट पर आयोग के अध्यक्ष के तौर पर अभी भी प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा का ही नाम दिख रहा है, जबकि उनका कार्यकाल इस आयोग के अस्तित्व में रहते हुए ही समाप्त हो गया था। भर्ती की राह देख रहे अभ्यर्थी इस वेबसाइट से भ्रमित हो जा रहे हैं। मजेदार बात यह भी है कि इसी वेबसाइट के नोटिस बोर्ड पर नवगठित आयोग का प्रतीक चिह्न बनाए जाने के संबंध में सूचना भी पड़ी हुई है।दोनों सूचनाएं इसी वर्ष जुलाई की हैं। बावजूद इसके वेबसाइट का नाम बदलने की जरूरत अभी तक नहीं समझी गई। प्रयागराज में ही उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की जगह ही प्रदेश सरकार ने इस नए आयोग का गठन किया है। इस नए आयोग का मुख्यालय भी प्रयागराज में ही है।पुराने आयोग की इस वेबसाइट पर परीक्षाओं के परिणाम संबंधी अद्यतन सभी सूचनाएं वर्ष 2019 की हैं। इसमें असिस्टेंट प्रोफेसर की लिखित परीक्षा का परिणाम और इस परिणाम के आधार पर साक्षात्कार के लिए चयनित अभ्यर्थियों की सूची शामिल है। इसी तरह आखिरी विज्ञापन के तौर पर विज्ञापन संख्या 49 प्रदर्शित है, जो डिग्री कॉलेजों में प्राचार्य के 290 पदों पर चयन के लिए मार्च 2019 में जारी किया गया था। इन पदों पर चयन का परिणाम 2021 में जारी हो चुका है

*फर्जी दस्तावेजों के जरिए फार्मेसी का रजिस्ट्रेशन कराने की कोशिशें नाकाम*

*फार्मेसी काउंसिल के वेरीफिकेशन में हुआ यह खुलासा*

*50 आवेदकों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया*

लखनऊ। विशेष संवाददाता;यूपी में दवा के कारोबार में घुसने के साथ ही दवा कंपनियों और अस्पतालों में नौकरी पाने के लिए फर्जी दस्तावेजों के जरिए रजिस्ट्रेशन कराने के बड़े खेल का उत्तर प्रदेश फार्मेसी काउंसिल ने पर्दाफाश किया है। उत्तर प्रदेश के साथ ही राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, कर्नाटका, उत्तराखंड के संस्थानों के नाम से फर्जी दस्तावेज लगाकर रजिस्ट्रेशन कराने का खेल पकड़ में आया है। सबसे अधिक फर्जी दस्तावेज राजस्थान के संस्थानों के नाम से फर्जीवाड़ा करने वालों ने बनाए हैं।इन फर्जी दस्तावेजों के जरिए काउंसिल में रजिस्ट्रेशन पाने की चाहत रखने वाले पूरे 50 लोग जल्द ही जेलों की सलाखों के पीछे होंगे। उत्तर प्रदेश फार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार डा. भानू प्रताप सिंह कल्याणी ने इन सभी के खिलाफ लखनऊ के गाजीपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।

*सबसे अधिक फर्जी प्रमाण राजस्थान के संस्थानों से*

रजिस्ट्रेशन के लिए फर्जी दस्तावेज लगाने वालों ने सबसे अधिक राजस्थान के शैक्षणिक संस्थानों के नाम से फर्जी दस्तावेज बनाए हैं। जनार्दन राय राजस्थान विद्यापीठ उदयपुर राजस्थान के नाम से 13 आवेदकों ने फर्जी दस्तावेज लगाए हैं। जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी, श्रीधर यूनिवर्सिटी राजस्थान, ओपीजेएस यूनिवर्सिटी राजस्थान के नाम से भी फर्जी दस्तावेज हैं। राजस्थान के संस्थानों के नाम से फर्जी दस्तावेज बनवाने वाले अधिकांश लोग पश्चिमी यूपी से हैं। इक्का-दुक्का बुंदेलखंड व कानपुर से हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों के नाम से भी फर्जी दस्तावेज लगे हैं। बोर्ड आफ टेक्निकल एजुकेशन उत्तर प्रदेश से जुड़े दर्जन भर संस्थान के साथ ही मेरठ व मुरादाबाद के प्राइवेट विश्वविद्यालय के नाम का भी फर्जी दस्तावेज आवेदकों ने लगाया है।

