June 25, 2025

UPAAJTAK

TEZ KHABAR, AAP KI KHABAR

प्रयागराज12मार्च24*डा. सत्यवान के फ्राड पर उदासीन बना है हाईकोर्ट और विश्वविद्यालय का वीसी

प्रयागराज12मार्च24*डा. सत्यवान के फ्राड पर उदासीन बना है हाईकोर्ट और विश्वविद्यालय का वीसी

प्रयागराज12मार्च24*डा. सत्यवान के फ्राड पर उदासीन बना है हाईकोर्ट और विश्वविद्यालय का वीसी

विश्वविधालय के वीसी की आंखो में सीधे धूल झोंक रहा है डा. सत्यवान

प्रयागराज। गोरखपुर जिले की तहसील बांसगांव की ग्रामसभा नेवरा का मूलनिवासी गैर अनुसूचित जनजाति का डा. सत्यवान कुमार नायक को विश्वविद्यालय द्वारा इरादतन अनुसूचित जनजाति के कोटे में नियुक्ति का लाभ देने के संबंध में पूर्वांचल दलित अधिकार मंच (पदम) के संस्थापक समाजसेवी रामबृज गौतम ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर संगीता श्रीवास्तव को रजिस्टर्ड डाक द्वारा पत्र भेजकर डा.सत्यवान के विरूद्ध आवश्यक कार्यवाही किए जानें का अनुरोध किया है।

बता दे कि डा. सत्यवान कुमार नायक ब्राह्मण होकर पांच-छः साल पहले जालसाजी करके अनुसूचित जनजाति का फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाकर इलाहाबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय का संघटक महाविद्यालय सीएमपी डिग्री कालेज के विधि विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति प्राप्त कर ली थी और जैसे ही इसकी भनक पदम संस्थापक रामबृज को हुई तो इसकी शिकायत देश के राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में शिकायत की थी। सीएमपी महाविद्यालय के तत्कालीन अधिकारियों की मिलीभगत से डा. सत्यवान दो साल तक वेतन लूटता रहा। जब वर्तमान कुलपति प्रोफ़ेसर संगीता श्रीवास्तव ईमानदारीपूर्वक सकारात्मक प्रयास कर संज्ञान लिया तो डा.सत्यवान कुमार नायक को सीएमपी महाविद्यालय ने असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद से हटा दिया गया था। तत्पश्चात डा. सत्यवान कुमार नायक ने सीएमपी महाविद्यालय और  विश्वविद्यालय के विरुद्ध काम और वेतन पाने के लिए माननीय उच्च न्यायालय में दिसम्बर 2022 में मुकदमा किया जो आज भी विचाराधीन है, किन्तु मुकदमा फर्जी और लिस्टिंग होने की वजह से तारीख नहीं लग रही थी। कुछ दिनों पहले विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार द्वारा डा.सत्वान को अनुचित लाभ पहुंचाने की नियत से उसे नया काज आफ एक्सन उपलब्ध कराने हेतु लिखकर दे दिया ताकि डा. सत्यवान कुमार नायक को सेवा से निकाल दिया गया है और वह माननीय उच्च न्यायालय में नया मुकदमा दाखिल कर सके और अनावश्यक विश्वविद्यालय का पैसा वकीलों पर खर्च हो और हुआ भी यही। डा . सत्यवाव कुमार नायक ने माननीय उच्च न्यायालय आंखो में धूल झोककर फ्राड पर फ्राड करते हुए अपने नाम में कुमार शब्द छिपाकर केवल सत्यवान नायक के नाम से दूसरा मुकदमा दाखिल किया ताकि पहले वाले मुकदमे के साथ टैग न हो और उसकी फर्जी नियुक्ति बहाल हो जाय। विश्वविद्यालय के अधिवक्ताओं को भी उसने मिला लिया है जो विश्वविद्यालय के विरुद्ध भी मुकदमा करने वाले के साथ खड़े होकर उसी के पक्ष में जवाब लगाते हैं तथा विश्वविद्यालय का धन अनावश्यक रुप से लूटा जा रहा है। जबकि सीएमपी महाविद्यालय अपना पक्ष सही ढंग से रख रहा है।

गौतम ने पत्र के मध्यम से कुलपति को अवगत कराया है कि एक सप्ताह बाद मुकदमें की सुनवाई है किंतु यदि विश्वविद्यालय से लेकर न्यायाशीश तक को अंधेरे में रखकर विश्वविद्यालय के विरूद्ध अधिवक्ता, मुकदमा चलाने वाले डा.सत्यवान के साथ खड़े है। इस तरह डा . सत्यवान एक बार फिर अपनी जालसाजी में सफल हो गया तो सरकारी धन लूटेगा जिससे एक बार पुनः विश्वविद्यालय के कुलपति और विश्वविद्यालय की भी बदनामी होगी।

गौतम ने विश्वविद्यालय के कुलपति से प्राथना कर मांग किया कि डा. सत्यवान नायक के मुकदमें में विश्वविद्यालय का सही पक्ष रखने हेतु शासकीय अधिवक्ता को यथाशीघ्र यथोचित निर्देश दे क्योंकि डा . सत्यवान नियुक्ति के समय बिल्कुल अनुसूचित जाति के नहीं थे और न है क्योंकि तत्समय चार साल के अन्दर चार बार डा.सत्यवान को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र देने का अवसर मिला था किन्तु जनजाति का प्रमाण पत्र नहीं दे सके थे।

Taza Khabar

Copyright © All rights reserved. | Newsever by AF themes.