औरैया 05 फरवरी *वर्षों पूर्व अंग्रेजो से युद्ध करते हुये शहीद हुये पूर्वजों की श्रद्धाजलि सभा 07 फरवरी को होगी आयोजित -:*
सैकड़ों बस पुराने इतिहास को मीडिया ने खोज निकाला,
औरैया जनपद में अजीतमल क्षेत्र के ग्राम मुहारी में करीब तीन सौ पूर्व भरेह राज्य के राजा रूप सिंह सेंगर नें अपने सेना पति गंगा सिंह के नेतत्त्व में क्षेत्रीय कई ग्रामीणों के साथ 07 फ़रवरी 1858 में अंग्रेजो से युद्ध किया था, जिसमें 125 लोग को मार गिराया था तथा छः लोगों को पकड़कर बाग के पेड में फाँसी दी गई दे दी गई थी, कुल 131 लोगों की सहादत की जानकारी प्राप्त हो रही है, मीडिया अधिकार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष सतेन्द्र सेंगर नें बताया कि इन पूर्वजों की सहादत की जानकारी उनके अग्रज श्री बृजभूषण सिंह सेंगर जो कि पूर्व डिप्टी कमिशनर भोपाल नें बताया था शहीद पूर्वजों की सहादत को यादगार एवं ऐतिहासिक बनाने के लिये 07 फरवरी 2023 को दिन मंगलवार को श्रद्धाजलि सभा को आयोजित किये जाने की तैयारी में जुट गये है,
👉आखिर शहीद पूर्वजों की सहादत को यादगार बनाने के लिये श्रद्धाजलि सभा आयोजन फिर संकल्प दिवस क्या है
सतेन्द्र सेंगर एक अजीतमल क्षेत्र के ग्राम भूरेपुर कला निवासी है जोकि एक छोटे से किसान परिवार से पत्रकारिता जगत में प्रवेश किया और धीरे धीरे वह समाज सेवी एवं देश के शुभ चिंतक बन गये, जिन्होंने बड़े ही सहजता से बताया हैकि बताया कि हमारे पूर्वजों नें अपनी पीढ़ी को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद करने के लिये अपने प्रानों को न्योछावर कर दिये जिससे आज उनकी पीढ़ी यानी हम सब आजाद भारत में रह रहे है, सतेन्द्र सेंगर नें बताया हैकि आज हम लोग जान बूझकर अपनी पीढ़ी का भविष्य अंधकार में डालते आ रहे है, “क्षेत्र में गिरते जल स्तर का मुख्य कारण घरेलू समरों से पानी का दुरूपयोग करना, बेरोजगारी की मुख्य बजह अपने नवनिहालों की शिक्षा प्राइवेट स्कूलों में दिलाने से सरकारी स्कूलों में बेकेंसियाँ बन्द, सड़क दुर्घटनाओं की मुख्य बजह फैशन के चलते वाइक चलाते समय हेलमिट का न लगानें से आये दिन सड़क दुर्घटनाओं में कई नवनिहाल प्राण गंवा चुके और कई बिगलांग हो गये, किसानों को आवारा पशुओं से भारी नुकसान का कारण यह हैकि हम लोग गाय का दूध निकालने बाद उन्हें आवारा छोड़ देना मुख्य बजह है, इन सभी समस्याओं से निजात तभी सम्भव है जब समाज अपनी कर्मो के प्रति संल्कपित होगा इसलिए लिये हम अपनों पूर्वजों की सहादत को यादगार बनाते हुये संकल्प दिवस के रूप में मना रहे है जोकि 07 फ़रवरी को प्रति वर्ष मनाया जायेगा,
👉 आखिया क्या हैकि 07 फरवरी 1858 में अंग्रेजों से युद्ध के प्रमाण