*इनके खिलाफ दर्ज कराया गया है एफआईआर*

बृजमोहन पांडेय बलरामपुर, सुधीर कुमार गोरखपुर, पुष्पेंद्र शर्मा, बुलंदशहर, आदित्य सिंह गाजियाबाद, शुभम पवार बागपत, योगेश कुमार गौतमबुद्धनगर, मोहित सोलंकी बुलंदशहर, अजय कुमार बिजनौर, सरफराज बुलंदशहर, देवेंद्र सिंह कानपुर नगर, राजेश साहू कानपुर नगर, अखिलेश शर्मा कानपुर नगर, शुभ ओमर हमीरपुर, सुमित गुप्ता बांदा, रवि शर्मा सिद्धार्थनगर, महेंद्र संतकबीर नगर, अभिनय बलिया, महेश कुमार उन्नाव, अनिल कुमार गोरखपुर, आलोक बांदा, हिबा फुरकान कानपुर नगर, विनय कुमार सुल्तानपुर, हर्ष गुप्ता शाहजहांपुर, दीपक कुमार गुप्ता पीलीभीत, मुनेंद्र बदायूं, दिलीप कुमार रायबरेली, गनानंद निर्मल प्रतापगढ़, साधना वर्मा प्रतापगढ़, शिवचंदन कुमार कौशांबी, अखिलेश्वर लाल श्रीवास्तव सिद्धार्थनगर, मोहम्मद अली अमेठी, यशपाल सैनी बरेली, शैलेंद्र सिंह कानपुर नगर, सद्दाम हुसैन बरेली, दीपक रोहेला सहारनपुर, ओमकार मौर्या लखनऊ, पृथ्वीराज कश्यप बरेली, मुकेश कुमार शर्मा महाराजगंज, मोहम्मद जुनैद बहराइच, नंदकिशोर वर्मा श्रावस्ती, निरंकार वर्मा श्रावस्ती, पवन कुमार श्रावस्ती, सहाबुद्दीन श्रावस्ती, मनीष कुमार वर्मा श्रावस्ती, आनंद कुमार यादव बहराइच, सीताराम कुशवाहा कुशीनगर, सलमान मंजर गोरखपुर, अर्तुनि्नशा कुशीनगर, शिवानी सचान कानपुर नगर तथा प्रवेश कुमार वर्मा श्रावस्ती के नाम तहरीर में दी गई है।

*सतर्कता, अब संस्थानों से उनके रिजल्ट मंगाएगा काउंसिल*

इस बड़े खेल के पकड़ में आने के बाद तय किया गया है कि काउंसिल डी-फार्मा और बी-फार्मा की डिग्री डिप्लोमा देने वाले संस्थानों से हर साल उनका रिजल्ट मंगाएगा। साथ ही संस्थानों के आफिशियल वेबसाइट पर मेल के माध्यम से दस्तावेजों का वेरीफिकेशन कराएगा। उत्तर प्रदेश फार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार डा. भानू प्रताप सिंह कल्याणी का कहना है कि काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिए आए सभी आवेदनों की सघन पड़ताल कराई जा रही है। कोई भी गलत दस्तावेजों के जरिए रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकता है। काउंसिल के सभी कार्मिकों को इस मामले में पूरी सकर्तता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।

*2021 में भी पकड़े गए थे ऐसे मामले*

काउंसिल के ओएसडी रमेश चंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक फर्जी दस्तावेज लगाने वाले आवेदकों ने यूपी के साथ ही दूसरे राज्यों के शैक्षिक प्रमाण पत्र लगाए थे। वेरिफिकेशन में संबंधित संस्थानों ने दस्तावेजों के फर्जी होने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि 2021 में भी इस तरह के मामले पकड़े गए थे, जिसकी जांच क्राइम ब्रांच लखनऊ कर रही है।

*छात्र-शिक्षक अनुपात की दूरी पाट रहा पूरब का ऑक्सफोर्ड*

*इलाहाबाद विश्वविद्यालय के 33 विभागों में 352 शिक्षकों की हुई नियुक्ति*

*जेके और मोनिरबा ने एनआईआरएफ में पहली बार बनाई जगह*

प्रयागराज, कार्यालय संवाददाता। इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) की स्थापना को 23 सितंबर को 138 साल पूरे हो जाएंगे। सिर्फ 13 विद्यार्थियों के साथ शुरू हुआ म्योर कॉलेज ‘पूरब का ऑक्सफोर्ड’ तक कहलाया। यहां जो पौधा रोपा गया, वह वटवृक्ष बन गया। इसकी गौरवगाथा रोमांचित करने वाली है। कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव की पहल पर इविवि छात्र-शिक्षक अनुपात की दूरी पाट रहा है। अब तक 33 विभागों में 352 नए शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है। इसमें जेएनयू, बीएचयू, आईआईटी जैसे संस्थानों से शिक्षक यहां पढ़ाने आए हैं। प्रयास है कि इन्हें अच्छी से अच्छी सुविधाएं दी जा सकें, ताकि वे रिसर्च के क्षेत्र यहां विकसित कर सकें।अभी बीते आठ अगस्त को एनआईआरएफ की रैंक मंत्रालय ने जारी की थी। इसमें इविवि 200 की सूची से बाहर रहा, लेकिन पहली बार इस विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग और प्रबंधन संस्थानों को सूची में स्थान मिला है। हालांकि रैंक नहीं मिली। देश के शीर्ष 200 तकनीकी शिक्षण संस्थानों में इविवि के तकनीकी संस्थान जेके इंस्टीट्यूट और देश के 125 सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन संस्थानों की सूची में इविवि के प्रबंधन संस्थान मोनिरबा का नाम दर्ज हुआ है। जो इविवि के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है।

