July 2, 2025

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दिल्ली28अप्रैल*बौद्धों के साथ हो रहे भेदभाव को लेकर बौद्ध संगठनों की दो दिवसीय महाराष्ट्र राज्य स्तरीय बौद्ध धम्म संगोष्ठी ध्यान भूमि यावतमाल में संपन्न*।

दिल्ली28अप्रैल*बौद्धों के साथ हो रहे भेदभाव को लेकर बौद्ध संगठनों की दो दिवसीय महाराष्ट्र राज्य स्तरीय बौद्ध धम्म संगोष्ठी ध्यान भूमि यावतमाल में संपन्न*।

दिल्ली28अप्रैल*बौद्धों के साथ हो रहे भेदभाव को लेकर बौद्ध संगठनों की दो दिवसीय महाराष्ट्र राज्य स्तरीय बौद्ध धम्म संगोष्ठी ध्यान भूमि यावतमाल में संपन्न*।
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*विश्व के बौद्धों के लिए ध्यान भूमि मैत्रेय मेडिकल मेडिटेशन मॉनेस्ट्री प्रमुख शिक्षा का केंद्र होगी: भिक्खु डॉ.मित्र बोधीअशोक*
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*महाराष्ट्र राज्य स्तरीय दो दिवसीय बौद्ध धम्म संगोष्ठी-2022 का आयोजन पूज्य भिक्खु डां. मित्र बोधी अशोक, अध्यक्ष -ध्यान भूमि, मैत्रेय मेडिकल मेडिटेशन मॉनेस्ट्री चर्पडा, यवतमाल महाराष्ट्र के सानिध्य में आयोजित की गई*।
*महाराष्ट्र राज्य स्तरीय दो दिवसीय बौद्ध धम्म संगोष्ठी के सभापति पूज्य भिक्खु मित्र डां. बोधी अशोक जी के द्वारा दीप प्रज्वलित कर महाराष्ट्र राज्य के प्रमुख शहरों सहित कश्मीर, अहमदाबाद, बस्ती उत्तर प्रदेश, एवं जबलपुर मध्य प्रदेश से आए सैकड़ों बौद्ध प्रतिनिधियों को त्रिशरण, पंचशील देकर महाराष्ट्र राज्य स्तरीय दो दिवसीय बौद्ध धम्म संगोष्ठी का शुभारंभ किया*।
*महाराष्ट्र राज्य स्तरीय दो दिवसीय बौद्ध धम्म संगोष्ठी के सभापति पूज्य भिक्खु मित्र डॉ.बोधी अशोक जी ने अपने संबोधन में कहा कि प्रत्येक भारतवासी चाहता है कि हमारा देश सभी क्षेत्रों में शक्तिशाली बने,लेकिन अपने ही देश मे 85 फीसदी बहुजन गरीबी के नीचे जीवन व्यतीत कर रहे है। सही धर्म ज्ञान एवं ध्यान से वंचित है। धर्म के नाम पर अधर्म, विश्वास के नाम पर अंधविश्वास, श्रद्धा के नाम पर अंधश्रद्धा का प्रचार हो रहा है। शिक्षा, वित्त और अध्यात्म की दृष्टि से आज भी अपना समाज मजबूत नही है। इसलिए इन पर निरंतर अन्याय, अत्याचार हो रहा है।*
*पूज्य भिक्खु मित्र डॉ. बोधी अशोक जी ने देश के लाखों बेरोजगार नौजवान भीम सैनिकों को आह्वान किया है कि वे अपना जीवन सुधारने एवं रोजगार के लिए ध्यान भूमि मैत्रेय मेडिकल मेडिटेशन मॉनेस्ट्री यवतमाल से सीधा संपर्क करें, ध्यानन भूमि उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करेगी । सैनिक स्कूलों की तर्ज पर महार रेजीमेंट के अवकाश प्राप्त सैनिकों द्वारा राइफल, पिस्टल चलाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। जोकि प्रशिक्षण प्राप्त करके देश की सेवा में जाकर सेना में भर्ती हो सकेंगे*।
*इसके अलावा ध्यान, विज्ञान योग, साधना के द्वारा 500 बौद्ध भिक्खुओं को तथागत बुद्ध की प्राचीन बुद्ध ध्यान साधना का प्रशिक्षण देकर लोगों के जीवन को निरोगी एवं सुखमय बनाने में लगाया जाएगा । ध्यानभूमि में कार्य करने एवं प्रशिक्षण लेने वाले लोगों को खाने रहने की मुफ्त व्यवस्था की जाएगी*।
