अयोध्या27अगस्त25*यूपीआजतक न्यूज़ चैनल पर अयोध्या की खास खबरें
[27/08, 7:53 pm] +91 98393 79609: ब्रेकिंग
अयोध्या।
अयोध्या को वाराणसी से जोड़ने वाली नई वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरुआत हो गई है।
अब तक यह ट्रेन मेरठ से लखनऊ तक चल रही थी, लेकिन इसे बढ़ाकर अयोध्या धाम–वाराणसी कैंट तक कर दिया गया है।
इस विस्तार से अयोध्या और वाराणसी आने-जाने वाले श्रद्धालुओं व यात्रियों को सीधी व तेज कनेक्टिविटी मिलेगी।
बुधवार को ट्रेन जब वाराणसी से अयोध्या धाम स्टेशन पहुँची तो माहौल उत्साहजनक और ऐतिहासिक रहा।
ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने में सांसद अवधेश प्रसाद, विधायक वेद प्रकाश गुप्ता, विधायक चंद्रभानु पासवान और भाजपा महानगर अध्यक्ष कमलेश श्रीवास्तव मौजूद रहे।
सांसद अवधेश प्रसाद ने मांग की कि कोरोना काल में बंद हुई ट्रेनों को पुनः शुरू किया जाए।
उन्होंने आचार्य नरेंद्र देव सिटी स्टेशन को फिर से चालू करने की भी अपील की।
सांसद ने कहा कि अयोध्या धाम स्टेशन पर ट्रेनों का ठहराव बहुत कम है, इसे बढ़ाया जाना चाहिए।
नई वंदे भारत एक्सप्रेस से यात्रियों को तेज़, सुरक्षित और आरामदायक सफर का अनुभव मिलेगा।
अयोध्या और वाराणसी के बीच यह आधुनिक कनेक्टिविटी पर्यटन, अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक गतिविधियों को नई गति देगी।
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अयोध्या।
रामलला के मंदिर की बाउंड्री वॉल निर्माण के लिए गणेश चतुर्थी के मौके पर हुआ भूमि पूजन ।
वैदिक विद्वानों ने कराया राम मंदिर के बाउंड्री वाल का भूमि पूजन।
4 किलोमीटर लंबी बनाई जानी है राम मंदिर की बाउंड्री वॉल।
राम मंदिर के 70 एकड़ को क्षेत्र को कवर करते हुए बाउंड्री वालों का होगा निर्माण।
राम मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी के साथ राम मंदिर के एसपी सुरक्षा रहे मौके पर मौजूद।
एसपी सुरक्षा ने रखी राम मंदिर के बाउंड्री वाल के भूमि पूजन की पहली ईट।
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अयोध्या।
नवाब शुजाउद्दौला के दिलकुशा महल के का हो रहा कायाकल्प, अंग्रेज के जमाने में यह महल बना अफीम कोठी और अब योगी बना रहे साकेत सदन
निर्माण – 18वीं शताब्दी में नवाब शुजाउद्दौला ने सरयू तट पर दिलकुशा महल का निर्माण कराया।
शान-ओ-शौकत – उस दौर में यह महल अवध की ऐश्वर्य और स्थापत्य कला की अनूठी मिसाल था।
अंग्रेज़ों का हस्तक्षेप – 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों ने इस महल को अफीम व्यापार का केंद्र बना दिया।
नाम बदलना – अफीम कारोबार के कारण यह इमारत लंबे समय तक “अफीम कोठी” के नाम से जानी गई।
उपेक्षा का दौर – स्वतंत्रता के बाद भी दशकों तक यह धरोहर उपेक्षित और जर्जर स्थिति में रही।
2017 के बाद बदलाव – योगी सरकार ने अयोध्या के विकास कार्यों में इस भवन को भी शामिल किया।
नई पहचान – नकारात्मक छवि मिटाने के लिए इसका नाम बदलकर “साकेत भवन” रखा गया।
धनराशि स्वीकृत – इसके जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण के लिए 16.82 करोड़ रुपए मंजूर किए गए।
आस्था का केंद्र – भवन में देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की जा रही हैं, जिससे यह पूजा स्थल भी बनेगा।
सांस्कृतिक प्रतीक – साकेत भवन अब अतीत की धरोहर और भविष्य की आस्था का संगम बनकर पर्यटकों व श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा।

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