*विवि की ग्रेडिंग और रेटिंग में उत्कृष्ट प्रदर्शन होगा वीसी*

इविवि की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव का कहना है कि इविवि में पिछले चार वर्षों में 33 विभागों में 352 शिक्षकों की नियुक्ति, संरचनात्मक सुविधाओं तथा बढ़ती हुई अकादमी प्रतिष्ठा सहित कई प्रगति हुई है। लगातार बढ़ते शोध से विश्वविद्यालय के पूरे माहौल में एक स्वस्थ अकादमिक परंपरा स्वरूप ले रही है और यह भविष्य के लिए एक सुखद संकेत है। हमारा प्रयास है कि विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा तथा भारतीय खेलों को बढ़ावा मिले। हमें विश्वास है कि हमA++ की सर्वोच्च ग्रेडिंग प्राप्त करेंगे और आने वाले वर्षों में विवि की ग्रेडिंग और रेटिंग में उत्कृष्ट प्रदर्शन होगा।

*दो अत्याधुनिक हॉस्टल और बस सेवा की सौगात*

इस सत्र से इलाहाबाद विश्वविद्यालय को दो नए हॉस्टल मिले हैं। दोनों नवनिर्मित छात्रावासों में 192 विद्यार्थियों को कमरे आवंटित किए जाएंगे। गार्गी छात्रावास में 80 छात्राओं को कमरे आवंटित किए जाएंगे। वहीं चैथम लाइन स्थित नवनिर्मित श्यामजी कृष्ण वर्मा छात्रावास में 112 छात्रों को कमरे इस बार से आवंटित किए जाएंगे। इसके अलावा विवि की महिला कर्मचारियों, शिक्षक एवं छात्राओं के लिए बस सेवा शुरू की जाएगी। इसके लिए बसें खरीद ली गई हैं।

*पांच साल में 65 पेटेंट के लिए आवेदन*

इविवि में पांच साल में 65 पेटेंट के लिए आवेदन किए गए हैं। 20 से अधिक आवेदन पिछले वर्ष हुए हैं। इसके अलावा 5000 से ज्यादा रिसर्च पेपर शोध और 1500 से ज्यादा बुक प्रकाशित हो चुकी हैं। पांच वर्षों में करीब 100 करोड़ के प्रोजेक्ट मिले हैं। 2000 सीट का ऑडिटोरियम का भी निर्माण हो रहा है। 375 गैर शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति लगभग पूरी हो चुकी है।

*दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिकों में इविवि के 19 शिक्षक*

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के 19 शिक्षकों ने दुनिया के शीर्ष दो फीसदी वैज्ञानिकों में जगह बनाई है। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय ने हर साल की तरह इस बार भी शीर्ष वैज्ञानिकों की लिस्ट जारी की थी, जिसमें दुनिया भर से 8.5 लाख वैज्ञानिकों को शामिल किया गया है। इस सूची में इविवि के आठ विभागों के वैज्ञानिक शामिल हैं।

*तीन दिन का फरमान, दो साल से लटका वेतनमान*

*डीआईओएस ऑफिस में दो साल से पड़ी हैं फाइल, सुनवाई नहीं*

प्रयागराज, मुख्य संवाददाता। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अफसरों को आदेश दिए हैं कि बिना किसी कारण के कोई भी फाइल तीन दिन से अधिक किसी भी पटल (काउंटर) पर लंबित नहीं होनी चाहिए, लेकिन इस आदेश का पालन होते नहीं दिख रहा है। जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में दर्जनों मामले महीनों नहीं सालों से लंबित हैं, लेकिन उनका समाधान नहीं हो रहा। शिक्षक चक्कर लगाते-लगाते थक चुके हैं पर सुनवाई नहीं हो रही।माध्यमिक शिक्षा संघ ठकुराई गुट के प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी ने डीआईओएस पीएन सिंह को शिक्षकों की समस्याओं का ज्ञापन देकर सभी मामलों के निस्तारण का अनुरोध किया है। डीआईओएस पीएन सिंह का कहना है कि सभी मामलों की समीक्षा करा रहे हैं और जल्द से जल्द निस्तारण कराया जाएगा।

*कई बार आवेदन, पर सुनवाई नहीं* किदवई गर्ल्स इंटर कॉलेज की प्रवक्ता जीना सुल्तान की नियुक्ति जनवरी 2018 में तथा रेहान बानो की नियुक्ति अक्तूबर 2018 में हुई, लेकिन आज तक इनका प्रान आवंटन नहीं हो सका है। इसके चलते अंशदान भी नहीं हो पा रहा है। रमादेवी बालिका इंटर कॉलेज के संबद्ध प्राइमरी की नौ शिक्षिकाओं जिनकी नियुक्ति नौ साल पहले हुई है, उनका प्रान आवंटन नहीं हो सका है। महिला ग्राम इंटर कॉलेज से संबद्ध प्राइमरी की शिक्षिका वंदना त्रिपाठी, रेनू सिंह तथा मानसी सिंह के प्रान आवंटन के लिए आवेदन कई बार भेजा गया, लेकिन आवंटन नहीं हो सका।

