📰 बिहार NDA सरकार गठन — 📢
पटना 17/11/25*NDA में शक्ति संतुलन तय — नई सरकार के गठन की रूपरेखा स्पष्ट
पटना — बिहार में नई NDA सरकार को लेकर राजनीतिक गतिविधियाँ तेज़ हैं। मुख्यमंत्री पद से लेकर मंत्रालयों के बंटवारे तक, गठबंधन के भीतर गहन मंथन और रणनीतिक चर्चा जारी है। जदयू, भाजपा, LJP (रामविलास), हम (से.), और राष्ट्रीय लोक मोर्चा — इन सभी सहयोगी दलों के बीच प्रतिनिधित्व का संतुलन साधने की कोशिश में शीर्ष नेतृत्व जुटा हुआ है।
🔹 1. NDA के अंदरूनी समीकरण — सीट और शक्ति का संतुलन
नई सरकार के ढाँचे में सभी दलों की शक्ति के अनुसार मंत्रालयों का बंटवारा लगभग तय माना जा रहा है।
जदयू और भाजपा को सबसे अधिक हिस्सेदारी मिलने की चर्चा है।
LJP (रामविलास) को 2–3 विभाग,
हम (से.) को 1 विभाग,
और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 1 विभाग मिलने की संभावना जताई जा रही है।
यह पूरा बंटवारा हाल ही हुए चुनाव में मिली सीटों और राजनीतिक वज़न के अनुपात में तैयार किया गया है, ताकि गठबंधन में किसी को भी असंतुलन का महसूस न हो।
🔹 2. भाजपा–जदयू की नई भूमिका — बदलता समीकरण
इस बार भाजपा की ताक़त में बढ़ोतरी साफ़ दिख रही है।
भाजपा यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सरकार में उसकी भूमिका केवल सहयोगी दल के रूप में नहीं बल्कि शक्ति-संतुलन के केंद्र के रूप में भी उभरे।
जदयू, हालांकि अभी भी मुख्यमंत्री पद अपने पास रखता है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा अपनी हिस्सेदारी और रणनीतिक निर्णयों में अधिक प्रभाव चाहती है।
गठबंधन के भीतर यह नई शक्ति-रचना आने वाले दिनों में सरकार के संचालन पर असर डाल सकती है।
🔹 3. जातिगत संतुलन — NDA की बड़ी रणनीति
बिहार की राजनीति में जातिगत प्रतिनिधित्व सबसे बड़ा कारक है।
नई कैबिनेट में —
पिछड़ा वर्ग,
अति-पिछड़ा,
दलित,
सवर्ण,
और अल्पसंख्यक समुदायों
— सभी के लिए उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने को लेकर NDA नेतृत्व गंभीर है।
यही रणनीति आगे आने वाले पंचायत और लोकसभा चुनावों के लिए भी राजनीतिक लाभ का आधार बन सकती है।
🔹 4. नीतीश कुमार — गठबंधन राजनीति के सबसे सफल संतुलनकर्ता
नए राजनीतिक माहौल में भी नीतीश कुमार की भूमिका अहम बनी हुई है।
उन्होंने अपने चार दशकों के लंबे राजनीतिक अनुभव में गठबंधन राजनीति को कई बार नए रूप में ढाला है।
आज भी उनकी यही क्षमता NDA को एक साथ रखने की सबसे बड़ी कुंजी है।
हालाँकि भाजपा की बढ़ती ताक़त के बीच उनकी निर्णयकारी भूमिका पर कुछ दबाव अवश्य बढ़ा है, परंतु मुख्यमंत्री पद उनके पास ही रहने की पूरी संभावना है।
🔹 5. सहयोगी दलों की नाराज़गी और मोलभाव
NDA के छोटे दलों — LJP (रामविलास), हम (से.) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा — ने शुरुआत में मंत्रालयों की संख्या और पोर्टफोलियो को लेकर कुछ असंतोष जताया था।
हालांकि अब यह स्थिति काफी हद तक शांत होती दिख रही है।
फिर भी ये दल सरकार में अपनी हिस्सेदारी को लेकर बेहद सजग हैं और आने वाले दिनों में भी अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता बनाए रखने की कोशिश करेंगे।
🔹 6. भविष्य की चुनौतियाँ — NDA को क्या बचाना होगा
नई सरकार बनने के बाद NDA के सामने कुछ प्रमुख चुनौतियाँ रहेंगी:
गठबंधन के भीतर विश्वास बनाए रखना
सत्ता और संसाधनों के बंटवारे को लेकर असहमति न बढ़ने देना
भाजपा और जदयू के बीच शक्ति संतुलन को स्थिर रखना
छोटे दलों को सरकार से जोड़कर रखना
जातिगत और सामाजिक समीकरणों को संतुलित रखना
अगर NDA इन सभी चुनौतियों को पार कर लेता है, तब ही वह लंबी और स्थिर सरकार दे सकेगा।
🔹 7. मुख्यमंत्री और कैबिनेट के नाम — जल्द अंतिम घोषणा
नई NDA सरकार का शपथ-ग्रहण समारोह अगले दो–तीन दिनों में होने की पूरी संभावना है।
मुख्यमंत्री: नीतीश कुमार
उपमुख्यमंत्री पद: दो पदों का प्रस्ताव; एक भाजपा और एक LJP (रामविलास) के हिस्से में जा सकता है।
कैबिनेट: लगभग 28–32 मंत्रियों का स्वरूप तैयार
मंत्रियों की अंतिम सूची गठबंधन की सहमति से किसी भी समय जारी की जा सकती है।
📌 निष्कर्ष — सरकार बनने से पहले NDA ने संतुलन का खाका तैयार कर लिया है
बिहार में गठबंधन राजनीति के नए अध्याय की शुरुआत होने वाली है।
शक्ति-बंटवारे का फार्मूला लगभग तैयार है।
नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA सरकार बनने का रास्ता साफ़ है।
अब निगाहें सिर्फ शपथ-ग्रहण और अंतिम कैबिनेट सूची पर टिक गई हैं।

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