*भारतीय संस्कृति का आधार ध्यान योग है। इसकी शिक्षा उपनिषदों, योगसूत्र, जीनसूत्र, बुद्ध सूत्र एवं धम्मपद में बताया गया है लेकिन इसका प्रचार-प्रसार वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नहीं हो रहा है। इसी दृष्टिकोण के मद्देनजर सम्यक सम्बुध्द सम्राट अशोक, बोधिसत्व बाबासाहेब डॉ.अंबेडकर के सपनों को पूरा करने के लिए संपूर्ण भारत स्वस्थ, समर्थ, समृद्ध और प्रबुद्ध बनाने के लिए “मैत्रेय बौद्ध संघ” द्वारा ध्यान भूमि पर मैत्रेय मेडिकल मेडिटेशन मॉनेस्ट्री के अंतर्गत राष्ट्रीय स्तर पर सम्यक गतिशील समाज का निर्माण करने के लिए “मिशन समृद्धि भारत एवं प्रबुद्ध भारत” के तहत 13 केंद्रों को निर्माण किया जा रहा है। अभी ध्यान भूमि के विकास के लिए 31 एकड़ भूमि खरीदा गया है, आवश्यकता अनुसार और भी जमीन को खरीदा जाएगा। “ध्यान भूमि” भारत सहित विश्व के सभी धर्मों के लिए लोक कल्याण, ध्यान, स्वास्थ्य,योग शिक्षा का प्रमुख केंद्र होगी*।
*ध्यानभूमि मैत्रेय मेडिकल मॉनेस्ट्री, यवतमाल द्वारा अपने मुख्य उद्देश्य को लेकर ध्यान आधारित शिक्षा पद्धति विकसित करने के लिए विश्वविद्यालय शुरू करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। जिसमें नर्सरी से लेकर नर्सिंग कॉलेज, आयुर्वेदिक कॉलेज पालि, प्राकृति, संस्कृत का तुलनात्मक अध्ययन के अलावा बी. ए. ,एम. ए., पीएचडी कोर्स शुरू किए जाएंगे तथा 12वीं कक्षा पास बौद्ध भिक्खुओं के लिए “तीन वर्षीय भिक्खु कोर्स” स्नातक डिग्री देकर लोक कल्याण में लगाया जाएगा*।
*ध्यान भूमि मैत्रेय मेडिकल मेडिटेशन मॉनेस्ट्री नागपुर नांदेड़ राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे चार्पडा में स्थित है। नागपुर से ध्यान भूमि की दूरी 120 किलोमीटर एवं वर्धा से ध्यान भूमि की दूरी 45 किलोमीटर है ।ध्यान भूमि चार्पड़ा जनपद यवतमाल से 20 किलोमीटर पहले राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थापित है आगामी वर्षों में ध्यान भूमि “नेशनल रेलवे नेटवर्क” से जुड़ जाएगा। वर्धा से वाया यवतमाल, नांदेड के लिए रेल परियोजना पर कार्य किया जा रहा है*।
*ध्यान भूमि मैत्रेय मेडिकल मेडिटेशन मॉनेस्ट्री की स्थापना होने से देश-विदेश से आने वाले बौद्धों,पर्यटकों सहित देश के सभी धर्मों के लोगों का जीवन सुखमय बनाने एवं उनके रोगों से मुक्ति दिलाने के लिए मेडिकल साइंस, योग एवं ध्यान त्रिविध पद्धति के जरिए मित्र भिक्खु डा.बोधी अशोक द्वारा जो प्रशिक्षण दिया जा रहा है,यह संपूर्ण भारत एवं विश्वव्यापी कल्याण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।भारत में असाध्य रोगों से पीड़ित स्त्री पुरुष बच्चे ज्ञान भूमि में आकर “बुद्ध ध्यान, विज्ञान,योग, साधना द्वारा सशक्त एवं निरोगी काया बना सकते हैं। ध्यान भूमि में जैन साधक, मुस्लिम अल्पसंख्यक, एवं हिंदू धर्म के अनुयाई भी स्वस्थ लाभ के लिए आते हैं ,सभी का मंगल किया जाता है*।
