झांसी 04 नवंबर। देवउठनी एकादशी व्रत पर किया गया पूजन अर्चन।
श्रीराम जानकी मंदिर खिलारा के पुजारी बिंशभरदास एवं नरसिंह भगवान मंदिर भंड़रा के पुजारी सत्यनारायण महाराज ने देवउठनी एकादशी पर तुलसी माता व शालिकराम भगवान के विवाह की कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि तुम्हें मुक्ति देनेवाली कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रबोधिनी एकादशी के सम्बन्ध में नारद और ब्रह्माजी के बीच हुए वार्तालाप को सुनाता हूँ। एक बार नारद मुनि ने ब्रह्माजी से पूछा हे पिता प्रबोधिनी एकादशी के व्रत का क्या फल होता है कृपा करके विस्तार पूर्वक बतायें तब ब्रह्मा बोले हे पुत्र जिस वस्तु का त्रिलोक में मिलना दुष्कर है वह वस्तु भी कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की प्रबोधिनी एकादशी के व्रत से मिल जाती है। इस व्रत के प्रभाव से पूर्व जन्म के किये हुए अनेक बुरे कर्म क्षण भर में नष्ट हो जाते है। और जो मनुष्य श्रद्धापूर्वक इस दिन थोड़ा भी पुण्य करते है उनका वह पुण्य पर्वत के समान अटल हो जाता है। उनके पितृ विष्णु लोक में जाते है ब्रह्म हत्या आदि महान पाप भी प्रबोधिनी एकादशी के दिन रात्रि जागरण करने से नष्ट हो जाते है।हे नारद मनुष्य को भगवान की प्रसन्नता के लिए कार्तिक मास की इस एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। और कलयुग में जो मनुष्य इस एकादशी व्रत श्रद्धा, भक्ति, भाव से करता है वह धनवान, योगी, तपस्वी तथा इन्द्रियों को जीतने वाला होता है क्योंकि एकादशी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। दोनों मंदिरों के पुजारियों ने संयुक्त रूप से बताया कि आज से शादी विवाह जैसे आयोजन शुरू हो जाएंगे।
झांसी से सुरेन्द्र द्विवेदी की रिपोर्ट यूपी आजतक।
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