[14/10, 12:03 PM] Abdul jabbar Ayodhya: *शिक्षित एवं अशिक्षित बेरोजगारों को सरकारी,अर्ध सरकारी, संविदा पर नौकरी व स्वारोजगार देना सरकारों का कर्तव्य*
*राम राज*
रुदौली -अयोध्या
बेरोजगारी की मार से कराह रहा है युवा वर्ग। सच्चाई के धरातल पर देखा जाए तो शिक्षित बेरोजगारी का ग्राफ दिनों दिन बढ़ता जा रहा है ।माध्यमिक स्तर की शिक्षा ग्रहण करने वाले अधिकतर बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। ग्रेजुएट एवं पोस्ट ग्रेजुएट युवा वर्ग बेरोजगारी की मार से तिलमिला रहा है ।हाई स्कूल, इंटर मीडिएट पास करने के बाद अधिकतर युवा वर्ग रोजगार की तलाश मे लग जाता है ।सरकारी नौकरी मिलना शिक्षित बेरोजगारों के लिए आसमान से तारे तोड़कर लाने से कम नहीं है। बी. ए बी, एस ,सी बी ,कॉम m.a. एम कॉम, बीएड आदि पास करने वाले रोजगार की तलाश में वर्षों से भटकते नजर आ रहे हैं ।रोजगार परक शिक्षा न मिलने से शिक्षित बेरोजगारों का भविष्य अंधकार की गर्त में खुलेआम चला जा रहा है ।उच्च शिक्षा प्राप्त युवा वर्ग नौकरी न पाने से हीन भावना का शिकार हो रहा है। शिक्षित व्यक्ति को सरकारी नौकरी न मिलने पर समाज में तमाम ताने सुनने पर विवश होता है। राजनीतिक दल चुनाव के समय लम्बे चौड़े वादे तो करते हैं लेकिन सत्ता प्राप्त करने के बाद सत्ता के नशे में चूर होने से युवा वर्ग को नौकरी देना भूल जाते हैं। युवा वर्ग को सरकारी नौकरी न मिलने पर आक्रोश बढ़ता है। आक्रोश के चलते युवा वर्ग सरकार का विरोध करने लगता है। जिसका असर सीधे तौर पर चुनाव पर पड़ता है। सच्चाई यह है कि जो राजनीतिक दल शिक्षित बेरोजगारों को सरकारी नौकरी दे देता है तो उसका पूरा परिवार आजीवन उसी दल के साथ समर्पण भाव से वोट देता रहता है ।शिक्षित बेरोजगारों को जब तक रोजगार नहीं मिलेगा तब तक सुख मय जीवन की कल्पना करना बहुत कठिन काम है ।शिक्षित बेरोजगारी का असर व्यापक पैमाने पर नजर आ रहा है। अनपढ़ व्यक्ति को सरकारी नौकरी न के बराबर मिल पा रही हैं। कम पढ़े लिखे व्यक्ति को चपरासी की भी नौकरी आसानी से नहीं मिल पाती है । चौकीदार भी कोई भी संस्था अनपढ़ व्यक्ति का चयन नहीं करना चाहता है। अशिक्षित बेरोजगारी के असर के चलते बहुत कम मानदेय वेतन पर अशिक्षित व्यक्ति को काम मिल पाता ।मौसमी बेरोजगारी के प्रभाव से हजारों व्यक्ति आर्थिक संकट झेलने पर मजबूर हो रहे हैं । बेरोजगारी के असर से बेरोजगार व्यक्ति को पौष्टिक भोजन नहीं मिल पाता है। बेरोजगार व्यक्ति पक्के मकान का निर्माण नहीं करा पाता है ।बीमार होने पर समुचित इलाज भी नहीं हो पाता है। बेरोजगार व्यक्ति पारिवारिक एवं सामाजिक कर्तव्यों का निर्वाहन भी आसानी से नहीं कर पाता है। कुल मिलाकर देखा जाए तो अशिक्षित एवं शिक्षित बेरोजगारी के चलते युवा वर्ग हैरान और परेशान नजर आ रहा है । कम मानदेय एवं वेतन भत्ते पर बेरोजगार व्यक्ति जोखिम भरे कामों में काम पर काम करने पर मजबूर है ।शिक्षित बेरोजगारी पर नजर डाला जाए तो हजारों की संख्या में शिक्षित बेरोजगार प्राइवेट स्कूल ,कॉलेजों में बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। बेरोजगारी के कारण शिक्षित बेरोजगार तीन चार हजार रुपए से लेकर 7 से 8 हजार रुपए मानदेय पर अध्यापन कार्य करने पर मजबूर है। मानदेय का अधिक तर धन निजी कार्यों पर ही खर्च हो जाती है ।कारखानों में शिक्षित एवं अशिक्षित वर्ग के बेरोजगारों को आसानी से काम नहीं मिल पा रहा है । निर्माण कार्य में लगे श्रमिक को बेरोजगारी के कारण बहुत कम मजदूरी मिल पाती है। कम्पटीशन के दौर में बेरोजगारों को नौकरी और रोजगार नहीं मिल पा रहा है ।