*अन्य प्रमुख वक्ताओं एवं सुझाव देने वालों में बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत के राष्ट्रीय समन्वयक आयुष्मान अभय रत्न बौद्ध, राष्ट्रीय सलाहकार आयुष्मान रमेश बैंकर बौद्ध, महासचिव आयुष्मान आर.आर. गौतम एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली, आयुष्मान डॉ अशोक बोधी सरस्वती अध्यक्ष – बुद्ध विहार समन्वय समिति महाराष्ट्र,डॉ. के.एस. इंगोले मुंबई, पूज्य भदन्त कश्यप धम्मपद मॉनेस्ट्री पारनेर अहमदनगर, आचार्य सुधाकर चौधरी नागपुर, अमृत जबलपुर मध्य प्रदेश, बौद्ध उपासिका मेहेरा गायकवाड, बौद्ध उपासिका सुमेधा बौद्ध, प्रवक्ता महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक हरियाणा,आयु०सुनील बोरकर जिला यवतमाल,सुजाता बोरकर,यवतमाल, भीम राव ढेंगरे यवतमाल, डा० अशोक डा०सुरजीत सिंह, महात्मा गांधी हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा , डा० वाई० के० टेंभूरने बम्बई, जगदीश शिंदे नागपुर,राज्य महाराष्ट्र शामिल थे*।
*बौद्ध संगोष्ठी के मुख्य संयोजक एवं बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत के राष्ट्रीय समन्वयक आयुष्मान अभय रत्न बौद्ध ने बताया कि “बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत” विभिन्न बौद्ध संस्थाओं का समन्वय स्वत: संगठित रहकर भारतीय बौद्धों की महाशक्ति मानवतावादी स्रोत “राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुध्दगया” बौद्धों का महागठबंधन है। इसकी परिकल्पना संयुक्त राष्ट्र संघ (U.N.O.) से की गई है। इस महागठबंधन में शामिल किसी भी बौद्ध संगठन , संस्था की प्रतिष्ठा, पहचान अथवा गरिमा को किंचित नुकसान के भारतीय बौद्धों के व्यापक हितों में एकजुट होकर कार्य करने का संकल्प “बुद्धगया घोषणा” को मान्यता प्रदान की गई है*।
*भारत के बौद्धों के साथ किये जा रहे भेदभावों एवं अन्याय के विरुद्ध संयुक्त रुप से आवाज उठाने एवं संवैधानिक अधिकारों की प्राप्ति के लिए भगवान बुद्ध की ज्ञान स्थली बुद्धगया से “कार्य योजना” बनाकर स्थापना दिवस 17 मार्च 2013 से कार्य किया जा रहा है। राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुध्दगया का सत्र प्रतिवर्ष बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत के मुख्यालय में आयोजित किया जाता है जिसमें देश के पूज्य भिक्खु संघ, बौद्ध संगठनों के प्रतिनिधियों,सक्रिय निष्ठावान बौद्ध कार्यकर्ताओं ,अधिवक्ताओं, बौद्ध विद्वानों, को आमंत्रित किया जाता है । आमंत्रित प्रतिनिधियों को राष्ट्रीय बौद्ध धम्म संसद बुध्दगया में प्रस्ताव रखने , बहस में हिस्सा लेने का अधिकार प्रदान किया गया है। चर्चा के बाद पारित प्रस्तावों पर कार्यवाही के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, राज्यों के आयोग तथा देश के उच्चतम न्यायालय एवं राज्यों के उच्च न्यायालयों में बौद्ध अधिकारों एवं उनके हितों को लेकर याचिकाएं दायर की जाती है*।
*बौद्ध संगोष्ठी के मुख्य संयोजक एवं बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत के राष्ट्रीय समन्वयक अभय रत्न बौद्ध ने अपने संबोधन में कहा कि आजादी के 74 वर्षों में भारतीय बौद्धों के साथ निरंतर भेदभाव किया जा रहा है।*
*भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 (1) में “धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार” के तहत भारत के नागरिकों को किसी भी धर्म को मानने,आचरण करने का अधिकार दिया गया है किंतु भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के उपखंड (ख )के भाग- 2 की “व्याख्या” में सिक्खों, जैनियों एवं बौध्दो को हिंदू धर्म के साथ समावेश किया गया है‌ । यही मिलावट एवं घालमेल बौद्धों की गुलामी का प्रतीक है और बौद्धों की स्वतंत्र संवैधानिक पहचान में बाधा है। जबकि 3 मार्च 2002 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री वेंकटचलैया जी की अध्यक्षता वाले “संविधान समीक्षा आयोग” ने संविधान के अनुच्छेद 25 के उपखंड (ख) भाग-2 से बौद्धों, सिक्खों एवं जैनियों को हटाने की सिफारिश की है, यह मामला सिक्खों एवं बौद्धों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया गया है*।
*बौद्ध संगोष्ठी के मुख्य संयोजक अभय रत्न बौद्ध ने कहा कि भारत की सबसे पुरानी बुद्ध कालीन “पालि भाषा” को अभी तक संविधान की आठवीं सूची में शामिल नहीं किया गया और भारत सरकार ने एक साजिश के तहत पालि भाषा को ‘संघ लोक सेवा आयोग’ से विगत वर्षों में हटा दिया गया, जबकि पालि भाषा का पठन-पाठन देश भर के 55 विश्वविद्यालयों मे देशी- विदेशी शोधार्थियों द्वारा पालि भाषा में शोध कार्य किया जाता है*।
*पालिभाषा को आठवीं सूची में शामिल किए जाने का मामला भारत सरकार के गृह मंत्रालय में विचाराधीन है,हमारे कई सहयोगी संगठन इस मामले को लेकर लंबे समय से प्रयासरत हैं*।
*बौद्धों के विवाह मान्यता कानून को लेकर 13 मार्च 1981 को तत्कालीन संसद राज्य सभा श्री एस.डब्लू ढाबे नागपुर के द्वारा “बुद्धिस्ट मैरिज बिल नंबर – 11आफ 1981” विधेयक के रुप में राज्यसभा में पेश किया गया था । जिस पर 17 अगस्त 1984 एवं 18 जनवरी 1985 को बहस के लिए संसद में लाया गया था। संसदीय बहस के जवाब में तत्कालीन कानून मंत्री श्री हंसराज भारद्वाज ने राज्यसभा में आश्वासन दिया था कि माननीय सांसद एस. डब्ल्यू. ढाबे उक्त बिल को वापस ले लें, तो! सरकार बौद्धों के लिए बौद्ध विवाह मान्यता कानून को संसद में लेकर आएगी, किन्तु भारत सरकार आज तक बौद्धों को धोखा देती आ रही है और “बौद्ध विवाह मान्यता कानून को अभी तक भारतीय संसद से पारित नहीं किया गया। बौद्धों को हिंदू मैरिज एक्ट -1955 में ही रखा गया है।*
*जबकि भारत के सिक्खों का विवाह कानून “आनंद मैरिज एक्ट” को 7 जून 2012 में विधि एवं न्याय मंत्रालय भारत सरकार ने कानूनी मान्यता दे दी है*।
*भारतीय संविधान निर्माता बोधिसत्व डॉ भीमराव अंबेडकर के नाम पर राजनीति करने वाले, आरक्षित क्षेत्रों से चुनाव जीतने वाले विधायकों एवं सांसदों ने, बौद्ध एवं अंबेडकरी संस्थाओं के मठाधीशों ने आज-तक भारत में रहने वाले बोधिसत्व डॉ.अम्बेडकर अनुयायियों एवं भारतीय बौद्धों की संवैधानिक समस्याओं का समाधान करने-कराने का प्रयास नहीं किया। सभी के सभी आसंवेदनशील बने हुए हैं। आपसी गुटबाजी, अहंकार के चलते “बौद्धों का विवाह मान्यता कानून-1981” से भारत की संसद में धूल चाट रहा है। कई बौद्ध शादियों को देश की न्यायपालिका ने गैरकानूनी करार दिया है।*
