वाराणसी09अगस्त23*तहखाने, गुंबद और दीवारें,ज्ञानवापी के कोने-कोने की एएसआई कर रही जांच,जानें अभी तक क्या-क्या मिला*
वाराणसी।देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी में ज्ञानवापी परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम द्वारा सर्वे किया जा रहा है। एएसआई के सर्वे का आज सातवां दिन है।ज्ञानवापी के गुंबद से लेकर तहखानों तक की एएसआई जांच और नापजोख कर रही है।आज आईआईटी कानपुर से एक्सपर्ट की टीम भी ज्ञानवापी पहुंच जाएगी।बीते दिनों एएसआई टीम के सदस्य ऊपर चढ़कर गुंबद की पैमाइश की थी।
बताते चलें कि एएसआई टीम आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर ज्ञानवापी का सर्वे कर रही है। 3 डी मैपिंग, स्कैनिंग, हाईटेक फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी से सबूत को जुटाया जा रहा है। आईआईटी कानपुर से एक्सपर्ट की टीम जीपीआर (ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार) मशीन से सर्वे के लिए बुलाया गया है। इस तकनीक से बिना खुदाई किए जमीन के नीचे जांच की जाएगी
*एएसआई टीम कर रही है सर्वे*
ज्ञानवापी की दीवारों पर अंकित निशान, उसकी प्राचीनता, कलाकृतियां, मिट्टी का सैंपल, पत्थर के टुकड़े, कथित तौर मिली टूटी प्रतिमा जैसी चीजों को एएसआई ने बतौर सैंपल जमा किया है।साथ ही डिजिटल नक्शे के जरिए ज्ञानवापी के स्ट्रक्चर को भी समझने का प्रयास किया जा रहा है।आज श्रृंगार गौरी की दीवार और छत ढलान का भी सर्वे होगा।
*जानें ज्ञानवापी सर्वे में अब तक क्या मिला*
हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया कि एएसआई के सर्वे में ज्ञानवापी के तहखाने में मंदिर से जुड़ी कलाकृतियां मिली हैं। दीवारों पर त्रिशूल, कलश, कमल और स्वास्तिक के निशान मिले हैं।बरहाल इसको लेकर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई है। मुस्लिम पक्ष ने सर्वे को लेकर लीक हो रही खबरों पर नाराजगी जताई है।
अंजुमन इंतजामिया कमेटी के वकील अखलाक अहमद ने कहा कि जिसे त्रिशूल बताया जा रहा है असल में वो अल्लाह लिखा हुआ है।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मस्जिद के गुंबद के नीचे शंक्वाकार आकृति या शिखर नुमा आकृति मिली है।इस सवाल के जवाब में अखलाक ने कहा कि जितने भी बड़े गुंबद होते हैं, वह दो हिस्सों में ही बनते हैं।अगर ऐसी बनावट नहीं होगी तो हवा क्रॉस होने की जगह ना होने के चलते वह गुंबद गिर जाएगा।
*ज्ञानवापी की दीवार पर ऐसे निशान मिलने का दावा*
अखलाक अहमद ने यह भी दावा किया कि मुगलकालीन सिक्कों पर भी स्वास्तिक और ओम की आकृति उकेरी जाती थी। इसलिए यह कह देना कि कमल का फूल सिर्फ मंदिरों पर ही बना हुआ मिलेगा तो यह गलत है।फूल तो कोई भी बना सकता है।उसका मंदिर या इस्लाम से कोई मतलब नहीं है।
शनिवार को हुए सर्वे के बाद हिंदू पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी ने दावा किया था कि मलबे में मूर्तियां नहीं, बल्कि मूर्तियों के टुकड़े मिले हैं।सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि मूर्तियां भी बरामद होंगी।गुंबदों की जांच में दो सीढ़ियां और दो कलश भी रखे मिले हैं।बरहाल हिंदू और मुस्लिम पक्ष की तरफ से अपने-अपने पक्ष में दावे किए जा रहे हैं, लेकिन फाइनल रिपोर्ट के लिए एएसआई के सर्वे का पूरा होने का इंतजार करना होगा। एएसआई को साइंटिफिक जांच की रिपोर्ट 2 सितंबर तक कोर्ट में जमा करनी होगी।
*जानें ज्ञानवापी के मुख्य इमाम ने क्या कहा*
इससे पहले ज्ञानवापी के मुख्य इमाम और जनरल सेक्रेटरी मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा था कि जिन हिन्दू प्रतीक चिन्हों के ज्ञानवापी परिसर में दिखाई देने का दावा किया जा रहा है वो हिन्दू-मुस्लिम साझा संस्कृति के प्रतीक हैं।इन चिन्हों को औरंगजेब ने ज्ञानवापी मस्जिद में बनवाया था।मुफ्ती ने यह भी कहा कि हम हर जुम्मे को वहां नमाज पढ़ाने जाते हैं, लेकिन हमको आज तक वहां ऐसा कोई निशान नहीं दिखा, तो हम यह कैसे मान लें कि वह सही कह रहे हैं।
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