May 23, 2025

UPAAJTAK

TEZ KHABAR, AAP KI KHABAR

कौशाम्बी09जून24*कौशांबी से गए जायरीनों ने ईरान में तिरंगा फहराकर किया मुल्क से प्यार का इजहार*

कौशाम्बी09जून24*कौशांबी से गए जायरीनों ने ईरान में तिरंगा फहराकर किया मुल्क से प्यार का इजहार*

कौशाम्बी09जून24*कौशांबी से गए जायरीनों ने ईरान में तिरंगा फहराकर किया मुल्क से प्यार का इजहार*

*कौशाम्बी* हिंदी हैं हमवतन हैं, हिंदोस्तां हमारा…। देशभक्ति का यह जज्बा किसी के कहने या सिखाने से नहीं आता। यह तो वह जज्बात हैं जो खुद-ब-खुद दिलों में रहता है। जियारत करने इराक, सीरिया और ईरान पहुंचे कौशांबी के जायरीनों ने तिरंगा लहराया। मुस्लिमों ने वहां न सिर्फ हिंदुस्तानी संस्कृति को बयां किया, बल्कि देशभक्ति के तराने भी वहां गुनगुनाए। इसके अलावा करबला, नजफ, मशहद, तेहरान, कुम, दमिश्क, शाम आदि पवित्र स्थल में तिरंगा लहराया।

हिंदुस्तान को आजादी दिलाने में वैसे तो हिंदू और मुस्लिम दोनों ने ही कुर्बानियों की बेहतरीन मिसालें पेश की हैं, लेकिन सांप्रदायिक माहौल खराब कर देश की ख्याति को नुकसान पहुंचाने की नाकाम कोशिशें भी हुईं। इसी को देखते हुए कौशांबी जनपद के युवा, बुजुर्ग और महिलाओं ने मुस्लिम देशों में हिंदुस्तानी की एकता और संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने का जिम्मा उठाया है। करारी थाना के लहना गांव के रहने वाले मौलाना सैयद जाहिद हुसैन 17 मई को चालीस लोगों का काफिला लेकर इराक के नजफ शहर पहुंचे। वहां उन्होंने तिरंगा फहराकर वहां के लोगों से हिन्दुस्तान की संस्कृति के बारे में चर्चा की। मौलाना कहते हैं कि कई लोगों को यह लगता है कि हिन्दुस्तान में मुस्लिमों पर जुल्म हो रहा है, मैंने उनकी गलतफहमी दूर की, क्योंकि हिन्दुस्तान में धर्म को मानने की जितनी आजादी है, वह कहीं और नहीं है। वहीं, लहना के ही मौलाना शाहिद हुसैन और साजिद हुसैन ईरान में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। वह ईरान में हिन्दुस्तान की आजादी का जश्न मनाते हैं। इस बार भी उन्होंने 26 जनवरी पर अपने दोस्तों के साथ झंडा फहराकर मिठाई बांटने का कार्यक्रम किया था। मौलाना जाहिद हुसैन अल कौसर टूर्स के संचालक है। वो हर साल काफिला लेकर जियारत और उमरा के लिए जाते हैं। इस बार वो 40 लोगों का काफिला लेकर जियारत के लिए गए हैं। उन्होंने वहां काफिले के साथ मिलकर तिरंगा फहराकर अपने मुल्क से प्यार का इजहार किया। तिरंगा लहराता हुआ देख इरान में बसने वाले हिन्दुस्तानियों ने उसे बोसा दिया और सर आंखों पर लगाया। मौलाना बताते हैं कि इरान और इराक के लोग हिन्दी और हिन्दुस्तानी लोगों का बहुत सम्मान करते हैं। उन्हें हिन्दुस्तान का त्योहार और कल्चर बहुत पसंद है। उनके भाई अहमद रिजवी ने ईरानियों को इतिहास और ऐतिहासिक चीजों के बारे में जानकारी देकर हिन्दुस्तान आने की दावत भी दी। काफिले में मौलाना सादिक अब्बास, यादगार आलम, मंजर अब्बास, अली मेंहदी, सुल्तान नजफी, शब्बर अली, दिलनवाज, अख्तर अली, शमशुल हसन, इकबाल हसन, बाकर आब्दी, जेबा रिजवी, बेबी और जुल्फेकार आदि रहे।

Taza Khabar

Copyright © All rights reserved. | Newsever by AF themes.