*Report of Maharashtra State law Commission-1978 के अनुसार दैनिक लोकमत मराठी समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ और Buddhist law Association president Mr.K.V. Umre Advocate के द्वारा दिनांक 12 फरवरी 1981 को तत्कालीन प्रधानमंत्री भारत सरकार को दिये गये ज्ञापन पत्र में भी कहा गया कि *Buddhist rites & ceremonies and the children born out of such wedlock as the judgement pronounced in above referred criminal appeal No. 29 of 1970 between Shakuntala Versus Neelkanth the High Court of judicature at Bombay held that the marriage performed according to Buddhist rites and ceremonies is no valid message in eyes of law and the Maharashtra State law Commission Bombay in its 9th Report observed that “the Buddhists married women is not legal housewife.i.e. Dharampatni but she is a kept(Rakhel) and her progeny is illigitimate”*
*इसी तरह दीक्षाभूमि नागपुर की दुर्दशा हो रही है, विगत 125 वीं जयंती के पावन अवसर पर लगभग ₹10 करोड़ भारत सरकार के समाज कल्याण मंत्रालय ,डॉक्टर अंबेडकर प्रतिष्ठान द्वारा दीक्षाभूमि नागपुर के शौन्दर्यीकरण के लिए दिया गया जिस का सही उपयोग नहीं किया गया। आज भी दीक्षाभूमि की दुर्दशा हो रही है इस पर संगोष्ठी में गंभीरता से विचार किया गया और दीक्षाभूमि के शौन्दर्यीकरण लिए आंदोलन करने पर जोर दिया गया । इसके अलावा बाबा साहब की जन्म स्थली महू के विकास एवं सौंदर्यीकरण पर भी चर्चा हुई*।
*भारत में नव दीक्षित बौद्धों, जातिगत बौद्धों, परंपरागत बौद्धों, एवं अल्पसंख्यक बौद्धों में आपसी समन्वय बनाने तथा केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही विकास योजनाओं का फायदा बौद्ध समुदाय को कैसे प्राप्त हो? इस पर भी गंभीर चर्चा की हुई*।
*महाराष्ट्र सहित भारत के सभी राज्यों में राज्य अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया जाए और उसमें बौद्ध सदस्य को मनोनीत किया जाए इसको लेकर के भी बौद्ध संगोष्ठी में अभय रत्न बौद्ध ने बताया कि जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका इस मामले को लेकर पेश की जाएगी*।
*महाराष्ट्र के सभी प्राचीन बौद्ध स्मारकों की खोज खबर लेकर उनका संरक्षण करने, उनके ऊपर हो रहे अतिक्रमण को रोकने एवं सड़क, रेल, तथा हवाई यातायात से जोड़ने के लिए कार्य योजना बनाकर राज्य एवं केंद्र सरकार के साथ समन्वय स्थापित कर समुचित विकास एवं शौन्दर्यीकरण कराया जाएगा*!
*संगोष्ठी में महाराष्ट्र सहित देश के बौद्ध विहारों को मुस्लिम मदरसों की तर्ज पर प्राइमरी पाठशाला (बौद्ध शिक्षा केंद्र) का दर्जा दिये जाने को लेकर चर्चा की गई, सभी बुद्ध विहारों में पालि साहित्य के साथ-साथ इंग्लिश मीडियम, में अध्यापन कार्य की योजना बनाने पर गंभीर चर्चा की गई। बुध्द विहारों मे चलने वाले शिक्षा केंद्रों (प्राइमरी पाठशालाओं) को राज्य के शिक्षा विभाग एवं National Commission for Minitory Education Institutions, Ministry of Human Resource Development (Government of India) से जोड़ने पर बल दिया गया जिससे देश में चलाई जा रही अल्पसंख्यक समुदायों के लिए करोड़ों रुपयों की योजनाओं का लाभ बुध्द विहारों में चलने वाली बौद्ध संस्थाओं को भी मिल सकेगा। देश के सभी बौद्ध विहारों का सर्वे किया जाएगा और उन्हें सूचीबद्ध किया जाएगा*।
