भोपाल08फरवरी25*रिजर्व बैंक का ब्याज दरों को घटाने का एलान लोन सस्ता होगा, EMI भी घटेगी*
भोपाल। मध्यमवर्ग के लिए ये साल तोहफा वाला रहा है। सरकार उनके ऊपर जमकर मेहरबान है। 12 लाख की इनकम पर टैक्स माफ करने के बाद ब्याज दरों में भी कटौती कर दी गई है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI ने ब्याज दरों को 6.5% से घटाकर 6.25% करने का एलान किया है। अब लोन सस्ता हो जाएगा। आपकी ईएमआई भी घट जाएगी। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने सुबह 10 बजे मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) में लिए फैसलों की जानकारी दी।
*कैसे कम होगी महंगाई*
पॉलिसी रेट एक जरूरी आर्थिक टूल होता, जिसका इस्तेमाल रिजर्व बैंक महंगाई को कंट्रोल करने के लिए करती है। इसे रेपो रेट भी कहते हैं, जो वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक कमर्शियल बैंकों को कर्ज देता है।
*पॉलिसी रेट का महंगाई पर प्रभाव*
महंगाई को कंट्रोल करने के लिए:–
महंगाई बढ़ती है, तो केंद्रीय बैंक पॉलिसी रेट को बढ़ा सकता है। इसका असर यह होता है कि बैंकों को कर्ज लेने की लागत बढ़ जाती है, जिससे बैंकों द्वारा दी जाने वाली कर्ज की दरें भी बढ़ जाती हैं।
इसका परिणाम यह होता है कि लोग और व्यापार कम कर्ज लेने लगते हैं। खर्च करने में संकोच करते हैं, जिससे कुल मांग कम हो जाती है और महंगाई पर काबू पाया जा सकता है।
आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए:–
महंगाई नियंत्रित होती है और केंद्रीय बैंक चाहता है कि आर्थिक गतिविधियां बढ़ें, तो वह पॉलिसी रेट को घटा सकता है। इससे कर्ज सस्ता हो जाता है। लोग ज्यादा कर्ज लेने और खर्च करने के लिए प्रेरित होते हैं, जिससे आर्थिक वृद्धि होती है।
*लोन सस्ता होने से आर्थिक विकास को मिलेगी गति*
‘मॉनेट्री पॉलिस कमेटी (एमपीसी) ने पॉलिसी रेट को 25 बेसिस पॉइन्ट्स कम कर 6.25 फीसदी तक लाने का फैसला लिया है, जिससे लोन सस्ता हो जाएगा और आर्थिक विकास को गति मिलेगी। इससे नए और मौजूदा उपभोक्ताओं को कम ब्याज़ दर से लाभ मिलेगा, जिन्होंने फ्लोटिंग रेट पर लोन लिया है।
हालांकि फिक्स्ड रेट पर लोन लेने वालों पर कोई असर नहीं होगा। अतुल मोंगा, को-फाउंडर एवं सीईओ, बेसिक होम लोन के अनुसार बैंकों और हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों को इन फायदों को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में कुछ समय लग सकता है, यह उनकी पॉलिसी और रेट साइकल पर निर्भर करेगा।
‘इससे रियल एस्टेट सेक्टर को गति मिलेगी, लोग घर खरीदने और प्रॉपर्टी में निवेश में रूचि लेंगे। आर्थिक विकास के नज़रिए से देखा जाए तो उम्मीद है कि रेट कम होने से निवेश को बढ़ावा मिलेगा और उम्मीद है कि जीडीपी में भी वित्तीय वर्ष 25-26 के दौरान 6.7 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।
हालांकि जीडीपी का बढ़ना आर्थिक स्थितियों, इन्फ्लेशन और डोमेस्टिक डिमांड पर भी निर्भर करता है। सेंट्रल बैंक भी इनफ्लेशन पर ध्यान दे रहा है।
अतुल मोंगा, को-फाउंडर एवं सीईओ, बेसिक होम लोन के अनुसार वित्तीय वर्ष 25 में इन्फ्लेशन 4.8 फीसदी रहने की उम्मीद है। रेट कम होने से मांग बढ़ेगी, आरबीआई की योजना कुछ इस तरह है कि इन्फ्लेशन निर्धारित स्तर से अधिक न हो।’
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