बेरोजगार व्यक्ति को स्वरोजगार न मिलने से आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है ।बेरोजगारी दूर करने के लिए सरकारी विभागों में रिक्त पड़े पदों पर तत्काल भर्ती करने के लिए सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है। वहीं दूसरी तरफ स्वरोजगार देने के लिए बेरोजगारों को ब्याज मुक्त कर्ज देना समय की पुकार है। संविदा पर नौकरी देकर शिक्षित बेरोजगारी पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। ब्याज मुक्त लोन देकर अशिक्षत, शिक्षित बेरोजगारी दूर किया जा सकता है । स्वरोजगार के मिलने से बेरोजगारी पर जहां एक तरफ लगाम लगेगी वहीं दूसरी तरफ पारिवारिक कलह भी शांत हो जाएगी। महिलाओं को भी स्वरोजगार देकर सशक्त बनाया जा सकता है। महिलाओं को सरकारी नौकरी योग्यता के अनुसार दिया जाना न्याय हित में है युवा वर्ग को सरकारी, अर्ध सरकारी, नौकरी देना सरकारों का कर्तव्य है।
[14/10, 12:03 PM] Abdul jabbar Ayodhya: *साइकिल से चलना सस्ता,मोटरसाइकिल से चलना हो गया है मंहगा*
रुदौली -अयोध्या
*राम राज*
साइकिल से चलना सरल, मोटरसाइकिल या वातानुकूलित वाहनों से चलना असम्भव तो नहीं है किन्तु कठिन जरूर हो गया है। डीजल व पेट्रोल के दामों में जब से भारी उछाल आया है। तबसे दोपहिया व चार पहिया वाहनों की सवारी करने वाले परेशानियों को झेल रहे है। यातायात के साधनों में सबसे पहले सस्ता साधन साइकिल ही माना जाता था ,है, भविष्य में भी रहेगा। धन के अभाव में गरीब आदमी सबसे पहले साइकिल खरीदने के लिए प्रयास करता है। लगभग महंगाई के इस दौर में अब भी ₹4000 में नई साइकिल मिल जाती है। वही साधारण मोटर साइकिल लगभग ₹100000 में मिल रही है । धन की कमी के कारण लोग मोटरसाइकिल लोन पर खरीद रहे हैं। जिसका भुगतान किस्तों में आसानी से किया जा रहा है। सच्चाई के धरातल पर देखा जाए तो लगभग मूलधन के साथ-साथ 20 से ₹25000 रुपए ब्याज के रूप में भुगतान करना पड़ रहा है । अमीर आदमी ही चार पहिया वाहनों का आनंद ले पा रहा है। लगभग 10 लाख रुपए में साधारण चार पहिया वाहन की खरीद हो पा रही है ।जिसमें लगभग एक से दो लाख रुपए ब्याज के रूप में अदा करना पड़ रहा है ।इस तरह देखा जाए तो गरीबों की सवारी साइकिल व अमीरों की सवारी का साधन मोटरसाइकिल व चार पहिया वाहन थे और वर्तमान समय में है व भविष्य में भी रहेंगे ।लगभग ₹1000 मे साइकिल की मरम्मत का कार्य हो जाता है वहीं दूसरी तरफ मोटरसाइकिल की मरम्मत में लगभग 5 से ₹10000 हजार रुपए लग जाते हैं ।वही चार पहिया वाहनों के मरम्मत कार्य लगभग ₹100000 रुपये से अधिक लगना स्वाभाविक हो चुका है। गरीब आदमी तो साइकिल की सवारी आसानी से कर रहा है लेकिन मोटरसाइकिल से प्रतिदिन आवागमन करने वाले एक बार पेट्रोल भराने से पहले सौ बार सोचने पर मजबूर है। प्रतिदिन लगभग 1 से 2 लीटर पेट्रोल खर्च होना आम बात हो गया है। दैनिक कार्यों को निपटाने के लिए मोटरसाइकिल से चलना मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए बहुत कठिन होता जा रहा है। बचत का अधिकतर धन डीजल व पेट्रोल खरीदने में चला जा रहा है ।साइकिल से चलने पर जहां एक तरफ दुर्घटनाओं की आशंका कम होती है वहीं दूसरी तरफ मोटरसाइकिल व चार पहिया वाहनों से चलने पर दुर्घटना की आशंका लगातार बनी रहती है। शान की सवारी समझी जाने वाली मोटरसाइकिल और वातानुकूलित चार पहिया वाहन से चलना असंभव तो नहीं लेकिन कठिन जरूर हो गया है क्योंकि डीजल और पेट्रोल के दामों में लगातार भारी वृद्धि होती जा रही है। ड्राइवर और वाहन मरम्मत के खर्चों को जोड़ लिया जाए तो शान की सवारी करना बहुत महंगा पड़ रहा है। महंगाई इसी तरह बढ़ती रही तो अधिकांश लोग साइकिल से चलने पर मजबूर होंगे ।