*संगोष्ठी के मुख्य संयोजक अभय रत्न बौद्ध ने कहा कि भारतीय संविधान निर्माता बोधिसत्व डॉ भीमराव अंबेडकर जी के साथ 1932 में भारत के तथाकथित राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी शहित देश के प्रमुख राजनेताओं के साथ “पूना समझौता” हुआ था जिसमें कहा गया था कि देश में अछूत,दलित वंचित ,कहीं जाने वाली जातियों को आरक्षण के विशेष प्रावधान के जरिए उनकी सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति को सुधारा जाएगा, किंतु ऐसा नहीं किया गया बल्कि उनके साथ धार्मिक, सामाजिक, जातिगत उत्पीड़न एवं आर्थिक भेदभाव निरंतर किया जाता रहा है ऐसी स्थिति में जाति विहीन -वर्ग विहीन समतामूलक समाज की स्थापना के लिए संपूर्ण भारत में धर्मांतरण एवं बौद्ध दीक्षा कार्यक्रम किए जाएंगे, और पुन: भारत में अशोक कालीन बौद्ध राष्ट्र कायम किया जाएगा*।
*भारत में गुरुद्वारों,चर्चो, मुस्लिम वक्फ संपत्तियों, हिन्दू मन्दिरों का अपना प्रबंधन कानून है किंतु बौद्धो के धम्म स्थलों “बुद्ध विहारों ” का कोई कानून भारत में नहीं है। भारत में बौद्धों के धर्मस्थल “बुद्ध विहार” को आज भी मंदिर एवं टेंपल कहा जाता है और और लिखा जाता है*।
*आजादी के 74 सालों में पूर्व राज्यसभा सांसद एस.डब्ल्यू. ढाबे को छोड़कर बोधिसत्व बाबा साहेब अंबेडकर का नाम लेने वाले एवं रिजर्व सीटों से चुनाव जीतने वाले किसी भी विधायक एवं सांसद ने अभी तक विधानसभा, राज्यसभा एवं लोकसभा में बौद्धों के संवैधानिक अधिकारों को लेकर आवाज नहीं उठाई है*।
*बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत के महासचिव एवं बुध्द विहार प्रबंधन एक्ट ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन आर.आर.गौतम अधिवक्ता,उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली ने कहा कि भारत में बुद्ध विहार बनाना आसान है किंतु दीर्घकाल तक बौद्ध धम्म विरोधी तत्वों से बचाना, संरक्षित करना असंभव है*।
*क्योंकि आपने इतिहास में पढ़ा और एवं सुना है कि भारत के चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान शक्तिशाली राजा थे। अशोक महान के द्वारा बनाए गए 84000 बुद्ध विहारों को अतिक्रमणकारियों से हमारे पूर्वज नहीं बचा पाए, उनमें से अधिकांश को नष्ट कर दिया गया और कुछ पर बलपूर्वक बौद्ध धम्म विरोधी तत्वों ने जबरन कब्जा कर लिया*।
*यदि भविष्य में दरगाह एक्ट,वक्फ एक्ट एवं गुरुद्वारा प्रबंधन एक्ट की तर्ज पर “बुद्ध विहारा प्रबंधन एक्ट” बनाकर आने वाली पीढ़ी को हम नहीं दे पाए तो! आगे भी पुनः भारत में बुद्ध विहारों के ऊपर हमला एवं गैरकानूनी कब्जा तथा अतिक्रमण होने की पूरी संभावना रहेगी*।
*इसलिए बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत ने “9वीं राष्ट्रीय बौद्ध धर्म संसद बुद्धगया” मे सर्वसम्मति से तय किया कि गुरुद्वारा प्रबंधन एक्ट एवं दरगाह एक्ट की तर्ज पर “बुद्ध विहारा प्रबंधन एक्ट” बनाकर भारत सरकार एवं लोक सभा व राज्य सभा की “याचिका समिति” में बुद्ध विहारा प्रबंधन एक्ट पारित कराने के लिए भेजा जाए, जिस पर बढ़ी सक्रियता से कार्य किया जा रहा है*।
