जम्मू कश्मीर11जून25*स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं0 राम प्रसाद बिस्मिल की जयंती मनाई गई।
पं. राम प्रसाद बिस्मिल (11 जून 1897 – 19 दिसंबर 1927) एक महान स्वतंत्रता सेनानी, कवि और लेखक थे, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ क्रांति में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्हें 1925 में काकोरी ट्रेन डकैती कांड में शामिल होने के कारण महज 30 वर्ष की अल्पायु में फांसी दे दी गई थी।
● जन्म और प्रारंभिक जीवन: राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म 11 जून 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में हुआ था। उनके पिता मुरलीधर एक नगरपालिका कर्मचारी थे। वे स्वामी दयानंद सरस्वती की शिक्षाओं से प्रभावित थे।
● क्रांतिकारी गतिविधियाँ: राम प्रसाद बिस्मिल ने 1918 के मैनपुरी षडयंत्र और 1925 में ब्रिटिश सरकार के सरकारी खजाने को ले जा रही ट्रेन को काकोरी में रोककर लूटने में प्रमुख भूमिका निभाई थी। इस मामले में उन्हें और उनके साथियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी।
● अन्य योगदान: राम प्रसाद बिस्मिल एक कवि और लेखक भी थे। उनकी कविता…
“सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना बाजू-ए-क़ातिल में है।”
उनका यह गीत भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के हर मतवाले की जुबान पर एक महत्वपूर्ण गीत बनकर गुनगुनाया गया था। उन्होंने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
● मृत्यु: 19 दिसंबर 1927 को राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर जेल में फांसी दी गई थी।
● राम प्रसाद बिस्मिल का महत्व: राम प्रसाद बिस्मिल स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे, जिन्होंने भारत को ब्रिटिश राज से स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
माँ भारती के वीर सपूत की 128वीं जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन, वंदन एवं विनम्र श्रद्धांजलि !
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