मऊरानीपुर04अगस्त*स्वामी वेदानंद ज्ञान एवं कौशल संस्थान विद्यालय खिलारा में मनाई गई तुलसीदास जयंती।
मऊरानीपुर (झांसी)। स्वामी वेदानंद ज्ञान एवं कौशल संस्थान विद्यालय खिलारा में संत तुलसीदास जी की जयंती के साथ ही तिरंगा यात्रा पर विस्तार से चर्चा की गई। जिसमें प्रधानाचार्य श्रीकांत शर्मा ने विद्यार्थियों को बताया गया कि उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के ग्राम राजापुर में रहने वाले पंडित आत्माराम दुबे एवं उनकी धर्मपत्नी हुलसी बाई के यहां 1511 ईस्वी, सम्मबद 1568 में पुत्र के रूप में जन्म हुआ जो पैदा होते ही श्री राम का नाम पुकारने लगा और उठ कर बैठ गया उसके मुंह में सभी दांत थे इसलिए परिवार के लोगों ने उसका नाम रामबोला रख दिया। रामबोला का विवाह रत्नावली से हुआ जिसके वह अपनी पत्नी से अत्याधिक प्रेम करते थे। धर्मपत्नी ने उनसे कहा कि मेरा शरीर हड्डियों मांसपेशियों से बना है यह नाशवान है इससे प्रेम की जगह भगवान से प्रेम करो जिससे घर परिवार को और पूर्वजों का उद्धार होगा मेरे प्रेम की उपासना के शिकार होकर संत तुलसीदास जी सब कुछ भूल गए थे, लेकिन पत्नी द्वारा उनको भगवान श्रीराम से जोड़ने के लिए ज्ञान प्रेरणादायक समझा देने के बाद वह संत बन गए और उन्होंने श्री भगवान के चरणों में अनुराग उत्पन्न होकर के ग्रंथ लिखा जो 2 वर्ष 7 महीने 26 दिन में पूरा हुआ जिसका नाम श्री रामचरित मानस रखा गया। और वह ग्रंथ लेकर काशी विश्वनाथ गए जहां भगवान शंकर जी को संस्कृत में रामायण सुनाई। जिससे वहां के संत व ब्राह्मणों ने उनके ग्रंथ का विरोध किया गया। लेकिन भोले बाबा काशी विश्वनाथ में सत्यम, शिवम, सुंदरम लिखकर के ग्रंथ की पुष्टि हुई। वही लोगों को अध्यात्मिकता, धार्मिकता और भगवान से जोड़ने का रास्ता मिला गया। वर्तमान में श्री रामचरित मानस से अच्छा कोई ग्रंथ नही है। इस दौरान ओमशंकर कुशवाहा, दीपक रैकवार, अंजुलि द्विवेदी, सुरभि विश्वकर्मा, दिव्यांशु, उमेश कुशवाहा, कपिल विश्वकर्मा, ठाकुरदास, अमरे कुशवाहा, इन्द्रपाल, धर्मदास, अरविन्द, सुरेन्द्र द्विवेदी मौजूद रहे।
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