मध्यम वर्गीय परिवार इसलिए मोटरसाइकिल से चलना पसंद करता है क्योंकि अगर वह साइकिल से चलता है तो अपनी समाज में तौहीन समझ रहा है ।मध्यम वर्गीय परिवार बाजार में खरीदारी करने जाता है तो मोटरसाइकिल से ही जाना पसंद करता है। स्कूल कॉलेज जाने वाले विद्यार्थी भी मोटरसाइकिल से ही आवागमन करना चाहते हैं ।वहीं दूसरी तरफ अगर किसी को रिश्तेदारी में या जरूरी काम से जाना पड़ता है तो मोटरसाइकिल से ही आना जाना चाहता है। दिन भर का सारा काम मोटरसाइकिल के ही सहारे निपटाने की जो आदत सी पड़ गई है वह अब तमाम परेशानियों का कारण बनती चली जा रही है ।साइकिल से चलने पर जहां एक तरफ शरीर को फायदा मिलता है वहीं दूसरी तरफ डीजल व पेट्रोल की चिंता नहीं करनी पड़ती है। साइकिल से चलने वाले व्यक्ति को स्फूर्ति का आनंद मिलता है । लागत बहुत कम आती है। व्यापारियों के आवागमन का मुख्य साधन मोटरसाइकिल ही है। बड़े व्यापारियों का मुख्य आवागमन का साधन वातानुकूलित चार पहिया वाहन है। व्यापारी जितना डीजल व पेट्रोल जलायेगा उसका पूरा खर्च व्यापार में ही जुड़ेगा जिसका सीधा असर ग्राहकों को झेलना पड़ेगा ।इस तरह से देखा जाए तो महंगाई के कारणों में डीजल व पेट्रोल की अधिक से अधिक खपत है । मोटरसाइकिल से चलने वालों से अगर बात किया जाता है तो खुलेआम कहते हैं कि पेट्रोल डलवाना अब बहुत बड़ा मुश्किल भरा काम हो चुका है । वही साइकिल से चलने वाले लोगों से बात किया जाता है तो अधिकांश साइकिल चालक कहते हैं कि पैदल चलने से आसान साइकिल से चलना है ।भले ही शान की सवारी साइकिल नहीं है किन्तु काम चलाने के लिए साइकिल से चलना कोई शर्म नहीं है।
[14/10, 12:03 PM] Abdul jabbar Ayodhya: *कृषि एवं पशुपालन से लाभ कम हानि हो रही है अधिक*
*राम राज*
रुदौली -अयोध्या
कृषि एवं पशुपालन का कार्य असम्भव तो नहीं किन्तु बहुत कठिन जरूर हो गया है ।कृषि में लागत अधिक आने से बचत बहुत कम हो पाती है । बचत कम होने से किसानों की विकास की रफ्तार धीमी रह जाती है। धान गेहूं फल सब्जी आदि की खेती मे लागत अधिक आ रही हैं। रासायनिक खादों का अधिक उपयोग होने के कारण पैदावार तो किसी तरह मिल जाती है लेकिन रासायनिक खादों का दुष्परिणाम भी उपभोक्ता को झेलना पड़ रहा है। कीटनाशक दवाओं का प्रयोग दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। कीटनाशक के प्रयोग का दुष्परिणाम मनुष्य को परेशानियों में डाल रही है। पशुपालन का काम भी अब अधिक फायदेमंद नहीं रह गया है। पशुपालन करने वाले आर्थिक संकट झेलने पर मजबूर है। पशुओं के लिए हरा चारा तैयार करना बहुत महंगा पड़ रहा है ।हरा चारा खरीद कर पशुओं को खिलाना बहुत कठिन हो गया है। पशुपालन का काम लाभदायक नहीं रह गया क्योंकि पशुओं की कीमत बहुत बढ़ चुकी है। 50 से 70 हजार रुपए में अच्छी नस्ल की भैंस मिल पाती है। भैंस को चारा , भूसा का इंतजाम करना बहुत कठिन है ।लगभग 6 -7 रुपए प्रति किलोग्राम बाजार में भूसा बिक रहा है। मजदूरों के सहारे पशुपालन करना बहुत टेढ़ा काम है ।लगभग ₹300 मजदूरों को मजदूरी प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान करना पड़ रहा है। महंगा चारा , भूसा और महंगे पशुओं के चलते ही बाजार में दूध महंगा बिकता है ।