औरैया17नवम्बर*35 टुकड़ों में संस्कारो का माखौल उड़ाया
*
नई पीढ़ी ने आज देखो अपने
संस्कारों का माखौल उडाया है
उसी पीढी की बेटी ने अपने को
35 टुकड़ों मे आज पाया है ।। 1
कहा ना मानकर मात पिता का
उसने क्या खूब आजादी पाई है
प्रेमी संग चंद रोज़ बिताकर
टुकड़ों टुकड़ों मे जिन्दगी गवाई है ।।
2
पश्चिमी सभ्यता को अपनाकर
अपने संस्कारों को उसने खोया है
हालत देख के उसके मातपिता ने
खून के आंसू पल पल रोया है ।।3
सबक सीख लें नई पीढियाँ
अपने संस्कारों को ना खोना है
मातपिता की मर्जी से चलकर
सुखी जीवन को अब जीना है।।
4 काश अगर तुम धर्म विरूद्ध न जाती,तो आज बिटिया तुम टुकड़ों के हिस्से में होकर फिर्ज तक न आती।
जैसे तुमने चंद भर के सुख की खातिर अपने मां बाप के बताए रास्ते को ठुकरा दिया न होता ,तो आज 35 टुकड़ों में न बाटी जाती।
अनुपमा सेंगर पत्रकार
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