मजीदिया इस्लामिया इंटर कॉलेज के सहायक अध्यापक इमरान खान और समन यास्मीन को 10 वर्ष की सेवा पर क्रमश तीन व चार जनवरी 2022 को चयन वेतनमान मिलना था। दोनों की पत्रावली जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय को 18 अक्तूबर 2022 को मिली, लेकिन आज तक वेतनमान स्वीकृति का आदेश जारी नहीं हो सका है।

इलाहाबाद इंटर कॉलेज की प्रवक्ता डॉ. सुनीता सिंह की एनपीएस कटौती होने के बाद भी नवंबर-दिसंबर 2020 तथा जनवरी 2021 की धनराशि उनके प्रान खाते में प्रदर्शित नहीं हो रही है। सहायक अध्यापक अमर कुमार के एनपीएस कटौती के बाद भी मार्च 2021 से आगे के महीनों की धनराशि उनके प्रान खाते में प्रदर्शित नहीं है। दोनों प्रकरण दो नवंबर 2022 को डीआईओएस कार्यालय भेजे गए, लेकिन आज तक निराकरण नहीं हो सका है।

अग्रसेन इंटर कॉलेज के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ. राजीव मिश्र के प्रोन्नत वेतनमान का अवशेष 64333 का बिल डीआईओएस कार्यालय में 23 अगस्त 2023 को भेजा गया, लेकिन भुगतान नहीं हो सका है। सहायक अध्यापक अमित कुमार सिंह के चयन वेतनमान के अवशेष तथा सहायक लिपिक विनोद कुमार त्रिपाठी के प्रथम एसीपी का अवशेष बिल 26 जुलाई 2023 जबकि सहायक अध्यापक शिवकुमार मिश्र के प्रोन्नत वेतनमान का अवशेष बिल 25 जुलाई 2023 को भेजा गया, लेकिन भुगतान नहीं हो सका है।

*भर्ती प्रस्तावों की खामियां विभागों को 15 दिनों में करनी होगी दूर*

*कार्मिक विभाग ने सभी विभागाध्यक्षों को भेजा निर्देश*

लखनऊ विशेष संवाददाता।भर्ती प्रस्तावों की खामियां विभागों को अब 15 दिनों में दूर करते हुए उसे पुन: संबंधित आयोगों को भेजना होगा। प्रमुख सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक एम. देवराज ने इस संबंध में सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश भेज दिया है। इसमें कहा गया है कि सभी विभागों के समूह ‘क, ‘ख व ‘ग के पदों पर भर्ती के लिए आयोगों को प्रस्ताव ई-अधियाचन पोर्टल के माध्यम से भेजने की व्यवस्था की गई है। सभी विभागाध्यक्ष इसका कड़ाई से पालन करेंगे और खामियां तय समय में दूर करेंगे, जिससे रिक्त पदों को जल्द भरा जा सके।विभागों को भेजे गए निर्देश में कहा गया है कि ई-अधियाचन पोर्टल पर निर्धारित प्रारूप पर भर्ती संबंधी प्रस्ताव भेजा जाएगा। यह ध्यान रखा जाए कि पोर्टल पर पहले भेजे गए प्रस्तावों को दोबारा न भेजा जाए। आयोगों द्वारा आपत्ति के साथ वापस किए जाने वाले प्रस्तावों की सभी आपत्तियां तत्काल निस्तारित करते हुए 15 दिनों में उसे आयोगों को पुन: भेजा जाएगा। विभागीय स्तर पर कोई प्रस्ताव अगर विचाराधीन है तो उसका भी तत्काल परीक्षण कराते हुए आयोगों को भेजा जाएगा।ई-अधियाचन पोर्टल पर ऑनबोर्ड विभागों और विभाग के तहत स्थापित कार्यालयों की मैपिंग एनआईसी द्वारा कराई जाए, जिससे पदों की पूरी जानकारी ऑनलाइन हो सके। ई-अधियाचन पोर्टल पर उपलब्ध कराई गई सभी सूचना एनआईसी द्वारा कराई जाए, जिससे सही से परीक्षण कराने में किसी तरह की बाधा उत्पन्न न हो।