उन्नत कृषि के लिए उन्नत बीज ,पानी, खाद, दवाई, जुताई , निराई, गुडाई ,बुवाई बहुत जरूरी है। खेती के लिए जैविक खाद का प्रयोग करना बहुत आवश्यक है ।गोबर की खाद का प्रयोग बढ़ाना होगा ।गोबर की खाद तैयार करने के लिए पशुपालन करना बहुत जरूरी है यदि पशुपालन नहीं किया जाता है तो गोबर की खाद खरीद कर खेतों में डालना बहुत महंगा पड़ रहा है। किसानों की आय दोगुना करने के लिए सरकारों के द्वारा लगातार प्रयास जारी है किन्तु बहुत अच्छा रिजल्ट नहीं मिल पा रहा है। किसानों की आय तभी दोगुना होगी जब किसानों को भ्रष्टाचार मुक्त ब्याज रहित लोन मिलने की सुविधा मिलेगी। किसान बैंक से कर्ज लेने से डरता है क्योंकि किसान जब बैंक के दरवाजे पर लोन लेने के लिए पहुंचता है तो उसे आसानी से ऋण नहीं मिल पाता क्योंकि लोन लेने से पहले किसानों को भ्रष्टाचार की मार झेलना पड़ता है। जब तक किसान लोन लेने के लिए कमीशन नहीं देता है तब तक ऋण स्वीकृत आसानी से नहीं किया जाता है। लोन लेने के लिए किसानों को दर्जनों बार दौड़ाया जाता है ।किसान बैंक में जब ऋण के लिए आवेदन करता है तो भ्रष्टाचार के कारण इधर उधर की बातें करके या तो वापस कर दिया जाता है या तो लोन लेने के लिए कमीशन देने पर मजबूर कर दिया जाता है। किसानों को अगर आसानी से भ्रष्टाचार मुक्त ऋण मिले तो किसान ब्याज सहित भुगतान भी करने को तैयार रहता है ।सबसे बड़ी समस्या किसान को तब झेलनी पड़ती है जब किसान कमीशन देकर कर्जा लेता है सच्चाई के धरातल पर देखा जाए तो किसान को मूलधन ,ब्याज और कमीशन दोनों धनराशि का ब्याज सहित भुगतान करना पड़ता है।किसान समय से ब्याज सहित भुगतान नहीं कर पाता है तो किसानों से अधिक प्रतिशत ब्याज दर पर लोन अदा करना पड़ता है।किसान को बैंक जब लोन देता है तब कहता है कि समय से भुगतान हो गया तो बहुत कम ब्याज देना पड़ेगा किन्तु किसी कारण यदि किसान ऋण का भुगतान ब्याज सहित नहीं कर पाता है तो किसान को अधिक ब्याज दर पर ऋण का भुगतान करना पड़ता है। कर्ज के तले किसान कराह रहा है। जो किसान किसी खास वजह से ऋण की अदायगी समय से नहीं कर पाता है तो बाद में उसे मूलधन सहित कई गुना मूलधन से ब्याज के रूप में भुगतान करना पड़ता है । सबसे अधिक किसान कर्जा के कारण आत्महत्या करने पर मजबूर होता है।
[14/10, 12:04 PM] Abdul jabbar Ayodhya: *महंगाई की आग में झुलस रहा आम आदमी*
*रुदौली -अयोध्या*
*राम राज*
आम आदमी महंगाई की मार से छटपटा रहा है। डीजल और पेट्रोल के दामों में बेतहाशा वृद्धि के चलते महंगाई सातवें आसमान पर पहुंच रही हैं । वर्तमान समय में महंगाई की मार सबसे अधिक दैनिक मजदूरों पर पड रही है। दैनिक मजदूर 2 जून की रोटी का इंतजाम आसानी से नहीं कर पा रहा हैं। दैनिक उपयोगी वस्तुएं लगातार महंगी होती जा रही हैं। दूध के दाम में लगातार बढ़ोतरी जारी है। शुद्ध दूध 50 से ₹60 प्रति लीटर आम आदमी को मिल रहा है ।फल और सब्जियों के दामों में भारी इजाफा हुआ है । केला लगभग ₹60 प्रति दर्जन मूल्य पर पहुंच गया है ।सेब, अनार ,मुसम्मी ,पपीता आदि फलों के दामों में लगातार बढ़ोतरी जारी है । महंगाई के चलते आम आदमी पौष्टिक आहार से दूर होता चला जा रहा है ।अनाजों के दामों में बढ़ोतरी होने से हर इंसान को पौष्टिक आहार नहीं मिल पा रहा है। दालों के दामों में लगातार इजाफा हो रहा है ।मटर की दाल अधिकतर आम आदमी की थाली में नजर आ रही हैं ।मटर की दाल महंगी होने के चलते मटर की दाल खरीदने में भी आम आदमी को परेशानी उठानी पड़ रही है ।अरहर की दाल लगातार महंगी होती जा रही है ।