लन्दन28जुलाई2023*उदार हृदय से पूरी वसुधा कुटुम्ब बन जाती है*।
सनातन धर्म में अपना पराया कोई नहीं होता ।यहां तो इंसान नहीं धरती और गौ को भी माता कहते हैं।पेड़ ,पौधे,नदी,ही नहीं चींटी को भी आटा खिलाते हैं। यह कहना है,आचार्य शिवाकांत का।लंदन से 2 सौ किलोमीटर दूर लेस्टर शहर में सात दिवसीय कथा के अंतिम दिन आचार्य और बागेश्वर सरकार को सुनने भारी संख्या में श्रोता उमड़ पड़े।आचार्य शिवाकांत ने भारतीय सभ्यता और संस्कृति की पताका फहराते हुए कहा कि आज भी गावों में संयुक्त परिवार की परम्परा है।चाचा ताऊ,बुआ,फूफा,जैसे रिश्तों से महकता था अपना घर। अब हम विकास और तरक्की की दौड़ में कई बार इतना आगे निकल जाते हैं, कि अपने जन्म देने वाले मां और पिता को भी भूल जाते हैं। रामायण में बाबा तुलसीदास लिख गए हैं, “मात पिता कहि गुरु की बानी, बिनही विचार करही शुभ जानी” समय बदल गया है । लेकिन विदेशों में बड़े वैज्ञानिक,सांसद, इंड्रस्ट्रिलिसट, बिजनेसमैन बनने के बाद आपको अपने दिल और दिमाग में अपने माता पिता को जरूर याद रखना चाहिए।वह भारत के किसी कोने में किस हाल में हैं,आपका एक फोन उनको नई ताकत देता है। सारी दुनिया में चाहें जितने तरह के संकट हों,उसका एकमात्र कारण संस्कार की कमी है।भ्रष्टाचार, हो या जातिवाद,अज्ञानता हो या कट्टरता ,सबके मूल में संस्कार है। आप अपने बच्चों चाहें जो पढ़ाएं,डॉक्टर, इंजीनियर जो भी बनाएं,लेकिन पहले उसमे संस्कार का बीज डाल एक अच्छा इंसान बनाएं।संस्कार से भरा पूरा अच्छा इंसान न जन्मभूमि (भारत)को भूलेगा न कर्मभूमि(ब्रिटेन) को।वह माता पिता को उनके बुढ़ापे में अकेला नहीं छोड़ेगा संस्कारवान परिवार और समाज होगा तो पॉल्यूशन इतनी बड़ी समस्या नहीं बनेगा। इससे पूर्व बागेश्वर सरकार ने दिव्य दरबार में बहुत से लोगो को भूत भविष्य बता कर चकित कर दिया। सत्संग सनातन महोत्सव लंदन के सिद्धाश्रम शक्ति सेंटर के पीठाधीश्वर राज राजेश्वर जी महाराज के द्वारा कराया जा रहा
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