*संपत्ति की सूचना न देने वाले कर्मियों को बचाने वाले डीडीओ का रुकेगा वेतन*

*90 फीसदी कर्मियों ने अभी तक दी संपत्ति की सूचना*

लखनऊ- विशेष संवाददाता।राज्य सरकार चल-अचल संपत्ति का ब्योरा न देने वाले कर्मचारियों को बचाने वाले आहर वितरण अधिकारी (डीडीओ) का वेतन रोकने का फैसला किया है। इस संबंध में सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश भेज दिया गया है।मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की ओर से जारी शासनादेश के मुताबिक अब करीब 90 फीसदी कर्मियों ने अपनी चल और अचल संपत्ति का ब्यौरा दे दिया है। मानव संपदा पोर्टल पर संपत्ति की घोषणा की अंतिम तिथि 30 सितंबर है। संपत्ति का ब्योरा देने वाले राज्य के कर्मचारियों और अधिकारियों को ही सितंबर का वेतन मिलेगा, लेकिन 12 सितंबर तक 844374 में से 719807 कर्मचारियों-अधिकारियों ने ही अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया है।शासनादेश में 12 सितंबर तक के उपलब्ध आंकड़े लिए गए हैं, जबकि शासन के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक 22 सितंबर तक करीब 90 फीसदी कर्मी पोर्टल पर संपत्ति का ब्योरा दे चुके हैं। शासनादेश में कहा गया है कि इसकी नियमित समीक्षा डीडीओ के स्तर से भी किया जाना जरूरी है। इसलिए संपत्ति का ब्योरा न दिए जाने पर उन्हें भी जवाबदेह बनाया गया है। चल-अचल संपत्ति का ब्योरा पोर्टल पर दर्ज करने वाले कार्मिकों और उन कार्मिकों के आहरण वितरण अधिकारी का ही सितंबर का वेतन जारी किया जाएगा। सभी विभागों और कार्यालयों के प्रमुख का दायित्व है कि वे संपत्ति का ब्योरा निर्धारित अवधि में पोर्टल पर दर्ज कराएं। पोर्टल पर प्रदर्शित न होने पर एनआईसी से मिलकर समाधान निकालें।

*अब ग्राम पंचायत सचिव स्कूलों में बंटवाएंगे फल*

प्रयागराज मुख्य संवाददाता आठवीं तक के स्कूलों में मिड-डे-मील योजना के तहत सोमवार को बंटने वाले फल का वितरण अब ग्राम पंचायत सचिव सुनिश्चित कराएंगे। 22 जुलाई और पांच अगस्त को कई स्कूलों में फल का वितरण नहीं हुआ था। इस पर बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी ने जिला पंचायत राज अधिकारी रविशंकर द्विवेदी को पत्र लिखकर जिले के सभी विद्यालयों में सोमवार (फल दिवस) को फल वितरण कराते हुए आईवीआरएस प्रणाली में सूचना दर्ज कराने की अपेक्षा की थी।इस पर जिला पंचायत राज अधिकारी ने सभी सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) को 19 सितंबर को निर्देशित किया है कि विकास खंड के सभी विद्यालयों में प्रत्येक फल दिवस पर फल वितरण कराने एवं आईवीआरएस प्रणाली में सूचना दर्ज कराने के लिए सभी ग्राम पंचायत सचिवों को अपने स्तर से निर्देशित करें। तीन मई 2016 को सप्ताह में एक दिन (सोमवार) अतिरिक्त पोषक तत्वों की पूर्ति के उद्देश्य से ताजे एवं मौसमी फल उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई थी।

*80% अभ्यर्थियों ने दी संयुक्त शोध प्रवेश परीक्षा*

प्रयागराज।इलाहाबाद विश्वविद्यालय की संयुक्त शोध प्रवेश परीक्षा (क्रेट-2024) रविवार को शहर के 16 केंद्रों पर हुई। 80 फीसदी अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए। इविवि अगले माह परिणाम जारी करेगा और इसके बाद द्वितीय चरण साक्षात्कार का कार्यक्रम विभागवार जारी किया जाएगा। इलाहाबाद विश्वविद्यालय और संघटक महाविद्यालयों में 43 विषयों की 1219 सीटों पर प्रवेश के लिए इस परीक्षा का आयोजन किया गया। इसमें विश्वविद्यालय के विभागों/केंद्रों में 770 और संघटक महाविद्यालयों में 449 सीटें हैं। परीक्षा में 9320 उम्मीदवार पंजीकृत थे, इनमें से 7424 (80 %) शामिल हुए हैं। 1896 अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे। पहला प्रश्नपत्र वस्तुनिष्ठ आधारित था, इसमें 50 प्रश्न पूछे गए थे। वहीं दूसरा प्रश्नपत्र संबंधित विषय का था। अभ्यर्थियों ने प्रश्नपत्र के स्तर को औसत बताया है। इविवि प्रशासन का कहना है परिणाम जारी कर विभाग को भेज दिया जाएगा। विभाग अपने स्तर से क्रेट स्तर-2 यानी साक्षात्कार की प्रक्रिया शुरू करेंगे।

*चलेंगी पूर्वा हवाएं, यूपी में फिर बरसेंगे मेघ, नए वेदर सिस्टम से सुहाना होगा मौसम*

संवाद न्यूज एजेंसी, लखनऊ।यूपी में पिछले कुछ दिनों से बारिश का सिलसिला थमा हुआ है। रविवार को पूर्वी और पश्चिमी यूपी में मौसम शुष्क रहने के आसार हैं। कहीं भी बारिश की संभावना नहीं है। इसके बाद सोमवार को मध्यप्रदेश से सटे हुए जिलों समेत बुंदेलखंड के ललितपुर, झांसी आदि इलाकों में छिटपुट बूंदाबांदी के आसार हैं। मौसम विशेषज्ञों की मानें तो मंगलवार से अगले तीन-चार दिन प्रदेश में दोबारा मौसम सुहाना रहने वाला है। प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से बारिश की कमी, धूप और बढ़ते तापमान से उमस भरी गर्मी लोगों को परेशान कर रही है। मौसम विभाग के मुताबिक मानसून की विदाई से पहले यूपी में एक बार फिर झमाझम बारिश के आसार हैं।मौसम वैज्ञानिक एम दानिश के मुताबिक बंगाल की खाड़ी में नए बन रहे कम दबाव क्षेत्र और विकसित हो रहे नए वेदर सिस्टम के असर से मंगलवार से प्रदेश के विभिन्न इलाकों में बूंदाबांदी की संभावना है। इस बीच प्रदेश भर में पूर्वा हवाएं भी चलेगी।