07 फरवरी 2023 को अजीतमल क्षेत्र के ग्राम मुहारी निवासी श्री जंट सिंह के बन्द पड़े होटल भवन में ” सतेन्द्र सेंगर के द्वारा आयोजित श्रद्धाजलि सभा एवं संकल्प दिवस की जमीनी तैयारी की हकीकत जानने क्षेत्रीय मीडिया टीम ग्राम मुहारी के उस बाग में पहुँचे जहाँ की 07 फरवरी 1858 की यह घटना वृणित है वहाँ क्षेत्रीय मीडिया टीम को ग्रामीणों नें इस घटना की आधी अधूरी जानकारी दी है इसी के साथ ही श्री बृजभूषण सिंह सेंगर पूर्व डिप्टी कमिशनर भोपाल नें बताया हैकि वर्तमान जिला औरैया अजीतमल थाना क्षेत्र के फूटा कुंआ का युद्ध 7 फरबरी 1858 जून 1857 से दिसम्बर 1857 तक इटावा जिले की स्थिति मे विद्रोही लोगो की मजबूत हालत के कारण सभी अंग्रेजो के परिवार आगरा के किले मे सुरक्षित भेज दिए गए थे. ए. ओ. ह्यूम को इटावा मे ईस्ट इंडिया कंपनी की रक्षा की जिम्मेदारी दी गई.6जनवरी 1858को ह्यूम आगरा से इटावा वापस लौटे. इटावा आते ही सभी देसी अधिकारिओ ओर समर्थक जमींदारों की मीटिंग बुलाई गई, सेना की ताकत बढ़ाने के लिए 700पैदल बन्दुकची तैयार किये.और युद्ध के लिए बकैबर मे 6फरबरी को पड़ाव डाला.7फरबरी 1858को ए. ओ. ह्यूम कैप्टेन अलेसेंडर और मेकांजी 60 गोरे घुणसवार सेनिक 80देसी घुणसवार 700 बन्दुकची (metchlock men )एक दो पौंड तोप के साथ अनंतराम से आगे बढ़े! अंग्रेजो की सेना के पोजीशन मे युद्ध के मोर्चा संबाल चुकी थी, युद्ध स्थल फूंटे कुंआ के पूर्व की और था विद्रोही जँहा मोर्चा संभाले थे वह आम का बाग़ था बाग के चारो ओर 6 फुट ऊँचा मेढ़/चर बनी थी सामने खाई थी बाई ओर फूलपुर गांव दाई ओर मुख्य सड़क थी बाग के पूर्व मे मोहारी गांव था, राजा रुप सिंह सेंगर का सैन्य संचालन गंगा सिंह के हाथ मे था, आसपास के समस्त गावों बडेरा मालगवा अमावता रमपूरा, असेवा गोहानी, भरेह, फरिहा, सिखराना, सभी सेंगर गावों के नवयुवक के साथ बंसरी के परिहार थे जिनकी संख्या 1200थी जो युद्ध के समय 2000तक हो गई थी रुप सिंह की सेना का दाहिना हिस्सा बहुत मजबूत था. ह्यूम अधिक उत्साहित नहीं थे. परन्तु परिणाम की चिंता के साथ युद्ध प्रारम्भ हुआ, 300 बन्दुकची के साथ ह्यूम ने बाग पर सीधा हमला किया, क्रांतिकारियों ने पीछे हट कर बाई ओर से अंग्रेजो पर जोरदार हमला किया, दोनों ओर से बंदूक तोप के गोलो के बीच इतने समीप पहुंच गए की सीधा तलवार युद्ध शुरू हो गया. युद्ध स्थल पर अरहर ओर अरंडी के खेत थे, दोनों सेनाओ के सेनिक एक दूसरे पर सीधे वार कर रहे थे. पुरे युद्ध का वर्णन किया जाना यंहा संभव नहीं है. शाम होने तक बड़ी संख्या मे सेनिको की मृत्यु हो चुकी थी. राजा रुप सिंह की फ़ौज पीछे हट गई, अजीतमल मे लाल पुरी गोस्वामी अपनी फ़ौज के साथ थे परन्तु उन्होंने साथ आने की जरुरत नहीं समझ पाए, 8 फरबरी को सुबह होने पर मृत सेनिको की गिनती की गई 125 सेनिको की मृत्यु हुई 6 सेनिको को गिरफ्तार किया गया था जिन्हे वही आम के पेड़ो पर फांसी दी गई. अंग्रेजो के 12 बन्दुकची मारे गए 20 घायल हुए सवार ओर पैदल सेनिको घायल की संख्या बहुत थी कुछ सेनिको की जानकारी प्राप्त नहीं हुई, गंगा सिंह ने अलेक्सेन्दर को मारने के लिए सटीक निशाने लगाए परन्तु उनके साथी अंग्रेज ऑफिसर को गोली लगी थी, इस पुरे क्षेत्र मे यह सबसे बड़ी लड़ाई थी, क्रन्तिकारी के साथ ग्रामो के सेंगर ओर उनकी प्रजा थी जो प्रशिक्षित नही थे. निष्कर्ष यह है की सभी ने अत्यंत वीरता ओर समर्पण के साथ उच्च वलिदान दिए हम सभी भरेह सेंगर वंश ओर समस्त प्रजाजन के बलिदान के लिए सदियों तक याद करते रहेंगे ll देखिए हमारे संवाददाता राम जी पोरवाल की विशेष रिपोर्ट
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