उर्द और मूंग की दाल आम आदमी की थाली से दूर होती जा रही है। उर्द की दाल का मूल्य अधिक होने के चलते आम आदमी उर्द की खरीदारी से कतरा रहा है। मूंग की दाल महंगी होने के चलते आम आदमी की थाली से कोसों दूर नजर आ रही है ।सच्चाई यह है कि उर्द, मूंग, अरहर की दाल अधिक महंगी होने के चलते मटर की दाल आम आदमी लगभग प्रतिदिन खाने पर मजबूर है। दैनिक मजदूर दैनिक उपयोगी सामान खरीदने में ही मजदूरी का लगभग 90% धनराशि खर्च करने पर मजबूर है। महंगाई की मार से दैनिक मजदूर छटपटा रहा हैं। दिहाड़ी मजदूर ,रिक्शा चालक ,ड्राइवर और मध्यम वर्गीय परिवार महंगाई की मार से कराह रहा है। वर्तमान काल में जन सामान्य को पौष्टिक आहार मिलने में महंगाई सबसे बड़ी बाधा है। कपड़ों के दामों में भारी बढ़ोतरी के चलते अच्छे, गुणवत्ता के कपड़े आम आदमी से दूर होते चले जा रहे हैं। महंगाई के चलते आम आदमी हाई क्वालिटी ,मजबूत और टिकाऊ कपड़ों की खरीदारी नहीं कर पा रहा है ।काम चलाओ गुणवत्ता हीन कपड़ों की खरीदारी करने पर मजदूर वर्ग मजबूर है। मध्यम वर्गीय परिवार जिनके घर मोटरसाइकिल आवागमन का साधन है एक बार पेट्रोल खरीदने से पहले सौ बार सोचने पर मजबूर है।महंगाई की मार सबसे अधिक मध्यमवर्गीय परिवारों पर असर डाल रही। महंगाई की मार से मध्यम वर्गीय परिवार तबाही का मंजर देख कर हैरान व परेशान है। महंगाई पर एक नजर डाला जाए तो आलू ,भिंडी, करेला, नींबू ,अदरक, मिर्चा ,लहसुन ,प्याज आदि सब्जियों के दामों में बेतहाशा वृद्धि नजर आ रही हैं गरीब आदमी महंगाई के चलते यह नहीं तय कर पा रहा है कि सब्जियों से परिवार का आहार पूरा किया जाए या दाल खरीद कर परिवार का पेट भरा जाए ।हर मनुष्य को पौष्टिक आहार मिलना जरूरी है किंतु महंगाई के चलते गरीबों, मजदूरों जन साधारण और आम आदमी को पौष्टिक आहार नहीं मिल पा रहा है। जिसके चलते आम आदमी कुपोषण का शिकार होता जा रहा है। कपड़ा मकान पढ़ाई दवाई आदि सब कुछ महंगाई की चपेट में है । मकान बनाना आम आदमी के लिए कठिन हो गया है। सीमेंट बालू
मोरंग गिट्टी बिल्डिंग मटेरियल महंगे हो गए हैं। जिसके चलते गरीब आदमी पक्का मकान नहीं बनवा पा रहा है ।अनाज के दामों में लगातार बढ़ोतरी के चलते महंगाई सातवें आसमान पर पहुंच चुकी है ।धान गेहूं आदि अनाजों के दाम बढ़ने से सामान्य परिवार परेशानी झेल रहा है। चीनी ,आटा ,चावल, चना ,अरहर, उड़द ,मूंग, मटर ,चना दाल ,अरहर दाल ,उर्द की दाल, मटर की दाल, मूंगफली, मूंग दाल ,जीरा ,आजवाइन शौफ ,चाय पत्ती ,सोठ ,अदरक ,आदि के दामों में लगातार बढ़ोतरी हो गई है। फलों आम ,केला, अनार, सेब, पपीता ,अंगूर आदि के दाम बढ़ने से आम आदमी फलों का सेवन नहीं कर पा रहा है। महंगाई की मार से जनता कराह रही। आलू ,भिंडी ,करेला, परवल ,तोरिया ,कद्दू, गोभी ,पालक, मूली ,हल्दी आदि के दामों में लगातार बढ़ोतरी जारी है ।पैंट ,शर्ट ,टी शर्ट, धोती ,कुर्ता, बनियान ,चड्डी आदि के दामों में बढ़ोतरी होने से आम आदमी का तन ढकना महंगा होता जा रहा है। कॉपी किताब ,ड्रेस, पेन ,स्टेशनरी, आदि के दाम बढ़ते जा रहे हैं । मौसमी फलों सब्जियों एवं अनाजों के दामों में भारी वृद्धि से आम आदमी पौष्टिक आहार से दूर होता जा रहा है दूध के दामों में भारी वृद्धि से बच्चों को भी जरूरत के अनुसार दूध नहीं मिल पा रहा है। महंगाई पर नजर डाला जाए तो सरसों का तेल, रसोई गैस, खाद्य तेलों, दूध, दही, घी, पनीर, गरी, किसमिस, छुहारा ,बादाम ,काजू, आदि इतना महंगा हो चुका है कि नाम सुनते ही आमजन, आम जनमानस के रोंगटे खड़े हो रहे हैं। शुद्ध सरसों का तेल शरीर को जितना चाहिए नहीं मिल पा रहा है ।