*राजर्षि मुक्त विश्वविद्यालय में सेमेस्टर प्रणाली खत्म, प्रोजेक्ट प्रणाली में भी बदलाव*

वाराणसी।राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय ने अपनी शिक्षा पद्धति में कई महत्वपूर्ण फेरबदल किए हैं। सेमेस्टर प्रणाली समाप्त कर वार्षिक परीक्षा प्रणाली लागू कर दी है। अब यहां पंजीकृत होने वाले छात्र-छात्राओं को प्रोजेक्ट प्रणाली की जगह केवल असाइनमेंट व्यवस्था का पालन करना होगा। वहीं, प्रवेश की अंतिम तिथि अब 30 सितंबर 2024 कर दी गई है।महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ परिसर स्थित क्षेत्रीय अध्ययन केंद्र एस-1602 से एमबीए-एमसीए में छात्र-छात्राएं सीधे प्रवेश भी ले सकते हैं। विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ. एसके सिंह बताया कि राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति ने छात्रों की सुविधाओं को ध्यान रखते हुए सेमेस्टर प्रणाली समाप्त की है। अब जुलाई 2024 सत्र में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं को वर्ष में केवल एक बार परीक्षा देनी पड़ेगी। यूजीसी से डिस्टेंस मोड के विद्यार्थियों के लिए नई शिक्षा नीति 2020 में लागू सेमेस्टर प्रणाली से छूट देने की अनुमति मिली है। राज्य में मुक्त विश्वविद्यालय एकमात्र शिक्षण संस्था है जहां वार्षिक परीक्षा प्रणाली लागू होगी।जुलाई सत्र से पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स में प्रोजेक्ट प्रणाली भी समाप्त की गई है। अब छात्रों को केवल पेपर के अनुसार असाइनमेंट जमा करने होंगे। क्षेत्रीय समन्वयक ने कहा कि छात्रों की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए विभिन्न प्रावधान किए गए हैं ताकि वे तनाव से मुक्त होकर वर्ष में केवल एक बार परीक्षा दे सकें।राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने छात्रों को सुविधा के लिए हाल ही में ‘एकलव्य’ एप का विमोचन किया है। इस एप को अपने मोबाइल पर डाउनलोड कर छात्र-छात्राएं विश्वविद्यालय एवं अपने विषय से संबंधित समस्त जानकारी जान सकते हैं। राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय कार्यालय के अंतर्गत वाराणसी सहित जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली, सोनभद्र, मिर्जापुर एवं भदोही जिले के लगभग ढाई सौ अध्ययन केंद्र हैं। इन केंद्रों पर लगभग 13000 विद्यार्थी अध्यनरत है।

*फर्जी वैज्ञानिक ने इसरो में नौकरी का दिया झांसा देकर 31 लाख हड़पे*

लखनऊ।इसरो में रिसर्चर और क्लर्क की नौकरी दिलाने का झांसा देकर किराना व्यापारी से 31 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई। यह आरोपी लगाते हुए व्यापारी ने ठाकुरगंज कोतवाली में धोखाधड़ी का मुकदमा कोर्ट के आदेश पर दर्ज कराया है। ठाकुरगंज नगरिया निवासी श्रीदत्त यादव किराना व्यापारी हैं। कुछ वक्त पूर्व उनकी मुलाकात विकास राजबली यादव से हुई। जो इसरो में वैज्ञानिक होने का दावा करता है। बातचीत के दौरान श्रीदत्त ने बताया कि बेटा मनीष यादव, बेटी बबिता और सरिता यादव भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। यह होने पर विकास ने इसरो में रिसर्चर और लिपिक संवर्ग में नियुक्तियां होने की जानकारी दी। आरोपी ने दावा किया कि वह खुद वैज्ञानिक है। राष्ट्रपति से भी अच्छे काम के लिए पुरस्कार मिला है। आरोपी विकास ने कुछ फोटो भी दिखाए थे। जिसके चलते श्रीदत्त को भरोसा हो गया। विकास ने व्यापारी से कहा कि आपके बेटे और बेटियों की नियुक्ति करा देंगे। वर्ष 2018 में बात शुरू होने के बाद आरोपी ने टुकड़ों में करीब 31 लाख रुपये लिए। विश्वास में लेने के लिए नियुक्ति पत्र भी भेजे। पर, श्रीदत्त के बेटे और बेटियों की नियुक्ति नहीं हो सकी। पूछताछ करने पर आरोपी धमकाने लगा। छानबीन में पता चला कि विकास वैज्ञानिक नहीं है। यह जानकारी मिलने पर पीड़ित ने ठाकुरगंज कोतवाली में तहरीर दी थी। जिस पर सुनवाई नहीं हुई। नतीजतन श्रीदत्त ने न्यायालय में अर्जी दायर कर दी। कोर्ट के आदेश पर विकास राजबली, उसके भाई विक्रम, पिता राजबली समेत छह लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गय

