जयपुर11अगस्त25*राजस्थान पर ट्रम्प टैरिफ इम्पैक्ट:20 हजार करोड़ रुपए का निर्यात, 5 उद्योगों में लेबरकॉस्ट 65 प्रतिशत तक, 7 लाख रोजगार पर संकट*
*जयपुर*
ट्रम्प टैरिफ (25% टैक्स+25% पैनल्टी) की घोषणा से राजस्थान के 20 हजार करोड़ रुपए के निर्यात को झटका लगना तय है। हमारे उत्पादों पर अमेरिकी टैरिफ 50 से 63.9% तक होने का सीधा असर श्रम प्रधान उद्योगों टेक्सटाइल, गारमेंट्स-मेडअप्स, जेम्स एंड ज्वेलरी, मार्बल, ग्रेनाइट एंड क्वाट्र्ज, हैंडीक्राफ्ट, कारपेट और दरियों के निर्यात पर पड़ेगा। इन सेगमेंट्स में निर्माण लागत में लेबर कॉस्ट सबसे ज्यादा 30–65% तक है। ऐसे में प्रदेश के 7 लाख से ज्यादा लाेगाें के रोजगार पर संकट पैदा हो गया है।
राजस्थान एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के आंकड़ों की मानें तो 2024 में 83 हजार 407 करोड़ रुपए का कुल निर्यात राजस्थान से हुआ। लेबर इन्टेंसिव 5 सेगमेंट्स में ही राजस्थान के निर्यात में अकेले अमेरिका के खरीदार 50–70% तक हैं। मार्बल-ग्रेनाइट-क्वाट्र्ज तो 95% तक यूएस को जाता है। ऐसे में असर दिखना शुरू हो चुका है। हैंडीक्राफ्ट व अन्य उद्योगों के अमेरिकी बायर्स ने ऑर्डर्स होल्ड करने या कैंसिल करने को कह दिया है। कुछ निर्यातकों का कहना है कि बायर्स इतनी बढ़ी हुई ड्यूटी पर अपने ऑर्डर का माल लेंगे या नहीं, इस बारे में कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल रहा है। यूएस के बायर्स 10–20% तक की छूट भी चाह रहे हैं।
एक्सपट्र्स की मानें तो प्रभावित होने वाली ज्यादातर इकाइयां एमएसएमई क्षेत्र में हैं और प्रदेश में सबसे अधिक रोजगार उपलब्ध करवाती हैं। बता दें कि राजस्थान से अमेरिका काे करीब 132 तरह के उत्पादों का निर्यात किया जा रहा है। निर्यात आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में राजस्थान का कुल निर्यात लगभग 83 हजार 407.24 करोड़ रुपए रहा, जो देश के कुल निर्यात का 2.31% था, लेकिन 2024-25 में राजस्थान निर्यात घटकर लगभग 56 हजार 916.09 करोड़ रुपए रह गया। इसमें पिछले साल के मुकाबले 32% की गिरावट रही। इसके साथ देश के कुल निर्यात में राजस्थान की हिस्सेदारी घटकर 1.54% रह गई।
हालांकि 2025-26 के अप्रैल में निर्यात में पिछले साल के अप्रैल के मुकाबले अप्रत्याशित उछाल (132.18% बढ़कर यानी 8,970.96 करोड़ रुपए) ने नई उम्मीदें जगाई थी मगर ट्रंप टैरिफ ने निर्यातकों की चिंताएं और बढ़ा दी हैं। अप्रैल में देश के कुल निर्यात में राजस्थान की हिस्सेदारी 2.73% रही। एक्सपर्ट बताते हैं कि प्रत्यक्ष निर्यात के अलावा राजस्थान से अन्य राज्यों में माल जाता है और अप्रत्यक्ष रूप से इसका एक्सपोर्ट किया जाता है। ऐसे मं नुकसान की आशंका बहुत ज्यादा है।
*तुर्किए बड़ी चिंता, वियतनाम व इंडोनेशिया भी चुनौती*
प्रदेश के निर्यातकों की चिंता का बड़ा कारण तेजी से उभरते हुए प्रतिद्वंद्वी निर्यातक देश वियतनाम (20% टैरिफ) और इंडोनेशिया (19% टैरिफ) हैं। सर्वाधिक चिंता तुर्किए को लेकर भी है, जिसको ट्रम्प ने 10% टैरिफ दर पर रखा है। 50% टैरिफ के साथ भारत के जेम एंड ज्वेलरी, टेक्सटाइल, फर्नीचर तथा मार्बल व ग्रेनाइट उद्योग के लिए तुर्किए का मुकाबला करना असंभव हो जाएगा।
