[23/10, 5:46 PM] Ram Prakash Sharma: *सलैया में चल रही श्रीमद भागवत कथा का समापन*
*विशाल भंडारे का हुआ आयोजन श्रद्धालुओं ने छका प्रसाद*
*औरैया।* कोतवाली क्षेत्र के ग्राम सलैया में चल रही श्रीमद भागवत कथा के समापन के अवसर पर शनिवार को विशाल भंडारे व दो दिवसीय भव्य रामलीला का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में क्षेत्र वासियों एवं ग्राम वासियों के अलावा बड़ी संख्या में क्षेत्र भर से संतो ने भंडारे में पंहुच कर भंडारे का प्रसाद छका।
भंडारे के अवसर पर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष दीपू सिंह के पुत्र करम वीर सिंह जिला पंचायत सदस्य औरैया ने भी भंडारे में पहुँच कर प्रसाद ग्रहण किया , साथ ही भंडारे में सहयोग प्रदान किया। जिसमें सलैया के युवा युवक , युवतियों ने भी भंडारे के कार्यक्रम में शामिल होकर व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग दिया।भंडारे में क्षेत्र भर से बड़ी संख्या में नारी सशक्ति माताओं बहनों ने भी भंडारे में आकर प्रसाद ग्रहण किया व भंडारे में महिला श्रद्धालुओ को प्रसाद वितरण करने में बड़ी भूमिका अदा की। भागवत कथा भंडारे एवं रामलीला का आयोजन भोले बाबा मंदिर पर किया गया।
इस अवसर पर कथा एवं भंडारे, रामलीला के आयोजक संत संतोषी लाल ने बताया कि पूरे कार्यक्रम में क्षेत्र भर ने भरपूर सहयोग दिया। जिसके लिए संतोषी लाल ने सभी ग्राम वासियों व क्षेत्र वासियों का आभार व्यक्त किया। साथ ही दो दिवसीय रामलीला का भी आयोजन रखा गया। जिसमें मंडल स्तर के कलाकारों के द्वारा बहुत सुंदर प्रदर्शन किया गया। जिसमें परशुराम का संवाद पंडित अनिल दिवेदी ने , भगवान राम का संवाद रोहित शुक्ल कानपुर, लछमन का उमाकांत अवस्थी गमनामऊ, जनक का लक्ष्मी शंकर अवस्थी, नृत्य रूबी और पलक कानपुर, कलाकारों के द्वारा बहुत ही सुन्दर अभिनय की प्रस्तुति की गई। कमेटी में शामिल सभी सदस्यों ने अपनी- अपनी भूमिका का बहुत अच्छी तरह से निर्वहन किया। कमेटी में दीपक दुबे, जय चंद गुप्ता, छोटू सेंगर, सत्यम दुबे उर्फ रामू , दीपांशु सेंगर व पिंटू सेंगर आदि लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
[23/10, 6:45 PM] Ram Prakash Sharma: *सभी नागरिक अवश्य डाउनलोड करें वोटर हेल्पलाइन एप-उप जिला निर्वाचन अधिकारी*
*वोटर से सम्बंधित सभी आवश्यक जानकारी वोटर हेल्पलाइन एप पर मिलेगी -उप जिला निर्वाचन अधिकारी*
*औरैया।* उप जिला निर्वाचन अधिकारी /अपर जिलाधिकारी रेखा एस चौहान ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूचियों के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम 2022 के संबंध में मतदाताओं की सुविधा के लिए वोटर हेल्पलाइन एप लांच किया गया है। अब नागरिक मतदाता सूची में नाम शामिल करवाने, मतदाता सूची से नाम हटाने तथा मतदाता सूची में दर्ज विवरण को शुद्ध करवाने के लिए वोटर हेल्पलाइन प्रयोग कर सकते हैं। इस संबंध में सभी मतदाताओं, सहायक निर्वाचक पंजीयन अधिकारियों, सुपरवाइजरों, बीएलओ को यह एप अपने एंड्रॉयड मोबाइल फोन में डाउनलोड करने और इसका मतदाताओं के लिए अधिक से अधिक प्रयोग में लाने के लिए बल दिया जा रहा है।
भारत निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूचियों के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण 2022 के संबंध में यह एप लांच की है। इसका फायदा हर किसी को उठाना चाहिए। चुनाव से संबंधित जितनी जानकारी चाहिए वो इस पर मिलेगी। मतदाता सूचि में फेर बदलाव से लेकर हर प्रकार की जानकारी इसके अंदर है। ऐसे में अब लोगों को अधिकारियों के यहां चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