*यूपी: प्रदेश के इन सरकारी कर्मचारियों की रुक सकती है सितंबर माह की सेलेरी, 30 सितंबर तक देना है ये ब्योरा*

अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ।चल-अचल संपत्ति का ब्योरा न देने वाले राज्य कर्मचारियों के साथ ही अब उनके आहर-वितरण अधिकारी (डीडीओ) का भी वेतन रोका जाएगा। इस संबंध में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने नया शासनादेश जारी कर दिया है। मानव संपदा पोर्टल पर संपत्ति की घोषणा की अंतिम तिथि 30 सितंबर है। अभी तक 84 हजार राज्य कर्मचारियों ने अपनी संपत्ति का खुलासा नहीं किया है।जारी शासनादेश के अनुसार, राज्य कर्मियों को पोर्टल पर संपत्ति का ब्योरा दर्ज करने के लिए 30 सितंबर तक अंतिम अवसर दिया गया है। यह भी निर्देश दिए गए हैं कि संपत्ति का ब्योरा देने वाले राज्य के कर्मचारियों और अधिकारियों को ही सितंबर का वेतन मिलेगा। लेकिन, 12 सितंबर तक 844374 में से 719807 कर्मचारियों-अधिकारियों ने ही अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया है। यहां बता दें कि शासनादेश में 12 सितंबर तक के उपलब्ध आंकड़े लिए गए हैं, जबकि शासन के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक 22 सितंबर तक करीब 90 फीसदी कर्मी पोर्टल पर संपत्ति का ब्योरा दे चुके हैं।शासनादेश में कहा गया है कि इसकी नियमित समीक्षा डीडीओ के स्तर से भी किया जाना जरूरी है। इसलिए संपत्ति का ब्योरा न दिए जाने पर उन्हें भी जवाबदेह बनाया गया है। चल-अचल संपत्ति का ब्योरा पोर्टल पर दर्ज करने वाले कार्मिकों और उन कार्मिकों के आहरण वितरण अधिकारी का ही सितंबर माह का वेतन जारी किया जाएगा।

*ब्योरा देने से छूट तो भी इसकी सूचना देनी होगी पोर्टल पर*

शासनादेश में कहा गया है कि सभी विभागों और कार्यालयों के प्रमुख का यह दायित्व है कि सभी कर्मियों की संपत्ति का ब्योरा निर्धारित अवधि में पोर्टल पर दर्ज कर दिया जाए। अगर पोर्टल पर यह प्रदर्शित नहीं हो रहा है तो संबंधित नोडल अधिकारी एनआईसी से संपर्क कर समाधान निकालें। जिन कार्मिकों को संपत्ति का विवरण पोर्टल पर दर्ज करने से छूट दी गई है, इस छूट की सूचना भी पोर्टल पर उपलब्ध रहनी चाहिए।

*यूपी: ओपीएस बहाली के लिए राष्ट्रपति को भेजे गए 3.75 लाख पोस्ट कार्ड, पुरानी पेंशन के लिए बनी ये रणनीति*

अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ पुरानी पेंशन बहाली के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ की ओर से अब तक 3.75 लाख पोस्ट कार्ड राष्ट्रपति को भेजे जा चुके हैं। यह जानकारी रविवार को लखनऊ में हुई संघ की प्रांतीय कोर कमेटी की बैठक में दी गई।प्रांतीय कार्यालय में हुई बैठक में प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने प्रदेश भर मे शिक्षकों द्वारा चलाए जा रहे पोस्ट कार्ड अभियान की जिला व मण्डल स्तर की समीक्षा की। सभी जिलाध्यक्षों को निर्देश दिया कि 30 सितम्बर तक जो शिक्षक व कर्मचारी पोस्ट कार्ड नहीं लिखे हैं, उनसे ब्यक्तिगत संपर्क कर कार्ड भिजवाए, ताकि 5 लाख पोस्ट कार्ड भेजने का लक्ष्य पूरा हो सके।बैठक में उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन कर्मचारियों का हक है। इसे बंद करके शिक्षकों- कर्मचारियों का हक मारा जा रहा है। ऐसे में अब आंदोलन और तेज होगा। उन्होंने कहा कि समायोजन के चक्कर में शिक्षकों के जिला के अंदर सामान्य ट्रांसफ़र नहीं किया गया। समायोजन भी नहीं हुआ। बेसिक शिक्षा विभाग अक्टूबर में तबादला आदेश जारी करें, ताकि शीतावकाश (14 जनवरी- तक) में उनका ट्रांसफ़र पूरा हो सके।प्रदेश उपाध्यक्ष रश्मिकांत द्विवेदी ने शिक्षा मित्रों को नई नियमावली बनाकर स्थाई करने की मांग की। ताकि शिक्षा मित्र भी सम्मान से अपने घर परिवार का पालन-पोषण कर सके। उन्होंने विद्यालयों के काम में एनजीओ को शामिल करने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि सरकार विद्यालयों को प्राइवेट लिमिटेड हाथो में सौपना चाहती है। बैठक में अमित सिंह, संदीप जायसवाल, विनय सिंह, सुधाकर यादव, सरिता सिंह, राकेश पांडेय, महेश कुमार आदि उपस्थित थे l

