December 11, 2024

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देहरादून30नवम्बर24* जिला पंचायतों का कार्य काल खत्म, निवर्तमान अध्यक्ष बनेंगे प्रशासक,

देहरादून30नवम्बर24* जिला पंचायतों का कार्य काल खत्म, निवर्तमान अध्यक्ष बनेंगे प्रशासक,

देहरादून30नवम्बर24* जिला पंचायतों का कार्य काल खत्म, निवर्तमान अध्यक्ष बनेंगे प्रशासक,

देहरादून से सागर मलिक की रिपोर्ट यूपीआजतक

सार: शासन ने जारी किया आदेश- जिला पंचायत अध्यक्ष बनेंगे प्रशासक

कांग्रेस ने पंचायत प्रतिनिधियों पर सरकार के भेदभावपूर्ण फैसले की मुखालफत

क्षेत्र व ग्राम पंचायतों में सरकारी अधिकारी प्रशासक नियुक्त

देहरादून। दोहरा मापदंड..क्षेत्र व ग्राम पंचायत का कार्यकाल खत्म होने पर सरकारी अधिकारी प्रशासक नियुक्त। लेकिन शासन ने जिला पंचायत का कार्यकाल खत्म होने पर निवर्तमान अध्यक्ष को ही छह महीने के लिए प्रशासक नियुक्त कर चौंका दिया।

हरिद्वार को छोड़कर शेष 12 जिला पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने पर सरकार में निवर्तमान अध्यक्ष को ही प्रशासक नियुक्त कर दिया।

जिला पंचायत राज सचिव चंद्रेश कुमार ने शनिवार को यह आदेश जारी किए। जिला पंचायत का कार्यकाल एक दिसम्बर 2024 को खत्म हो रहा है।

इधर, जारी आदेश में कहा गया कि- प्रशासक के रूप में, सम्बन्धित जनपद के जिला पंचायत के निवर्तमान अध्यक्ष को नियुक्त करने हेतु सम्बन्धित जनपद के जिलाधिकारी / जिला मजिस्ट्रेट को प्राधिकृत करते हैं।

गौरतलब है कि दो दिन पूर्व क्षेत्र पंचायत व ग्राम पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने पर शासन ने एसडीएम व अन्य अधिकारियों को प्रशासक नियुक्त कर दिया था।

इस आदेश के बाद गांव-खलिहान में इस चर्चा ने भी जोर पकड़ लिया है कि शासन ने जिला पंचायत में निवर्तमान अध्यक्ष को प्रशासक नियुक्त कर दिया। लेकिन ब्लाक प्रमुख, ग्राम प्रधान व पंचायत सदस्यों को प्रशासक क्यों नहीं नियुक्त किया।

गौरतलब है कि पंचायत संगठन कोविड काल में कार्य नहीं होने पर कार्यकाल विस्तार की मांग कर रहे थे।
इधर, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल व मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने त्रिस्तरीय पंचायतों के कार्यकाल विस्तार के बाबत भेदभाव किये जाने पर शासन को कठघरे में खड़ा किया।

गोदियाल का कहना हझ कि।इससे सरकार की मंशा पर सवाल उठते हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष की तरह क्षेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत में भी चुने गए प्रतिनिधियों को ही प्रशासक नियुक्त करना चाहिए।

कांग्रेस ने कहा कि प्रदेश सरकार निकाय,पंचायत सहकारिता व छात्र संघ चुनाव समय पर नहीं करवा पाई है।
शनिवार को हुए फैसले के बाद पंचायत संगठन के भी मुखर होने की पूरी संभावना है।

चूँकि भारत का संविधान के अनुच्छेद 243 ङ के अनुसार पंचायत का कार्यकाल प्रथम बैठक की तिथि से अधिकतम पाँच वर्ष की अवधि तक के लिए निर्धारित है। उत्तराखण्ड राज्य के समस्त जनपदों (जनपद हरिद्वार को छोड़कर) में माह-नवम्बर, 2019 में ग्राम पंचायत/क्षेत्र पंचायतों / जिला पंचायतों के सामान्य निर्वाचन सम्पन्न हुए थे। इस संबंध मे ग्राम पंचायतों के सामान्य निर्वाचन के उपरान्त शासनादेश संख्या-1429/XII

(1)/19-86(04)/2008 TC-1, दिनांक 25.11.2019 के द्वारा ग्राम पंचायतों की प्रथम बैठक 28.11.2019 एवं क्षेत्र पंचायतों व जिला पंचायतों के सामान्य निर्वाचन के उपरान्त शासनादेश संख्या- 1430/XII (1)/19-86(04)/2008 TC-1, दिनांक 25.11.2019 के द्वारा क्षेत्र पंचायतों की प्रथम बैठक दिनांक 30.11.2019 एवं जिला पंचायतों की प्रथम बैठक दिनांक 02.12.2019 को आहूत की गयी।

2- चूँकि उत्तराखण्ड राज्य के समस्त जनपदों (जनपद हरिद्वार को छोड़कर) में जिला पंचायतों के सामान्य निर्वाचन उनके कार्यकाल के अवसान से पूर्व अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण कराया जाना साध्य नहीं है।

3- अतएव अब राज्यपाल, उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 (यथा संशोधित उत्तराखण्ड पंचायतीराज (संशोधन) अधिनियम, 2020) की धारा 130 की उपधारा 6 के अधीन प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए उत्तराखण्ड राज्य की समस्त गठित जिला पंचायतों (जनपद हरिद्वार को छोड़कर) में कार्यकाल समाप्ति (दिनांक 01.12.2024) के पश्चात्, कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से छः मास से अनधिक अवधि के लिए अथवा नई जिला पंचायत के गठन होने तक अथवा अग्रिम आदेशों तक, जो भी पहले हो, प्रशासक के रूप में, सम्बन्धित जनपद के जिला पंचायत के निवर्तमान अध्यक्ष को नियुक्त करने हेतु सम्बन्धित जनपद के जिलाधिकारी / जिला मजिस्ट्रेट को प्राधिकृत करते हैं।

4- जिलाधिकारी/जिला मजिस्ट्रेट द्वारा नियुक्त प्रशासक / निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष द्वारा सम्बन्धित जिला पंचायत के प्रशासक का कार्यभार, गठित जिला पंचायत के कार्यकाल की समाप्ति (दिनांक 01.12.2024) के पश्चात् तत्काल ग्रहण कर लिया,

जायेगा । इस प्रकार नियुक्त किए गये प्रशासकों द्वारा सामान्य रूटीन कार्यों का ही निर्वहन किया जायेगा तथा नीतिगत निर्णय नहीं लिये जायेंगे। विशेष परिस्थिति में यदि नीतिगत निर्णय लिया जाना आवश्यक हो तो प्रकरण यथाप्रकिया सम्बन्धित जिलाधिकारी के माध्यम से उत्तराखण्ड शासन को संदर्भित किया जाएगा तथा राज्य सरकार के निर्देशानुसार कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।

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