बेंगलुरु13मई2025*वरिष्ठ साहित्यकार रजनी कान्त झा की चार पुस्तकों का लोकार्पण*
बेंगलूरू। विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक श्रीमान दिनेश चन्द्र जी के कर-कमलों से रविवार की शाम आभासी प्रक्रिया के माध्यम से आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार श्री रजनी कान्त झा की चार पुस्तकों का लोकार्पण सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि श्री दिनेशचन्द्र ने चारों कृतियों पत्र हमारे उत्तर उनके, प्रत्यक्षानुभूति, पता ठिकाना तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शताब्दी वर्ष का लोकार्पण किया। मुख्य अतिथि ने कहा कि रजनी कान्त जी की चारों पुस्तकें पठनीय एवं विचारणीय तथा ज्ञानवर्धक हैं। पत्र हमारे उत्तर उनके में संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ हुए उनके पत्र-व्यवहार को संकलित किया गया है। इनमें प्रश्नों का संघ के पदाधिकारियों द्वारा दिये गये उत्तरों के माध्यम से जिस प्रकार विचारों का आदान-प्रदान हुआ है, वह स्मरणीय है। हमारी शुभ कामना एवं आशीर्वाद है कि रजनी कान्त इसी प्रकार लेखन कार्य करते रहें । मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार श्री रामधनी द्विवेदी ने विस्तार से रजनी कान्त जी के सभी पुस्तकों का क्रमश: वर्णन किया। उन्होंने कहा कि रजनी कान्त जी के बड़े भाई श्री कृष्ण कान्त झा हमारे सहपाठी रहे हैं। रजनी कान्त के साहित्य को पुस्तक रूप में प्रकाशित होने से पूर्व व्हाटसएप और फेसबुक पर भी पढ़ता रहा हूं। इनकी सभी साहित्यिक कृतियाँ पठनीय हैं। हमारी हार्दिक शुभकामना है कि साहित्य के क्षेत्र में यशस्वी हों। लोकार्पण समारोह के विशिष्ट अतिथि श्री नीरज नाथ पाठक प्रधान सम्पादक, आकाशवाणी, रांची ने अपने पिता के साहित्य को स्मरण करते हुए साहित्य सृजन और उसके सामाजिक महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने रजनी कान्त जी की अब तक प्रकाशित सभी पुस्तकों का उल्लेख कर लेखन क्षेत्र में यशस्वी होने की शुभकामनायें दीं।
इससे पूर्व लोकार्पण समारोह की शुरुआत श्री रजनी कान्त झा की सरस्वती वंदना से हुआ। मुख्य अतिथि श्री दिनेश चन्द्र का परिचय देते हुए रजनी कान्त झा ने कहा कि श्री दिनेश जी 1977-78 में जब देहरादून में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक थे, उस समय मेरा प्रथम परिचय हुआ था। इसके बाद से निरंतर आपका स्नेह एवं आशीर्वाद मुझ पर बना रहा। लंबे अन्तराल के बाद गत वर्ष जब मैंने अपनी पुस्तक पत्र हमारे उत्तर उनके की भूमिका लिखने के लिए आपस संपर्क किया तो उन्होंने तुरंत कहा कि पुस्तक की सामग्री भेजो। मैंने सामग्री प्रेषित किया और उनका आशीर्वाद मिला। इसी तरह से जब लोकार्पण हेतु समय देने के लिए निवेदन किया तो उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय प्रवास कार्यक्रम में से समय निकाल कर दिनांक 18 मार्च 2025 को बेंगलुरू में समय दिया। लेकिन 8 मार्च 2025 को मेरे श्वसुर श्री मुखदेव झा स्वर्गवासी हो गये और निर्धारित कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा। अन्तत: 4 मई 2025 को आभासी प्रक्रिया के अन्तर्गत समय मिला। उन्होंने अपने अत्यन्त व्यस्ततम कार्यक्रम में से समय निकाल कर पुस्तक लोकार्पण हेतु समय दिया, इसके लिए उनका हार्दिक आभार है। लोकार्पण कार्यक्रम में शामिल अन्य वक्ताओं ने भी रजनी कान्त झा जी की चारों लोकार्पित पुस्तकों पर अपने विचार व्यक्त किये। देहरादून से श्री दयानंद डोभाल, श्री मनोहर लाल, श्रीमती कुसुम, श्री दीपक कुमार वोहरा, रांची से श्रीमती अंकिता, दरभंगा से श्री कृष्णकान्त झा, बेंगलुरू से श्रीमती कृष्णा, श्रीमती अंजु, श्रीमती जागृति, श्रीमती निशा, श्री जितेन्द्र एवं श्री शशांक भी कार्यक्रम में शामिल हुए। अंत में प्रकाशक श्रीमती किरण झा ने मुख्य अतिथि सहित सभी अतिथियों तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों का आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।
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