*101 साल की जुबैदा ने दी साक्षर परीक्षा*

मेरठ। मेरठ के प्राथमिक और कम्पोजिट विद्यालयों में नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत परीक्षा में 101 साल की जुबैदा भी शामिल हुईं। बेहद खुश नजर आ रहीं जुबैदा ने अपने जज्बातों को बयां करते सभी को सीख देते हुए कहा कि पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती। असाक्षरों की मूल्यांकन परीक्षा में 2500 के लक्ष्य के सापेक्ष 2382 ने परीक्षा दी।

*रजिस्टर में दर्ज कर हल कराएंगे शिक्षकों की समस्या*

प्रयागराज। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ प्रयागराज इकाई की बैठक रविवार को शिक्षक भवन साउथ मलाका में हुई। जिलाध्यक्ष देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने सभी ब्लॉक अध्यक्ष और मंत्री से उनके ब्लॉकों की समस्याओं पर बिन्दुवार चर्चा की। नवनिर्वाचित तहसील प्रभारी और संघर्ष समिति के सदस्यों से परिचय प्राप्त कर शिक्षकों की समस्याओं को ब्लॉकों में रजिस्टर में दर्ज कर तिथिवार ब्लॉक स्तर पर तथा जिला स्तर पर निस्तारण करवाने के निर्देश दिए। कहा कि इसकी प्रतिमाह समीक्षा भी की जाएगी।शिक्षकों ने कार्यालय वित्त एवं लेखाधिकारी की ऑनलाइन एरियर प्रणाली, जीपीएफ ऋण, एनपीएस से संबंधी समस्याओं और बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जीपीएफ, चयन वेतनमान आदि से संबंधित समस्याओं से अवगत कराया।

*रुहेलखंड विवि में प्रवेश को आवेदन आज से*

बरेली। रुहेलखंड यूनिवर्सिटी कैंपस के मानविकी विभाग में संचालित विभिन्न डिप्लोमा, सर्टिफिकेट और पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश 23 सितंबर से 30 सितंबर तक होंगे। कुलसचिव संजीव कुमार सिंह ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत छात्र एक साथ दो कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। इसमें एक कोर्स संस्थागत और दूसरा कोर्स ऑनलाइन होगा। 600 रुपये पंजीकरण शुल्क जमा करना होगा।

*69000 भर्ती विवाद के बीच उछला ईडब्ल्यूएस का मुद्दा, आज होनी है सुनवाई*

प्रयागराज।परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण विवाद के कारण नए सिरे से पूरी चयन सूची बनाने के हाईकोर्ट के डबल बेंच के आदेश का मामला अभी थमा भी नहीं था कि इस भर्ती में ईडब्ल्यूएस का मुद्दा उछल गया है। इस भर्ती में आर्थिक रूप से पिछड़े (ईडब्ल्यूएस) अभ्यर्थियों ने 10 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। अभ्यर्थियों का कहना है कि 69000 भर्ती के लिए सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा (एटीआरई) की अधिसूचना परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने एक दिसंबर 2018 को जारी की थी।प्रदेश सरकार इसी तिथि से भर्ती प्रक्रिया शुरू मानकर ईडब्ल्यूएस वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं दे रही है, जबकि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रामशरण मौर्या बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के केस में माना है कि एटीआरई एक पात्रता परीक्षा है जो किसी भी उम्मीदवार के उत्तीर्ण होने पर नौकरी की गारंटी नहीं देता है। भर्ती तब से शुरू मानी जाएगी जब जिला आवेदन प्रक्रिया शुरू होगी क्योंकि प्राथमिक शिक्षक का पद जिला स्तरीय भर्ती का है। सामान्य वर्ग प्रतियोगी छात्र मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र मिश्र का कहना है कि इस लिहाज से ईडब्ल्यूएस को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए क्योंकि 69000 शिक्षक भर्ती का विज्ञापन बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव ने 25 मई 2020 को जारी किया था और संविधान में 103वें संशोधन के बाद केंद्र सरकार ने 12 जनवरी 2019 को ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू किया था और यूपी में 18 फरवरी 2019 में यह लागू हुआ था।

*आज होनी है सुनवाई*

हालांकि हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने यह याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद ईडब्ल्यूएस वर्ग के अभ्यर्थियों ने डबल बेंच में अपील की। 17 सितंबर को सुनवाई के दौरान बेसिक शिक्षा परिषद के अधिवक्ता ने जब बात कही की 69000 भर्ती का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और 23 सितंबर को अगली सुनवाई होनी है तो डबल बेंच ने सुनवाई टाल दी। डबल बेंच में इस मामले की सुनवाई अब 16 अक्तूबर को रखी गई है।

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