April 25, 2024

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इटावा29दिसम्बर2022*पीड़ित रिपोर्टर शोशल मीडिया का सहारा ले कर लगा रहा न्याय की गुहार !

इटावा29दिसम्बर2022*पीड़ित रिपोर्टर शोशल मीडिया का सहारा ले कर लगा रहा न्याय की गुहार !

इटावा29दिसम्बर2022*पीड़ित रिपोर्टर शोशल मीडिया का सहारा ले कर लगा रहा न्याय की गुहार !

 

एक सिपाही के उत्पीड़न से सुरक्षा की मांग करता स्थानीय संवाददाता, कहासुनी के मामले को लेकर पत्रकार को 3 घंटे थाने के दफ्तर में जमीन पर बैठाया,, खबरें लिखने पर भी दी धमकी ,,ताजा मामला थाना बकेवर क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
बकेवर इटावा।
जहां एक ओर उत्तर प्रदेश सरकार पत्रकारों की सुरक्षा का हवाला देने हेतु पत्रकार सुरक्षा कानून की बात कर रही है , तो वहीं रक्षक पुलिस की कहानी भी किसी से छिपी नहीं है।
मामला थाना बकेवर का जहां रंजिश के चलते एक प्रार्थना पत्र के आने का इंतजार कर रहे फैंटम बाइक पर सवार एक नाम नामजद सिपाही द्वारा मंगलवार को भी कस्बा बकेवर के मुहाल में एक परिवार में हुयी कहासुनी को लेकर परिवार में सदस्य जो कि दैनिक भास्कर पत्र का संवाददाता होने से‌ खबर को लेकर पुरानी रंजिश मानकर थाना बकेवर के एक सिपाही द्वारा सार्वजनिक रूप से परिवार में हुये कहासुनी के मामले का बहाना लेकर अभद्रता करते गाली गलौच की गयी।
इस बाबत विनीत तिवारी पुत्र अशोक तिवारी निवासी पटेल नगर थाना बकेवर ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को दिए शिकायती पत्र में बताया कि वह एक समाचार पत्र का संवाददाता है। जिस प्रकार वारंटी आरोपी के विरुद्ध कार्यवाही की जाती है उसी प्रकार उक्त नामजद सिपाही सचिन फौजदार द्वारा फर्जी मुकदमें में फसाने की धमकी दी गयी।
प्रार्थना पत्र की जांच ना होने के चलते थाना पुलिस द्वारा पत्रकार को थाने के अंदर दफ्तर में 3 घंटे बैठाया गया। उक्त सिपाही द्वारा मामले को रस्सी को सांप बनाने का काम किया गया।
जबकि पीड़ित पत्रकार द्वारा 17 अक्टूबर 2022 को एक वांछित आवाज में साउंड बजा रहे इलेक्ट्रॉनिक की दुकान की शिकायत का समाचार पत्र में प्रकाशन किया गया था।
जिसके चलते उक्त सिपाही पत्रकार से रंजिश मानते के चलते एक ओर देखा जाए तो बकेवर पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान उठाता है। वही पीड़ित पत्रकार ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से अपनी सुरक्षा की मांग की है। वही मामले की शिकायत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से ली गई है।
उपरोक्त विषयक मामले में दैनिक भास्कर संस्थान का संवाददाता होने की पुष्टि नहीं करता है, है,संवाददाता की पुष्टि सम्वंधित संस्थान पर निर्भर करती है, खबर संस्थान द्वारा पत्रकार के परिचय को आधार मानकर लिखी है,किसी संगठन व संस्थान को ठेस सम्मान पहुंचाने के लिए नहीं लिखी जा रही है, यह खबर सिर्फ पीड़ित पत्रकारों का शोषण व पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने के लिए लिखी गई है,

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