शुद्ध तेल की जगह रिफाइंड और डालडा का प्रयोग आम आदमी करने पर मजबूर है। विनोद कुमार लोधी के अनुसार महंगाई का असर सभी वर्गों पर खुलेआम पड़ रहा है। महंगाई के चलते आम आदमी को बचत कम हो पा रही है। सत्यम मौर्या का कहना है कि महंगाई का असर पूरे विश्व में नजर आ रहा है । मूलभूत सुविधाएं सब को महंगाई के कारण आसानी से नहीं मिल पा रही है। रमेश कुमार यादव का अनुभव है कि महंगाई के चलते आय होने के बाद भी आम आदमी बचत नहीं कर पा रहा है। अधिकांश धन खर्च होने के बाद भी सुविधाओं का अभाव आम जनमानस में बना रहता है ।जनता महंगाई से परेशान है । रोशन लाल यादव के अनुसार सबसे अधिक महंगाई की मार गरीबों एवं मध्यम वर्गीय परिवारों पर खुलेआम पड़ रहा है । स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग से महंगाई पर काबू पाया जा सकता है। दूध की महंगाई कम करने के लिए पशुपालन खासकर देसी गाय का पालन करना पड़ेगा ।महंगाई चारों तरफ नजर आ रही है ।धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि डीजल एवं पेट्रोल की महंगाई से लगभग सभी वस्तुएं महंगी होती चली जा रही हैं । सहज राम यादव का कहना है कि दैनिक मजदूर 2 जून की रोटी जुटाने में परेशान नजर आ रहा है। सब्जी और फल पर महंगाई का असर भारी पड़ रहा है। मनोज कुमार यादव का कहना है कि महंगाई का असर सामान्य जनमानस पर पड़ रहा है। दूध ,तेल, अनाज आदि महंगा हो गया है ।गंगाराम यादव का कहना है कि दूध दही घी आज महंगा होने से सबको पौष्टिक आहार नहीं मिल पा रहा है । पवन कुमार शर्मा के अनुसार डीजल और पेट्रोल महंगा होता जा रहा है ।मीडियम एवं निम्न वर्ग के परिवार का भरण पोषण बहुत मुश्किल होता चला जा रहा है। शाहिद के अनुसार महंगाई आम आदमी पर भारी पड़ रही है ।आय होने के बाद भी महंगाई के कारण जनमानस बचत नहीं कर पा रहा है। दयानंद शुक्ला के अनुसार महंगाई पर अंकुश तभी लगेगा जब जनता की आय बढ़ेगी और दैनिक उपभोग की सामग्री सस्ती होगी। बचत तभी संभव है जब पूरी तरह महंगाई पर अंकुश लगे। रणजीत सिंह के अनुसार महंगाई का असर जनमानस पर खुलेआम नजर आ रहा है ।मूलभूत सुविधाएं जैसे रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई ,दवाई जनमानस को आसानी से नहीं उपलब्ध हो पा रही है। त्योहारी सीजन शुरू होते ही राशन सब्जी खाद्य तेल मसाला रसोई गैस के दामों में बेतहाशा वृद्धि हो गई है । जबकि घरेलू गैस सिलेंडर का दाम ₹950 से ऊपर हो गया है ।आने वाले दिनों में नवरात्र दशहरा दीपावली त्यौहार है। ऐसे में लोग काफी परेशान हैं कि इस बढ़ी हुई महंगाई के बीच त्योहार कैसे मनाया जाएगा।
भोजन की थाली पर महंगाई की मार लगातार बढ़ती जा रही है । बीते कई महीने से चीनी मसाला सब्जी तेल और खाद्य तेल के भाव लगातार बड़े हैं। जबकि सबसे ज्यादा परेशान रसोई सिलेंडर सरसों का तेल और रिफाइंड तेल ने कर रखा है । गैस सिलेंडर ₹950 से भी ज्यादा का हो गया है । होम डिलीवरी होने पर ₹975 पहुंच जाता है प्रतिदिन खाने में इस्तेमाल होने वाला सरसों के तेल की कीमत इस समय आसमान छू रही है ।आलम यह है कि विभिन्न ब्रांडों के तेलों की कीमत ₹200 के अब पार हो चुकी है। कोल्हू से शुद्ध सरसों का तेल ₹ 260 प्रति किलो के आसपास बिक रहा है। कमोबेश यही हाल रिफाइंड तेल का है ।यह बाजार में ₹170 लीटर की दर से इस समय बिक रहा है। राशन में अरहर की दाल की कीमतों में कुछ कमी जरूर आई है लेकिन अन्य सामान जैसे चीनी आटा बेसन चावल हल्दी जीरा मेथी काली मिर्च अजवाइन समेत अन्य सामानों के कीमत दिन प्रतिदिन लगातार बढ़ती जा रही है।
