बाराबंकी2अक्टूबर25*गांधी-शास्त्री के सिद्धांत आज भी मार्गदर्शक : डीएम शशांक त्रिपाठी
– दोनों महान विभूतियों ने जीवनभर किया राष्ट्र का कल्याण
– सत्य-अहिंसा और “जय जवान-जय किसान” ने दी भारत को शक्ति
बाराबंकी से शोभित शुक्ला की रिपोर्ट यूपीआजतक
बाराबंकी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के मौके पर जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने कहा कि दोनों ही विभूतियों के स्वभाव और विचारों में अद्भुत समानता थी। वे सदैव दूसरों की पीड़ा को अपनी पीड़ा मानते थे। डीएम ने कहा कि गांधी और शास्त्री जी का जीवन हम सभी के लिए आदर्श है और उनके दिखाए रास्ते पर चलना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने यह भी कहा कि आज जब हम गांधी जी की 156वीं जयंती मना रहे हैं तो यह संकल्प लेना चाहिए कि उनके बताए आदर्शों को जीवन में उतारें।
( समाज को दिशा देंगे गांधी-शास्त्री के विचार )
कलेक्ट्रेट परिसर में ध्वजारोहण के बाद जिलाधिकारी ने अधिकारियों व कर्मचारियों को स्वच्छता की शपथ दिलाई। इसके उपरांत लोकसभागार में गांधी जी और शास्त्री जी की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर डीएम ने कहा कि गांधी जी का सत्य और अहिंसा का सिद्धांत ही भारत की लोकतांत्रिक परंपरा को मजबूत करता है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम का मार्ग तलवार और हिंसा नहीं, बल्कि सत्य और अहिंसा था। सविनय अवज्ञा आंदोलन के जरिये गांधी जी ने देश को दिखाया कि अपनी आवाज को शांतिपूर्वक और प्रभावशाली ढंग से कैसे उठाया जा सकता है।
( गांधी-शास्त्री का बलिदान भुलाया नहीं जा सकता : डीएम )
डीएम शशांक त्रिपाठी ने कहा कि महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री ने अपना संपूर्ण जीवन देश के उत्थान में अर्पित कर दिया। उनके बलिदान और योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। जिलाधिकारी ने कहा कि शास्त्री जी ने “जय जवान-जय किसान” का नारा देकर भारत को आत्मनिर्भरता और आंतरिक मजबूती का संदेश दिया। रेल दुर्घटना के बाद उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दिया, जो उनकी ईमानदारी और सादगी का उदाहरण है। प्रधानमंत्री रहते हुए भी वे एक सामान्य नागरिक की तरह जीवन व्यतीत करते थे।
( सत्य-अहिंसा और त्याग ही असली प्रेरणा )
जिलाधिकारी ने कहा कि समाज के सबसे कमजोर और वंचित व्यक्ति की तकलीफ को समझना और उनके उत्थान के लिए प्रयास करना ही इन दोनों महापुरुषों की सच्ची याद है। एडीएम (वित्त एवं राजस्व) अरुण कुमार ने कहा कि गांधी और शास्त्री जैसे महापुरुषों के पदचिन्हों पर चलकर ही समाज के निर्बल वर्ग की सच्ची सेवा की जा सकती है। वहीं एडीएम (न्यायिक) राजकुमार सिंह ने कहा कि गांधी जी ने सत्य और अहिंसा के रास्ते को चुनकर वकालत छोड़ दी और स्वयं को राष्ट्रसेवा में समर्पित कर दिया। इस कार्यक्रम में डिप्टी कलेक्टर मधुमिता सिंह, आकांक्षा गुप्ता, अनिल सरोज समेत कलेक्ट्रेट के अनेक अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।
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