कोई भी व्यक्ति अपने एंड्रायड फोन के गूगल प्ले स्टोर के सर्च बार में जाकर “वोटर हेल्पलाइन” लिखकर एप को डाउनलोड कर सकता है। एप खुलने पर सबसे पहले यूजर को पंजीकृत करना होता है। पंजीकृत यूजर एप में लागिन करने उपरांत अपने-आप को नए मतदाता बनने के लिए फार्म नम्बर-6, मतदाता सूची से नाम हटवाने के लिए फार्म नंबर-7, किसी भी प्रकार की शुद्धि के लिए फार्म नंबर-8 और एक ही विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में अन्य स्थान पर स्थानांतरित होने पर फार्म नंबर 8 क में आवेदन कर सकता है। इस एप पर मतदाता पहचान पत्र का नंबर डाल कर अपने मतदन केंद्र का विवरण, चुनाव परिणाम, उम्मीदवारों से संबंधित जानकारी, शिकायत, मतदाता शिक्षा तथा भारत निर्वाचन आयोग की विभिन्न गतिविधियों को देखा जा सकता है।
[23/10, 9:29 PM] Ram Prakash Sharma: *सब पढ़े सब बढ़े की सरेआम उड़ाई गई धज्जियां*
*औरैया।* सरकार की देश व समाज हित की मंशा के अनुरूप योजनायें जैसे सब पढ़े, सब बढे एवं सस्ती शिक्षा की उस समय धज्जियां उड़ती दिखाई दीं। जब शहर के तिलक महाविद्यालय में आपसी गुटबाजी के चलते पहले तो छात्र-छात्राओं के रजिस्ट्रेशन करा उनकी फीस जमा कराते हुए उन्हें प्रवेश का आश्वासन दिया। लेकिन बाद में अपनी जिम्मेदारियों व दायित्वों को एक किनारे रखकर प्रबन्ध समिति द्वारा विद्यालय को घाटा बताकर उन सभी छात्र छात्राओं को एडमिशन की अंतिम तारीख से दो दिन पहले प्रवेश देने से मना करते हुए उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया।
प्रबन्ध समिति एवं विद्यालय प्रशासन द्वारा दिए गए गैर जिम्मेदाराना बयानों से स्पष्ट होता है कि उन्हें सिर्फ शिक्षा के व्यवसायीकरण से मतलब है, और छात्र छात्राओं के भविष्य की कोई परवाह नहीं है। अपने मूलभूत अधिकार से वंचित होते देख एवं भविष्य चैपट होता देख छात्र छात्राएं उग्र हो उठे , और वह विद्यालय में ही मुख्य द्वार को बंद कर धरने पर बैठ गये, तथा उन्होंने जमकर विद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेतृत्व में सैंकड़ों छात्र छात्राओं के आन्दोलनरत होने से विद्यालय प्रशासन के हाथ पांव फूल गए , और उन्होंने इसकी सूचना पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों को दी। जिस पर तहसीलदार, कोतवाली प्रभारी इंस्पेक्टर भारी पुलिस बल के साथ विद्यालय पहुंचे और विद्यालय प्रशासन से जानकारी प्राप्त की तथा छात्र छात्राओं को उनकी समस्या के निस्तारण का आश्वासन दिया। जिसके बाद छात्र छात्राओं ने आन्दोलन समाप्त कर दिया।
यहां बता दें कि शहर के प्रतिष्ठित तिलक महाविद्यालय में एम.ए. के कुछ संकाय स्वावित्त पोषित हैं। जिनमें एडमिशन के लिए विद्यालय ने भरपूर प्रचार प्रसार किया। लेकिन एडमिशन कम होता देख महाविद्यालय में एडमिशन लेने से मना कर दिया जिसके बाद महाविद्यालय के कुछ अध्यापकों ने कानपुर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर से शिकायत दर्ज कराई। जिस पर वाइस चांसलर ने सभी अध्यापकों व प्रबन्ध समिति को बुलाकर यह बात स्पष्ट की कि विद्यालय में सभी संकायों में 35-35 एडमिशन होने चाहिए। जिसके बाद महाविद्यालय के अध्यापकों द्वारा करीब 20 दिन पहले विधिवत छात्र छात्राओं का रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया प्रारम्भ की गई व उनकी फीस जमा कराई गई। इसी बीच छात्र छात्राएं जब छात्रवृत्ति का फार्म व आइडेटी कार्ड लेने पहुंचे तो विद्यालय प्रशासन द्वारा बताया गया कि उनका एडमिशन निरस्त कर दिया गया है। जिस पर छात्र छात्राओ के पैरों तले जमींन खिसक गई।