बात सब्जी की करें तो हरी सब्जियां ₹60 प्रति किलो के ऊपर इस समय बिक रही हैं। नवरात्र आते ही आलू के दामों में भी भारी उछाल आ रहा है। सूखी सब्जी जैसे प्याज अदरक लहसुन मिर्च हरी धनिया आदि के दाम भी लोगों की पहुंच के बाहर हो रहे हैं इससे आम नागरिकों की थाली पर व्यापक असर पडने लगा है। आम आदमी मंहगाई से अब तक अभी भी उबर नहीं पाए हैं और महंगाई इस कदर बढ़ रही है कि लोगों की दिन प्रतिदिन मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
इस समय बाजार में खाद्य सामग्री के दाम इस प्रकार हैं रिफाइंड तेल 165 से ₹185 सरसों का तेल 180 से ₹200 चना की दाल ₹70 अरहर की दाल 75 से 90 रुपए मसूर की दाल पचासी से पंचानवे रुपए मूंग की दाल 80 से ₹90 बेसन 90 से ₹100 हल्दी ₹100 से ₹130 धनिया 110 से ₹120 चीनी ₹42 आटा 28 से ₹30 प्रति किलो बिक रहा है जबकि आलू 30 से ₹25 लहसुन 100 से 120 प्याज 30 से 40 अदरक 75 से 95 भिंडी 40 से 60 करोड़ 50 से 60 लोबिया ₹75 लव की ₹25 टमाटर ₹780 टन ₹60 पर ₹80 गोपी 40 से ₹45 शिमला मिर्च साउथ ₹100 से ₹120 प्रति किलो बिक रहा है । गृहणियों व आम लोगों का कहना है कि 2 वर्षों से कोरोना और लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं। आमदनी का जरिया व्यापक रूप से प्रभावित हुआ है ।राहत कहीं से भी नहीं मिल रही है ।त्यौहार का सीजन शुरू हो चुका है महंगाई दिन-ब-दिन चिंता बढ़ती जा रही है । महंगाई में कैसे त्यौहार मनाएंगे कूढा सादात निवासी सूरत देवी कहती हैं कि महंगाई लगातार बढ़ रही है । महंगाई के कारण रसोई के लिए पूरा सामान भी ठीक से नहीं खरीद पाते हैं। मध्यम वर्गीय और निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों को बढ़ रही महंगाई से लगातार नुकसान हो रहा है ।कहीं से कोई राहत नहीं मिल पा रही है। रश्मि प्रीति अनुपमा कहती हैं गैस सिलेंडर के दाम तो अब थमने का नाम नहीं ले रहे हैं लगातार बढ़ रहे हैं इससे घरेलू खर्चे भी प्रभावित हो रहे हैं ।तेल और अन्य खाद्य सामग्रियों की कीमतें सुनकर मन परेशान होता है । जय प्रकाश का कहना है कि महंगाई के चलते आम आदमी बहुत परेशान हो चुका है। गरीबों को मूलभूत सुविधाएं भी महंगाई के कारण समुचित रूप से नहीं मिल पा रही है। पढ़ाई और दवाई बहुत महंगी है। महंगाई के कारण अच्छे कपड़े और अच्छा मकान सबको नसीब नहीं हो पा रहा है। राम सिंह का कहना है कि महंगाई के चलते सबको पौष्टिक आहार नहीं मिल पा रहा है। महंगाई के कारण आम आदमी सुख सुविधाओं से दूर होता चला जा रहा है। धर्मराज के अनुसार महंगाई के कारण आम आदमी काफी परेशान है। शिक्षा इतनी महंगी हो चुकी है कि बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा पाना असंभव नहीं किन्तु कठिन जरूर है। आय का अधिकांश हिस्सा महंगाई के पीछे खर्च हो जाता है। बचत महंगाई के कारण नहीं हो पाती है ।राधेश्याम के अनुसार महंगाई अपनी सीमा को पार कर चुकी है ।महंगाई के चलते उच्च शिक्षा प्राप्त करना बहुत कठिन हो गया ।गरीब आदमी अच्छे कपड़े, अच्छे मकान और सुख सुविधाओं से कोसों दूर नजर आ रहा है। महंगाई के कारण अल्प बचत भी नहीं हो पा रही है क्योंकि महंगाई इतनी बढ़ गई है बचत नहीं हो पाती गरीब आदमी महंगाई से तंग आ चुका है। शब्बीर के अनुसार महंगाई के कारण आम जनमानस त्रस्त है ।सुख सुविधाएं मिलना दूर गरीब आदमी दो वक्त की रोटी जुटाने में भी मजबूर हो रहा है। महंगाई अगर कम न हुई तो कुपोषण और बढ़ेगा । जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा। बीमारियां अधिक परेशान करेंगी ।