लखनऊ5अक्टूबर25*जोनल अधिकारी 7 की अनुमति से कर सकते हैं अवैध निर्माण….*
*करोड़ों की सौगात के बगल पुत रही है कालिख?*
*एलडीए की छवि को धूमिल करते जोन 7 के अधिकारी….*
लखनऊ, संवाददाता
राजधानी लखनऊ के जोन 7 में सरकार और प्रशासन के आदेशानुसार एलडीए द्वारा एक बड़ी सौगात राह गोरों और स्थानीय लोगों को दी गई है। टीलें वाली मस्जिद से आईआईएम रोड तक जाने बंधे वाली रोड को चौड़ा कर, इसे ग्रीन कॉरिडोर का नाम दिया गया। राजगीरों के लिए आसन कर दिया गया मार्ग, पर हाल ही में एलडीए के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से, मेहंदी घाट के ठीक सामने एक अवैध निर्माण कार्य जारी है। वह भी खूब धड़ल्ले से निर्माण चल रहा है।
संबंधित मामले में जब जोनल अधिकारी 7 रवि नंदन सिंह से जिक्र किया गया, तो उनका साफ तौर पर कहना था कि “अगर अवैध निर्माण चल रहा है, तो चलने दिया जाए, एलडीए वीसी के संज्ञान में है। बाद में इसकी कंपाउंडिंग कर, उसे वैध कर दिया जाएगा। यदि अगर भवन स्वामी कंपाउंडिंग का खर्च नहीं देता है, तो उसे सील कर देंगे या आने वाले समय में इमारत को ध्वस्त कर दिया जाएगा….।”
इतना साफ तौर पर कैसे एक अधिकारी अवैध निर्माण पर कह सकता है?, कैसे अवैध निर्माण को अनुमति दे सकता है? और अवैध निर्माण के पूरे हो जाने के बाद क्या भरोसा की एलडीए इस इमारत को ध्वस्त करेगा?। इतने सवालों पर हम यही कह सकते हैं, चूंकि आज तक ऐसे कई मारते हैं जिसपर ध्वस्तीकरण के आदेश होने के बावजूद, ध्वस्त नहीं हुए। करण एलडीए के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत के भेंट चढ़ गया आदेश।
जोन 7 में बंधे वाली रोड पर मेहंदी घाट के सामने, ग्रीन कॉरिडोर के ठीक बगल बन रही इमारत, पांच मंजिला भी है, ठीक एसटीपी से सटा हुआ है और ग्रीन कॉरिडोर से सेट होने के साथ, ना तो पार्किंग की सुविधा है और भवन निर्माण क्षेत्रफल के विपरीत लग रहा है। पता नहीं कैसे एसटीपी और ग्रीन कॉरिडोर के ठीक बगल बन रहे इस इमारत को अनुमति प्राप्त हो गई और प्रशासन इस पर कोई कार्यवाही नहीं करना चाहता?
इस इमारत और अवैध निर्माण पर किसी भी विभाग ने आपत्ति नहीं जाहिर की। पर आने वाले समय में जब यह बनकर तैयार हो जाएगा, तो विभाग के अधिकारी आएंगे अपने आखिरी मिठाई लेने। क्योंकि अर्ध निर्माण स्थिति में एलडीए कार्यवाही नहीं कर रहा, आगे आने वाले समय में क्या कार्यवाही करेगा?
राजधानी लखनऊ में अवैध निर्माण पर सीलिंग की प्रक्रिया दिखाकर एलडीए ने खूब खानापूर्ति की है, पर जो इतनी बड़ी सौगात के बीच में कलंक साबित हो रहा है उस पर एलडीए प्रतिबंध क्यों नहीं लगा पा रहा है?, जब जोनल अधिकारी 7 की साफ तौर पर अवैध निर्माण पर अनुमति प्रदान हो और अवर अभियंता एवं सहायक अभियंता संबंधित भवन का निरीक्षण करने ना जाएं, तो समझ में यही आ रहा है सब मैनेज है।
तो क्या लखनऊ विकास प्राधिकरण के वीसी या सचिव जोन 7 में हो रहे अवैध निर्माण पर लगाम कस पाएंगे?, क्या एलडीए की छवि सुधार पाएगी….?
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