June 29, 2025

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भागलपुर03मई23*● पुस्तकों का कोई विकल्प नहीं : कुलपति।

भागलपुर03मई23*● पुस्तकों का कोई विकल्प नहीं : कुलपति।

भागलपुर03मई23*● पुस्तकों का कोई विकल्प नहीं : कुलपति।

पुस्तक सबसे अच्छा दोस्त : वीसी।

■ टीएमबीयू के पीजी अंगिका विभाग में तीन दिवसीय पुस्तक मेला का हुआ शुभारंभ।

भागलपुर। तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पीजी अंगिका विभाग के सौजन्य से दिनकर पुस्तकालय द्वारा मंगलवार को तीन दिवसीय पुस्तक मेला का उद्घाटन टीएमबीयू के कुलपति प्रो. जवाहरलाल, मानविकी संकाय के अध्यक्ष प्रो. उदय कुमार मिश्रा, डीएसडब्ल्यू प्रो. योगेंद्र, कुलसचिव डॉ. गिरिजेश नंदन कुमार एवं चर्चित लेखिका व समाजसेवी डॉ. सुजाता चौधरी ने संयुक्त रूप से किया। पुस्तक मेला का आयोजन तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पीजी अंगिका विभाग में किया गया है।
इस अवसर पर डीएसडब्ल्यू प्रो. योगेंद्र ने विषय प्रवेश कराते हुए सभी आगत अतिथियों, उपस्थित साहित्यकारों एवं छात्र-छात्राओं का पुस्तक मेला में स्वागत किया।
टीएमबीयू के कुलपति प्रो. जवाहर लाल ने कहा कि वे अपने छात्र जीवन से लेकर अभी तक पुस्तकें पढ़ते ही रहे हैं। कहा कि स्वयं उनके घर में एक पुस्तकालय है। पुस्तकों का अंबार लगा हुआ है। कहा कि यदि छात्र अध्ययन में, परीक्षा परिणाम में टॉपर बनना चाहते हैं तो वे अधिक से अधिक किताबें पढ़ें। उन्होंने पुस्तकों के पढ़ने के फायदे बिंदुवार गिनाए। उन्होंने कहा कि इंटरनेट और स्मार्टफोन कभी भी पुस्तकों का विकल्प नहीं हो सकते।
इसके बाद मानविकी संकाय के अध्यक्ष प्रो. उदय कुमार मिश्रा ने कहा कि दिनकर बुक क्लब की स्थापना की गई है। कहा कि क्लब का उद्देश्य है कि किताबों से छात्र और शिक्षक जुड़े रहें। वे पुस्तकें पढ़ें और पढ़ने का सिलसिला लगातार बना रहे। कहा कि छोटे से बड़े शहर तक पुस्तक मेले का अपना महत्व है। उन्होंने अंग्रेजी के विद्वान लेखक बेकन के कथन का उल्लेख करते हुए कहा कि किताबों से संबंध बनाए रखना जरूरी है। कहा कि इंटरनेट और मोबाइल से आप किताबों से रूबरू नहीं हो पाते हैं। इसके लिए किताबों से फिजिकल कांटेक्ट होना जरूरी है। कहा कि पुस्तकें ज्ञान का संवर्धन करती हैं और हमें ताकत प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञान का संग्रह किताबों के माध्यम से होता है। किताबें मित्र होती हैं। पुस्तक पढ़ना भी एक तरह का नशा है जो छूटता नहीं है। इस अवसर पर अंगिका के अनेकों जाने-माने साहित्यकार पुस्तक मेला में मौजूद थे। अंगिका के लेखक अनिरुद्ध प्रसाद विमल द्वारा रचित तीन पुस्तकों क्रमशः जैवा दी, दलदल और स्मृति सुधा का कुलपति एवं अन्य अधिकारियों ने लोकार्पण किया।
मंच संचालन विभाग के शिक्षक डॉ. दिव्यानंद एवं डॉ. शोभा कुमारी ने किया। वहीं धन्यवाद ज्ञापन विभाग के नवनियुक्त सहायक प्राध्यापक डॉ. मंजीत कुमार ने किया।
संबोधन की समाप्ति के बाद कुलपति स्टॉल पर लगे पुस्तकों को देखने निकले। वे बारी-बारी से सभी स्टॉल पर गए। पुस्तक मेला में राजकमल, प्रतिश्रुति, राजपाल, वाणी एवं सेतु प्रकाशन की पुस्तकें स्टाल पर लगाई गई हैं। पुस्तकों पर 25 से 30% तक की छूट दी जा रही है। कुलपति ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने की बात कही गई है। उन्होंने अंगिका विभाग के लिए अलग से भवन एवं समुचित व्यवस्था के आग्रह पर विभाग से कहा कि वे विस्तृत रूपरेखा तैयार कर संचिका उपलब्ध कराएं। कुलपति इसे संबंधित उच्च स्तरीय संस्थानों को भेजेंगे। उन्होंने कहा कि स्नातक स्तर पर अंगिका की पढ़ाई के लिए काफ़ी कार्य किया गया है और इसे मूर्त रूप दिया जाएगा।

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