April 27, 2025

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अयोध्या07दिसम्बर23*मरकजे अदब के जेरे एहतिमाम "एक शाम मजाज रुदौलवी के नाम" मुशायरा आयोजित

अयोध्या07दिसम्बर23*मरकजे अदब के जेरे एहतिमाम “एक शाम मजाज रुदौलवी के नाम” मुशायरा आयोजित

अब्दुल जब्बार

अयोध्या07दिसम्बर23*मरकजे अदब के जेरे एहतिमाम “एक शाम मजाज रुदौलवी के नाम” मुशायरा आयोजित

उर्दू जुबान की खिदमत के लिए उर्फी वसीम को उर्दू दोस्ती से सम्मानित किया गया

भेलसर(अयोध्या)मरकजे अदब कमेटी के जेर एहतिमाम “एक शाम मजाज रुदौलवी के नाम” से मुशायरे का आयोजन मेंहदी काम्प्लेक्स पर किया गया।जिसकी अध्यक्षता शमीम हैदर ने की। संचालन मुजम्मिल फिदा ने किया।मुख्य अतिथि नगर पालिका परिषद रुदौली के चेयरमैन जब्बार अली रहे।
कमेटी के सरपरस्त चौधरी अकबर मेहंदी और व डाॅ.शरीफ कुरैशी के हाथों चार दशक से उर्दू जुबान बेलौस खिदमत करने वाली पूर्व चेयरमैन वसीम अंसारी की साहबजादी उर्फी वसीम को उर्दू दोस्ती एवार्ड से नवाजा गया। उर्दू जुबान की खूबी बयान करते हुए उर्फी वसीम ने कहा उर्दू जुबान में हमारी तहजीब पोशीदा है।इस जुबान से हमारे बोलचाल में खूबी पैदा होती है।कम से कम उर्दू से जुड़े रहने के लिए हमें उर्दू का एक अखबार जरूर लेना चाहिए।उर्दू जुबान से बेहद लगाव रखने वाले गिरीश तिवारी को चेयरमैन जब्बार अली के हाथों शाल उढ़ा कर हौसला अफजाई की गई।
शुरूआत निसार रुदौलवी के नातिया कलाम से हुई।मुशायरे में पढ़े गये पसंदीदा अशआर पेशे खिदमत हैं।
मैं उनकी अदालत का इकबालिया मुजरिम हूँ-
हां मैने खता की थी हां मैने खता पाई

इशरत हुसैन इशरत

हर इक जिंदाने उल्फत की फिजायें एक जैसी हैं-
फकत कैदी बदलते है समायें एक जैसी हैं

अकबर मेंहदी औन

तुम आकर तरतीब से रख दो इतनी गुजारिश है तुम से-
दिल के कमरे मे रखे हैं बे तरतीब हमारे ख्वाब

इल्तिफात माहिर

वही इक दर दर खुला था जिंदगी भर-
चलो शायद वही इस दर खुला है

काविश रुदौली

किया था हम ने तो सामान सौ बरस का मगर-
सफर हयात का फिर मुख्तसर हुआ कैसे

शाहिद सिद्दीकी

वह भी जान देते हैं हम भी है फिदा हम पर-
बे वजह परेशां हैं लोग आने जाने पर

मुजम्मिल फिदा

कल आ गई थी यूं ही ख्यालों में करबला-
होंठो की तिशनगी का मजा हम से पूछिए

ताबिश रुदौली

पाक नजरों से तेरे जिस्म को छूने के लिए –
दिल के गोशे में वजूखाना बना रखा है

इमरान अलियाबादी

चराग भूल के रंजिश मिले गले कैसे –
हवा से दोस्ती कर ले तो फिर जले कैसै

जमशेद फैजाबाद

चमन की बज्म में उसकी मिसाल है ऐसी –
तमाम फूलों में जैसे गुलाब रहता है

वो वफा के नाम पर करते रहे बातें मगर –
मै वफा के नाम पर सब कुछ लुटा के आ गया

अजीम अलीबाग

दुश्मनों को भी निसार अपना बनाने के लिए –
नर्म लहजा और खुश गुफ्तार होना चाहिए

निसार रुदौलवी

मुस्कुराकर दिल चुराना और है –
शर्म से पलकें झुकाना और है

मलिक जावेद सपना
मुशायरा कामयाबी के साथ देर रात खत्म हुआ।विशेष रूप से शाह से शाह सलमान मियां,ख्वाजा शकीलुज्जमा,नसीम प्रिंस,हनीफ अंसारी,मशकूर अंसारी,शिव कैलाश एडवोकेट,अजहर हुसैन समेत बड़ी दायदाद में श्रोतागण उपस्थित रहे।

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