*महाराष्ट्र राज्य स्तरीय बौद्ध धम्म संगोष्ठी में बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत के राष्ट्रीय सलाहकार रमेश बैंकर बौद्ध, महासचिव गुजरात बुद्धिस्ट अकादमी अहमदाबाद, बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति भारत में महाराष्ट्र राज्य इकाई नागपुर से हमारे सलाहकार आयुष्मान जिंदा भगत जी, बुद्ध विहारा समन्वय समिति महाराष्ट्र के अध्यक्ष अशोक बोधी सरस्वती एवं उनके सहयोगी प्रतिनिधि गण, महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक हरियाणा की प्रवक्ता बौद्ध उपासिका सुमेधा बौद्ध , पूज्य भिक्खु संघ,बौद्ध प्रवक्ता, बौध्द सकालर,विधि अधिवक्ता, महाराष्ट्र राज्य के सभी प्रमुख जिलो से बौद्ध सैकड़ों प्रतिनिधियों ने भाग लिया*।
*धन्यवाद संबोधन व्यक्त करते हुए बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति के राष्ट्रीय सलाहकारआयुष्मान रमेश बैंकर बौद्ध ने कहा कि बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय  समन्वय समिति, भारत एवं ध्यानभूमि  मैत्रेय  मेडिकल मेडिटेशन मोनेस्ट्री तथा बुद्ध  विहार  समन्वय समिति, नागपुर महाराष्ट्र  के साथ संयुक्त रुप से महाराष्ट्र राज्य  स्तरीय  दो दिवसीय  बौद्ध  धम्म संगोष्ठी “ध्यानभूमि” चापर्डा, यवतमाल में हुई।  ध्यानभूमि के संस्थापक भिक्खु मित्र डॉ. बोधी अशोक की अध्यक्षता में बौद्ध संगोष्ठी  सम्पन्न हुई*
*समापन सत्र में आभार प्रस्ताव रखते हुए  आयुष्मान  रमेश बैंकर बौद्ध  राष्ट्रीय  सलाहकार ने सर्व प्रथम भिक्खु डॉ. बोधी अशोक की माता शान्ति ताई (94 वर्ष की उम्र ) का आभार प्रकट किया जिन्होंने डो. बोधी अशोक को बौद्ध भिक्खु बनने के लिए  स्वीकृति दी*।
*भिक्खु डॉ.. बोध़ी अशोक को ध्यान भूमि पर बौद्ध संगोष्ठी के लिए  सभी प्रकार की सुविधा प्रदान करने और  सक्रिय  मार्गदर्शन  के लिए  आभार प्रकट किया*।
*आयुष्मान  शान्ति ताई के छोटे बेटे प्रकाश भाऊ का आभार मानना उचित था क्योंकि  ध्यान भूमि पर आने वाले सभी की देखभाल करने का काम बखुबी निभाते है। प्रकाश भाऊ की मैत्रीपूर्ण सेवा को सराहा गया*।
*बौद्ध संगोष्ठी में सम्मिलित  सभी सहभागियों को सुविधा  प्रदान करने वाले सभी- आयु. नारायण तेम्बुर्डे,  अनिरुद्ध  कामळे,  संजय मानकर,  उज्जवला मानेश्वर,  ज्योति बाई नामदेव, लुम्बिनी  कामळे आदि का आभार  माना गया*।
*बौद्ध संगोष्ठी कार्यक्रम को रिकोर्डिंग करने वाले आयुष्मान राजेन्द्र कुमार  जी की सेवा के लिए  धन्यवाद  दिया।*
*आयु.इश्वरी बौद्ध  और  शान्ति बौद्ध  को अपने-अपने सहधम्मचारीओं कों धम्म कार्य करने में सहयोग करने के लिए उन्हें धन्यवाद  दिया*।
*अन्त में  सभी उपस्थित प्रतिनिधियों के लिए आभार  प्रकट किया गया*।
*भवतु सब्ब मंगलं*?????
*धम्माकांक्षी*
*राजेन्द्र कुमार, मीडिया सचिव*
*बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति, भारत*
*मुख्यालय*: *महाबोधि मेडिटेशन सेन्टर, बुध्दगया, जिला, गया-824231(बिहार)*
*केंद्रीय कार्यालय*:बुद्ध कुटीर,284/सी-1, स्ट्रीट नंबर -8, नेहरू नगर, नई दिल्ली-110008
*M*:9899853744,9540563465
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