आसिफ शेख के अनुसार महंगाई सातवें आसमान पर पहुंच चुकी है ।महंगाई के कारण गरीब आदमी बहुत परेशान है गरीब आदमी महंगाई के कारण बचत नहीं कर पा रहा है । आमदनी का अधिकांश धन खर्च हो जाता है व महंगाई के कारण सभी जरूरतें भी नहीं पूरी हो पा रही हैं। महंगाई की मार से गरीब आदमी छटपटा रहा है। ललित गुप्ता कहते हैं कि महंगाई पर अंकुश न लगा तो गरीब आदमी भरपेट भोजन भी नहीं पा सकेगा। अच्छे कपड़े मिलना तो दूर महंगाई के कारण तन ढकना भी मुश्किल हो जाएगा ।अब्दुल जब्बार के अनुसार महंगाई के कारण अच्छा भोजन, अच्छा कपड़ा ,अच्छा मकान ,अच्छी दवाई और अच्छी पढ़ाई आदि आज आसानी से नहीं मिल पा रही है। महंगाई के कारण बचत नहीं हो पा रही जिससे क्रय शक्ति घट गई है। मैकूलाल के अनुसार महंगाई की मार से आम आदमी छटपटा रहा है। महंगाई अब असहनीय स्थिति में पहुंच चुकी है । राजकुमार लोधी के अनुसार फल ,सब्जी, अनाज , दाल ,तेल महंगाई की चपेट में आ चुकी है। महंगाई से गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार सबसे अधिक परेशान हैं। महंगाई के कारण अच्छा भोजन सबको नहीं मिल पा रहा है । जिससे कुपोषण बढ़ रहा है। काली प्रसाद सोनकर के अनुसार महंगाई के कारण पौष्टिक आहार ,अच्छा मकान ,अच्छी पढ़ाई ,अच्छी दवाई गरीब आदमी को नहीं मिल पा रहा है ।महंगाई की आग में आम आदमी झुलस चुका है। महंगाई का असर गरीब और आम आदमी पर अधिक पड़ा है ।संतराम यादव का कहना है कि महंगाई के चलते बचत तो दूर प्रतिदिन की जरूरत भी आसानी से गरीब आदमी नहीं जुटा पा रहा है। महंगाई से साधारण आदमी हैरान और परेशान नजर आ रहा है ।मध्यम वर्गीय परिवार महंगाई के चलते संकट झेल रहा है। मुन्ना लाल का कहना है कि महंगाई की मार सब पर भारी पड़ रही है । महंगाई इतनी बढ़ चुकी है कि डीजल और पेट्रोल खरीद पाना बहुत मुश्किल हो चुका है। महंगाई पर कंट्रोल न हुआ तो अधिकांश लोग चार पहिया वाहन के बजाय दो पहिया वाहन से चलने पर मजबूर होंगे। दो वक्त की रोटी ,अच्छा मकान का इंतजाम गरीब आदमी महंगाई के चलते नहीं कर पा रहा है। मध्यम वर्गीय परिवार सबसे अधिक महंगाई के चलते परेशान हैं। अंबिका प्रसाद के अनुसार महंगाई के कारण गरीब आदमी पक्का मकान नहीं बनवा पा रहा है। अच्छा भोजन न मिलने से कुपोषण बढ़ रहा है। महंगाई के चलते सुख सुविधाएं आम आदमी से दूर होती चली जा रही है ।किस्मत अली का कहना है महंगाई इतनी बढ़ चुकी है मजदूरी की आमदनी से दो टाइम का अच्छा भोजन मिलना मुश्किल हो चुका है। बचत न होने से अच्छा मकान बनवा पाना कठिन हो गया है। महंगाई के कारण कुपोषण घटने के बजाय बढ़ रहा है ।बंसीलाल के अनुसार महंगाई का असर सभी वर्गों पर पड रहा है। तमाम कोशिशों के बाद भी बचत नहीं हो पाती ।साधु सरन कहते हैं महंगाई ने सब को परेशान कर रखा है। महंगाई के कारण घर का बजट गड़बड़ा रहा है। बचत न होने से तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है । महंगाई सबसे ज्यादा गरीबों पर असर डाल रही है । मध्यम वर्गीय परिवार महंगाई के कारण अधिक दुखी हैं ।गुरुप्रसाद के अनुसार महंगाई बढ़ गई है ।महंगाई के कारण सबको सुख सुविधाएं मिलना कठिन हो गया है। महंगाई के कारण परिवार की जरूरतें आसानी से नहीं पूरी हो पाती है। महंगाई गरीबों के साथ साथ आम आदमी को भी संकट में डाल रही है। महंगाई घटने से ही गरीब आदमी बचत कर पाएगा ।महंगाई के कारण प्रतिदिन की जरूरतें भी आसानी से नहीं पूरी हो पाती है। महंगाई की चिंता में आम आदमी परेशान है।
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