इसी बीच कुछ छात्रों ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पदाधिकारियों के नेतृत्व में कुलपति को सम्बोधित एक ज्ञापन विद्यालय प्रशासन एवं प्रबन्ध समिति को सौंपते हुए मांग की कि उनके प्रवेश लिए जाए और 24 घण्टे का समय देते हुए कहा कि यदि उनके एडमिशन नहीं लिए गए तो वह आन्दोलन करेंगे। छात्र छात्राओं के द्वारा दिया गया निर्धारित समय पूरा होने के बाद भी जब प्रबन्ध समिति द्वारा उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेतृत्व में सैंकड़ों छात्र छात्राएं उग्र हो उठे और उन्होंने महाविद्यालय के मुख्य द्वार को बंद कर लिया तथा वहीं धरने पर बैठ गए। इस दौरान उन्होंने अपनी मांगों को लेकर जमकर नारेबाजी की और प्रबन्ध समिति के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाये। ऐसा होते देख विद्यालय में हड़कम्प मच गया करीब दो घण्टे के प्रदर्शन के बाद जब विद्यालय प्रशासन द्वारा इसकी जानकारी प्रबन्धक को दी गई तो बजाय उनके खुद महाविद्यालय आने के उन्होंने गैर जिम्मेदाराना तरीके से यह कहा कि उन्हें प्रदर्शन करने दो और यदि तोड़फोड़ करें तो पुलिस को सूचना दे देना। जिसके बाद विद्यालय प्रशासन द्वारा प्रशासन व पुलिस के अधिकारियों को सूचना दी गई जिस पर आनन फानन में सदर तहसीलदार रणबीर सिंह व कोतवाली प्रभारी निरीक्षक निर्भय सिंह भारी पुलिस बल के साथ मौक पर पहुंचे और पूरे मामले की जानकारी ली। इसी बीच एक बार फिर विद्यालय के प्रबन्धक का उदासीनतापूर्ण व्यवहार देखने को मिला। जब प्रशासन तहसीलदार द्वारा प्रिंसिपल विद्यालय के प्राचार्य से जानकारी ली जा रही थी तो उन्होंने प्रबन्धक को फोन लगाया और कहा कि तहसीलदार साहब जानकारी चाहते हैं आप बात कर लीजिए। तो उन्हांेने इंकार करते हुए कह दिया कि आप ही बता दीजिए। जिसके बाद तहसीलदार ने एबीवीपी के पदाधिकारियों व छात्र छात्राओं को उनकी समस्या का निस्तारण का आश्वासन देते हुए समझाया बुझाया तब जाकर छात्र माने और आन्दोलन समाप्त किया।
इस सम्बन्ध में तहसीलदार रणबीर सिंह ने बताया कि उन्होंने ज्ञापन ले लिया है, मामले कि पूरी जानकारी कर रहे हैं। छात्र छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होने दिया जायेगा। वहीं विद्यालय के प्रबन्धक संतोष गुप्ता का कहना है कि वी.सी. द्वारा 35 छात्रों के एडमिशन की बात स्पष्ट की गई थी। उक्त संख्या पूरी न होने पर एडमिशन की संभावना नहीं है क्योंकि विद्यालय पहले ही काफी घाटे में जा रहा है। अब अगर एडमिशन ले लिए तो और घाटे में चले जायेंगे तथा अध्यापकों की फीस कैसे निकलेगी। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब एडमिशन नहीं देने पर तो इतना प्रचार प्रसार क्यों किया गया? यदि सारी बातें स्पष्ट थीं तो फिर आखिर कैसे अध्यापकों ने विद्यालय में छात्रों के रजिस्ट्रेशन किये और उनकी फीस जमा की। विद्यालय में किये गए इन कार्यों की जानकारी होने के बाबजूद भी प्रबन्ध समिति द्वारा ऐसे अध्यापकों के खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया और क्यों एडमिशन की आखिरी डेट 25 अक्टूबर से 2-3 पहले छात्रों को उनके एडमिशन निरस्त होने की जानकारी देकर उनके भविष्य के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ किया। विद्यालय में इतना सब कुछ होता रहा और सबकुछ जानकर भी प्रबन्ध समिति आँख बंद किये बैठी रही जो कि गैर जिम्मेदाराना रवैये की पराकाष्ठा ही है। एक और सवाल उठता है कि आखिर अध्यापकों और प्रबन्ध समिति के बीच चल रही अनबन में आखिर छात्रों की क्या गलती? उनके भविष्य के प्रति जिम्मेदार कौन होगा।
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