December 3, 2025

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नई दिल्ली6सितम्बर25*अनंत चतुर्दशी को 14 गांठो वाला बांधे रक्षा सूत्र

नई दिल्ली6सितम्बर25*अनंत चतुर्दशी को 14 गांठो वाला बांधे रक्षा सूत्र

नई दिल्ली6सितम्बर25*अनंत चतुर्दशी को 14 गांठो वाला बांधे रक्षा सूत्र :–अनंत चतुर्दशी की बहुत-बहुत बधाई एवं अनंत मंगलकामनाएं।

नई दिल्ली*6 सितंबर दिन भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की अनंत चतुर्दशी है। दोपहर 12:57 तक चतुर्दशी है। तत्पश्चात पूर्णिमा लग जाएगी। इसलिए 14 गांठ वाला रक्षा सूत्र इसके पूर्व ही बांध लें।
सनातन धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है। सहस्त्र रुप वाले सहस्त्र चरण- नेत्र- शिर- वाहु वाले सहस्त्रनाम वाले शाश्वत पुरुष सहस्त्र कोटि युगों को धारण करने वाले भगवान श्री अनंत को नमस्कार है।
दास का बारंबार साष्टांग स्वीकार हो।
आज का दिवस भगवान श्री विष्णु की अनंत रूप में उपासना करने का दिवस है। इस दिन भगवान श्रीमन्नारायण की उपासना के बाद अनंत सूत्र बांधा जाता है। यह सूत्र रेशमी अथवा सूत का होता है।
इस सूत्र में 14 गांठे लगाई जाती है ।भगवान श्रीमन्नारायण ने 14 लोक बनाए हैं। जिनमें सत्य, तप, जन, मह, स्वर्ग, भुव:, भू, अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल शामिल है। इन लोको का पालन करने और रक्षा करने के लिए वह स्वयं भी 14 रूपों में प्रकट हुए थे

अनंत चतुर्दशी पर अनंत रक्षासूत्र क्यों बांधते हैं? जानिए बाद में उसका क्या करें
अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद लोग बाजू में एक धागा बांधते हैं. इसको अनंत सूत्र या रक्षासूत्र कहा जाता है. इस धागे में 14 गांठें होती हैं.
अब सवाल है कि आखिर अनंत चतुर्दशी पर धागा क्यों बांधते हैं?
बाद में इस धागा का क्या करें?
धागे में 14 गांठों का महत्व क्या है?
आइए जानते हैं इससे जुड़ी जरूरी बातें-

अनंत चतुर्दशी का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी. जब पांडव कठिन परिस्थितियों में थे, तब उन्होंने इस व्रत को किया और उनके जीवन से संकट दूर हो गए. तभी से इसे संकट हरने वाला और सुख-समृद्धि देने वाला पर्व माना जाता है.

अनंत चतुर्दशी का जानें महत्व, शुभ योग, पूजा विधि

-हिन्दू मान्यताओं के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु ने 14 लोकों की रचना के बाद इसके संरक्षण और पालन के लिए चौदह रूप में प्रकट हुए थे,
और अनंत प्रतीत होने लगे थे. इसलिए अनंत चतुर्दशी को 14 लोकों और भगवान विष्णु के 14 रूपों का प्रतीक माना गया है.
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन पूजा के बाद इस धागे को बाजू में बांधने से व्यक्ति को भय से मुक्ति मिलती है, और पाप नष्ट होते हैं. जो व्यक्ति 14 वर्ष तक अनंत चतुर्दशी का व्रत करता है, और चौदह गांठ वाले इस अनंत सूत्र को बांधता है. उसे भगवान विष्णु की कृपा से बैकुंठ की प्राप्ति होती है.

अनंत सूत्र बांधने की विधि

अनंत चतुर्दशी के दिन पूजापाठ के बाद अनंत सूत्र को महिलाएं अपने बाएं हाथ की बाजू में और पुरुष दाहिने हाथ की बाजू में बांधते हैं.
अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की हृदय से पूजा करें और फिर अनंत सूत्र को हल्दी या केसर में रंग लें. इसके बाद चौदह गांठें लगाएं और भगवान विष्णु को अर्पित कर दें.
फिर इस मंत्र “ऊं अनंताय नम: या अनंन्तसागर महासमुद्रे मग्नान्समभ्युद्धर वासुदेव. अनंतरूपे विनियोजितात्माह्यनन्तरूपाय नमो नमस्ते..” का जाप करें
और रक्षासूत्र को बाजू में बांध लें. रक्षा सूत्र को रात्रि में सोते समय उतार देना चाहिए, और अगले दिन इसे किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए.

अनंत रक्षा सूत्र उतारने की विधि

अनंत सूत्र बांधने की तरह उतारने के भी नियम होते हैं. इस धागे को 14 दिनों तक धारण करने के बाद या पूजा वाले दिन उतारकर किसी पवित्र नदी में प्रवाहीत कर देना चाहिए.
इसे उतारते समय ‘ऊँ अनंताय नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए.
इसे रात्रि में या अगले दिन पूजा स्थल के पास रखकर, अगले दिन किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करना चाहिए.

ॐ गं गणपतेय नमः