*रोजगार पर ज्यादा संकट*
निर्यात करने वाले इन उद्योगों से 10 लाख लोगों को रोजगार मिलता है। इसमें कारीगर, कुशल श्रमिक, इंजीनियर और लॉजिस्टिक्स पेशेवर शामिल हैं। जेम्स-ज्वेलरी, कपड़ा और हैंडीक्राफ्ट से बड़ी संख्या में कारीगर और छोटे उद्यमी जुड़े हैं।
संभावित बेरोजगारी की गणना हैंडीक्राफ्ट, कारपेट, गारमेंट तथा मार्बल एवं ग्रेनाइट उद्योग में 30 से 65% लागत श्रम को मानते हुए की गई है। यहां हर श्रमिक का वार्षिक श्रम मूल्य दो लाख रुपए आंका जाता है।
*28 अगस्त तक की मोहलत, कैसे होगी सप्लाई?*
अमेरिका ने 25 फीसदी पैनल्टी टैरिफ से बचने के लिए सिर्फ 28 अगस्त तक की मोहलत दी है। ऐसे में भारत में त्योहारी सीजन और स्वतंत्रता दिवस की छुट्टियों के कारण सप्लाई होना मुश्किल लग रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अॉर्डर्स पूरे नहीं हुए तो प्रदेश में आने वाली विदेशी मुद्रा में 40 हजार करोड़ रुपए प्रतिवर्ष की भारी कमी की आशंका है। ऐसे में राहत नहीं मिली तो नुकसान होना तय है।
*निर्यातक बोले- ब्याज समानीकरण योजना फिर से शुरू की जाए*
राजस्थान हैंडीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स जॉइंट फोरम ने पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर मांग की है कि एमएसएमई सेक्टर के मैन्युफैक्चरर एक्सपोर्टर्स को प्री-शिपमेंट एवं पोस्ट-शिपमेंट वर्किंग कैपिटल ऋणों पर दी जा रही ब्याज समानीकरण योजना (आईईएस) फिर से शुरू की जाए, जो साल की शुरुआत में बंद हुई थी।
हैंडीक्राफ्ट्स एक्सपोर्ट में अमेरिका के बाद दूसरे बड़े ट्रेड पार्टनर यूरोपियन यूनियन की ओर से अगले साल से यूरोपियन यूनियन डिफोरेस्टेशन रेगुलेशन की अनिवार्यता लागू करने की खबर से वहां के ऑर्डर्स पहले ही रुक चुके हैं। राहत पैकेज जारी हो।
{निर्यातकों की मांग है कि मार्केटिंग प्रमोशन के लिए केंद्र की स्कीम मार्केट एक्सेस इनिशिएटिव (एमएआई) में विदेशी ट्रेड फेयर्स में जाने के लिए सरकार मदद बढ़ाए। दो साल से स्कीम का बड़ा हिस्सा नई दिल्ली में भारत टैक्स ट्रेड फेयर पर खर्च किया जा रहा है।
*यूएस डॉलर चढ़ रहा, सांसद कह रहे टैरिफ के बाद गिरा*
पिछले दिनों भीलवाड़ा से भाजपा सांसद दामोदर अग्रवाल ने बयान दिया था कि डॉलर गिर रहा है। शुक्रवार 1 अगस्त को विदेशी मुद्रा के ट्रांजैक्शंस के हफ्ते के आखिरी दिन यूएस डॉलर 87.24 रुपए था। इसके बाद सोमवार 4 अगस्त को ट्रंप के पैनल्टी टैरिफ की घोषणा के बाद डॉलर 87.83 रुपए तक चढ़ गया। अभी 87.58 रुपए है।
एक्सपर्ट पैनल; हैंडीक्राफ्ट के सीनियर एक्सपोर्टर राधेश्याम रंगा, हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स जॉइंट फोरम के कॉर्डिनेटर नवनीत झालानी, फेडरेशन ऑफ राजस्थान एक्सपोर्टर्स (फोरे) के अध्यक्ष राजीव अरोड़ा, सीडोस के वाइस चेयरमैन राकेश गुप्ता, कारपेट एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के पूर्व चेयरमैन महावीर शर्मा, मेवाड़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के महासचिव आरके जैन और गियर के एक्स प्रेजिडेंट जाकिर हुसैन।
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