August 15, 2025

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बाराबंकी11अगस्त25*माता-पिता की यादें, सपनों का सहारा: रियाज का प्रेरणादायक सफर*

बाराबंकी11अगस्त25*माता-पिता की यादें, सपनों का सहारा: रियाज का प्रेरणादायक सफर*

बाराबंकी11अगस्त25*माता-पिता की यादें, सपनों का सहारा: रियाज का प्रेरणादायक सफर*

मेराज अहमद बाराबंकी

**कई असफलताओं और गरीबी को मात देकर रियाज बने रेलवे इंजीनियर**

*बाराबंकी, उत्तर प्रदेश*: 11अगस्त बाराबंकी जनपद के फतेहपुर तहसील के छोटे से कस्बे में रियाज आलम ने कायम की मिसाल संघर्षों के रास्ते सफलता की सीढ़ी कठिनाइयों को मात देकर सपनों को हकीकत में बदलने की मिसाल कायम की है बाराबंकी के रियाज आलम ने। बांसा शरीफ गांव, थाना मसौली के निवासी रियाज, मरहूम मोहम्मद हारून के पुत्र, ने अपनी मेहनत और लगन से भारतीय रेलवे में सिविल इंजीनियर (अनुसंधान एवं विकास अभियंता) के पद पर चयन हासिल किया। माता-पिता के असमय निधन के बावजूद उनकी यादें और सपने रियाज की प्रेरणा बने।

**संघर्षों से भरा सफर**
रियाज ने राम सेवक यादव मेमोरियल हाईस्कूल, सत्य प्रेमी नगर और श्री गांधी पंचायत इंटर कॉलेज, सादतगंज से शुरुआती पढ़ाई पूरी की। इसके बाद राजकीय पॉलीटेक्निक, गोंडा से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा और जहांगीराबाद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बाराबंकी से बी-टेक हासिल किया। आर्थिक तंगी, मार्गदर्शन की कमी और माता-पिता के निधन जैसी चुनौतियों ने उनके रास्ते में कई बाधाएं खड़ी कीं। इसके पूर्व कई अन्य भर्ती परीक्षाओं में कुछ ही अंकों से बार-बार असफल हुए, समाज ने ताने मारे, परेशान हुए, लेकिन रियाज ने खुद को समझाया और आगे बढ़ गए। वे कहते हैं, “मम्मी-पापा का सपना था कि मैं कुछ बड़ा करूं। उनकी यादें मेरी सबसे बड़ी ताकत बनीं।”

**भाई, दोस्त और गुरुजनों का साथ**
रियाज की मां ने जीवित रहते हुए उनका हौसला बढ़ाया, और उनके निधन के बाद भी उनकी प्रेरणा जीवित रही। आर्थिक तंगी के कारण रियाज नौचंदी मेले में दुकान पर बैठकर पैसे कमाते थे। पिता के निधन के बाद भाई सिराज आलम ने आर्थिक और भावनात्मक सहारा दिया। दोस्त गोविंद केशरी और गुरुजनों सुमित सेंगर व बलवीर सिंह ने सही मार्गदर्शन देकर उनकी हिम्मत को पंख दिए।

**सपनों को मिली उड़ान**
रियाज की मेहनत रेलवे भर्ती परीक्षा के तहत अनुसंधान एवं विकास अभियंता के रूप में चयन के रूप में रंग लाई। वे कहते हैं, “मैं खुदा का शुक्रगुजार हूं और अपने भाई सिराज, दोस्त गोविंद, और गुरुजनों सुमित सेंगर व बलवीर सिंह का आभारी हूं, जिनके समर्थन ने मुझे यह मुकाम दिलाया।”

रियाज की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो मुश्किल हालात में भी अपने सपनों को सच करने की हिम्मत रखता है। उनकी यह उपलब्धि बांसा शरीफ गांव और थाना मसौली क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है।

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